Khagaria Bihar Flood News: ‘जलप्रांतर’ के दर्द को समझने का जिगर चाहिए
खगड़िया में चेराखेरा उत्तरी बोहरवा के लोग बाढ़ से परेशान हैं। बाढ़ व कटाव ने परेशानी दोगुनी कर दी है। कटाव भी पुन शुरू हो गया है। कई घर-आंगन में पानी है। कोसी-बागमती का पानी फिर से बढ़ने लगा है।
खगड़िया [निर्भय]। नदी किनारे स्थित चेराखेरा पंचायत की उत्तरी बोहरवा के लोग बाढ़ से परेशान हैं। बाढ़ के साथ-साथ कटाव ने इनकी परेशानी दोगुनी कर दी है। रह-रहकर बागमती कहर ढा रही है। इस बार दुबारा बागमती की बाढ़ यहां के लोग झेल रहे हैं। कटाव भी पुन: शुरू हो गया है। कई घर-आंगन में पानी है। यहां के कृष्णनंदन कुमार उर्फ पवित्र कुमार ने कहा कि, आंगन में पानी है। चापाकल डूब गया है। तैरकर पड़ोसी किशुनदेव बिंद के यहां जाते हैं और उनके चापाकल से पानी लाते हैं।
उनका चापाकल नहीं डूबा है। किशुनदेव का चापाकल आजकल कई पवित्र कुमार का सहारा है। प्रशासन हाथ पर हाथ धरे है। उनके पास आंकड़े हैं। आंकड़े की भाषा बिजल बिंद की दर्द को क्या जाने। बिजली बिंद का घर बागमती में समा गया। आज वे खानाबदोश हो चुके हैं।
2016-17 से घर-आंगन नदी में समा रहे हैं
नथुनी बिंद, चन्नू बिंद, मदन बिंद, मनकित बिंद, गणेश बिंद, भूपदेव बिंद, नंदू बिंद, राजेश बिंद, हरिलाल बिंद के घरों में पानी है। पवित्र कुमार कहते हैं- दुबार की कट्टी (कटाव) में माना बिंद, पदुमलाल बिंद, बिजल बिंद के घर नदी में समा गए। इस वर्ष ही इससे पहले की कट्टी में 22 घर नदी में विलीन हुए थे। 2016-17 में 37 घर बागमती में समा गए थे। जिन्हें आज तक मुआवजा नहीं मिला है। अधिकारियों के यहां चक्कर लगाते-लगाते इनके चट्टी (चप्पल) घिस चुके हैं। दुबारा बागमती के उफान से पुन: आवागमन का संकट कायम हो गया है।
आंखों के रास्ते दिल में उतर रहा है दर्द
पदुमलाल बिंद कहते हैं- हमलोग ‘जलप्रांतर’ में रहते हैं। आंखों के सामने जब नदी में घर समा जाते हैं, तो वह दर्द आंखों के रास्ते दिल में उतरता है। दुबारा पहले से एक-डेढ़ फीट ज्यादा पानी आया है। नदी किनारे एक सरकारी नाव चल रही है, बस! वह नाव भी घटवार की कृपा पर निर्भर है।
जानकारी है, नजर रखे हुए हैं
कोसी-बागमती का पानी दोबारा बढ़ा है। अलौली प्रखंड की आनंदपुर मारन, चेराखेरा, शहरबन्नी और दहमा खैरी खुटहा पंचायत बाढ़ प्रभावित है। हथवन की एक और रामपुर अलौली पंचायत की दो वार्ड बाढ़ की चपेट में है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में 30 नावें चल रही है। आवश्यकता अनुसार इसकी संख्या बढ़ सकती है। यह कहना है, अलौली सीओ प्रदीप कुमार का। वे कहते हैं- उत्तरी बोहरवा में सीधा कटाव नहीं हो रहा है। नजर रखे हुए हैं। घरों में पानी नहीं है। हां, गांव बाढ़ से घिर गया है। यहां के 2016-17 के कटाव पीड़ितों का मामला संज्ञान में आया है। वरीय अधिकारी को जानकारी दी गई है।