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खगड़िया का सर्वाधिक बाढ़ प्रभावित है अलौली क्षेत्र, पर यहां स्‍वास्‍थ्‍य व्‍यवस्‍था है भगवान भरोसे

खगड़िया जिला का अलौली प्रखंड जिले का सर्वाधिक बाढ़ प्रभावित प्रखंड है बावजूद इसके यहां स्‍वास्‍थ्‍य व्‍यवस्‍था भगवान भरोसे है। यहां चिकित्‍सकों की भी कमी है। यहां पड़ोसी जिले के दरभंगा के तिलेश्‍वर स्‍थान सनोखर के मरीज भी यहां इलाज के लिए आते थे।

By Amrendra kumar TiwariEdited By: Published: Fri, 26 Feb 2021 02:42 PM (IST)Updated: Fri, 26 Feb 2021 02:42 PM (IST)
खगड़िया का सर्वाधिक बाढ़ प्रभावित है अलौली क्षेत्र, पर यहां स्‍वास्‍थ्‍य व्‍यवस्‍था है भगवान भरोसे
एक सीएचसी के भरोसे तीन लाख लोगों की स्‍वास्‍थ्‍य व्‍यवस्‍था

जागरण संवाददाता, खगडिय़ा । जिले का सर्वाधिक बाढ़ प्रभावित क्षेत्र अलौली है। जिस कारण यहां सरकारी सुविधाएं पहुंचते- पहुंचते दम तोड़ देती है। मूलभूत सुविधा में शामिल चिकित्सा व्यवस्था का भी इस प्रखंड में बुरा हाल है। सरकारी स्तर पर अलौली प्रखंड की 21 पंचायतों की तीन लाख की आबादी के लिए यहां प्रखंड मुख्यालय में एक सीएचसी है। अलौली प्रखंडवासियों के साथ पड़ोसी जिले दरभंगा के तिलकेश्वर स्थान एवं समस्तीपुर के सनोखर के मरीज भी यहां इलाज को आते हैं।

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जाने अलौली में सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल

यहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र समेत छह अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र और कुल 37 उप स्वास्थ्य केंद्र हैं। जहां चिकित्सक व कर्मी के अभाव के साथ दवा का भी अभाव है। अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र आयुष चिकित्सक के भरोसे संचालित है। उप स्वास्थ्य केंद्र में कहीं भी डॉक्टर नहीं है।

सुविधा का है अभाव

सीएचसी में चिकित्सक व संसाधन की कमी है। जिसके कारण यहां केवल सर्दी- जुकाम जैसी मामूली बीमारी का ही इलाज हो पाता है। गंभीर रोगी यहां से रेफर कर दिए जाते हैं। सुदूर ग्रामीण क्षेत्र व नदी पार वाले दियारा इलाके के लोगों के लिए ग्रामीण स्तर पर सरकारी चिकित्सा की कोई व्यवस्था ही नहीं है। आधे दर्जन से अधिक नदी पार वाले पंचायत की लोगों के लिए अब भी झोलाछाप चिकित्सक ही भगवान बने हुए हैं।

चार के बदले दो ड्रेसर से चल रहा काम

अलौली सीएचसी में प्रतिदिन 250 से 300 तक मरीज इलाज को पहुंचते हैं। जिसमें प्रसवी महिलाएं भी होती है। यहां चिकित्सक व कर्मी का अभाव है। साथ ही संसाधन का भी अभाव है। प्रखंड में कुल 51 एएनएम हैं। जिसमें मात्र एक ए ग्रेड नर्स पीएचसी में नियुक्त है। इसके अलावे पंचायत में नियुक्त एएनएम से कार्य लिया जाता है। 40 के करीब विभिन्न वर्ग के कर्मी हैं। दो ड्रेसर हैं। जबकि कम से कम चार ड्रेसर होना चाहिए। चतुर्थ वर्गीय कर्मी का अभाव है।

चिकित्सक का है घोर अभाव

अलौली सीएचसी में कुल 11 चिकित्सक की आवश्यकता है। परंतु, यहां मात्र चार एमबीबीएस चिकित्सक ही कार्यरत हैं। जिसमें एक चिकित्सक अन्य जगह प्रतिनियुक्ति पर हैं। मतलब प्रभारी सहित चार चिकित्सकों के बूते पीएचसी का संचालन हो रहा है। कुछेक माह पूर्व अलौली प्रखंड में नौ चिकित्सक नियुक्त किए गए। जिसमें तीन चिकित्सक योगदान के साथ ही पढ़ाई के लिए लंबी छुट्टी पर चले गए हैं। शेष चिकित्सक अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्रों पर कार्यरत हैं। कोई सर्जन या विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं हैं। जिस कारण पदस्थापित एमबीबीएस चिकित्सक केवल साधारण रोगों का ही इलाज कर पाते हैं। गंभीर रोग वाले मरीज यहां से रेफर कर दिए जाते हैं।

जांच व एक्सरे की सुविधा नहीं

30 बेड के सीएचसी में कई आवश्यक सुविधाओं का अभाव है। यहां साधारण जांच के अलावा विशेष जांच की कोई व्यवस्था नहीं है। एक्सरे व अल्ट्रासाउंड जैसी सुविधा भी यहां उपलब्ध नहीं है। पीएचसी में मात्र एक एंबुलेंस है।

क्‍या कहते हैं प्रभारी चिकित्‍सा पदाधिकारी

प्रभारी चिकित्‍सा पदाधिकारी डॉ मनीष कुमार ने कहा कि सीएचसी में चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मियों का अभाव है। सरकारी स्तर पर उपलब्ध सुविधा के अनुसार लोगों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। वर्तमान में एक एंबुलेंस हैं। दो एंबुलेंस खराब है। जिसे मरम्मति को लेकर भेजा गया है। साफ- सफाई का जिम्मा संवेदक संस्था को दिया गया है।


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