Katihar News : आउट सोर्सिंग में घालमेल उजागर, मामला पहुंच गया उच्च न्यायालय, जानिए
Katihar news कटिहार में बड़े पैमाने में अनियमितता उजागर हुई है। आउटसोर्सिंग एजेंसी को कार्य देने में अनियमितता उजागर हुई है। शुल्क में अप्रत्याशित वृद्धि के बीच घालमेल का यह मामला हाईकोर्ट तक पहुंच चुका है। मामले की जांच की जा रही है।
कटिहार [रमण कुमार झा]। बाग ए गुलिस्ता क्या होगा, हर शाख पर उल्लू बैठा है...। शायद इस जिले की यही नियति बन गई है। योजनाओं में लूट की एक नई कहानी अब सामने आ रही है। सदर अस्पताल सहित अन्य सरकारी अस्पतालाओं की साफ-सफाई व मरीजों को दिए जाने वाले खाना आदि के लिए आउट सोर्सिंग व्यवस्था में अनियमितता का मामला यहां तूल पकडऩे लगा है। आउटसोर्सिंग एजेंसी को कार्य देने में अनियमितता सहित विभिन्न कार्यों के शुल्क में अप्रत्याशित वृद्धि के बीच घालमेल का यह मामला हाईकोर्ट तक पहुंच चुका है। पूर्व में कार्यरत एजेंसी इस पूरे प्रकरण को लेकर हाईकोर्ट पहुंच गया है। पूर्व में कार्यरत एजेंसी ने कोर्ट को बताया है कि टेंडर निकालने का समय 14 अगस्त होना चाहिए था। साईट पर टेंडर 18 अगस्त को डाला गया, जबकि अंतिम तिथि 24 अगस्त 20 को दी गई। ऐसे में महज छह दिनों में टेंडर के लिए जरूरी कागजात सिर्फ वैसे संवेदक ही जमा कर सकते थे, जो पूर्व से इसके लिए तैयार हो। वही संविदा को भरने के लिए चरित्र प्रमाण पत्र की मांग की गई थी, जिसे बनवाने में लगभग 20 दिन का समय लगता है। एक निविदा दाता द्वारा ऑनलाइन के आधार पर संविदा भरा था, जिसे विभाग द्वारा अस्वीकृत कर दिया गया। वैसे में कार्य कर रहे एजेंसी के पास चरित्र प्रमाण पत्र कैसे आया, यह सवाल ने वादी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से उठाया है। राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा पूरे सूबे में टेंडर निकालने के लिए एक प्रारूप तय है, जिसके तहत संवेदक अपना टेंडर भर सके, लेकिन कटिहार में इस प्रारूप का उपयोग नहीं किया गया।
साफ-सफाई की राशि के लिए बढ़ाई गई मापी
डीएचएस द्वारा आवंटित कार्य में अस्पताल की मापी को बढ़ाया गया है। अलग अलग रेट में दिए गए निविदा पर वाह्ण् विभाग, सहित अस्पताल परिसर की मापी भी बढाई गई है। पूर्व से कार्य कर रहे एजेंसी ने इन तमाम तथ्यों के साथ कोर्ट के समक्ष रखा है। साथ ही इस बाबत राज्य स्वास्थ्य समिति से भी पत्राचार किया गया है।
राज्य स्वास्थ्य समिति के निर्देशानुसार टेंडर निकाला गया था। जिस भी कार्य एजेंसी ने संविदा भरी थी, उसकी पूरी जांच की गई। जांच के बाद कार्यरत कार्य एजेंसी को कार्य आवंटित किया गया है। - डॉ डीएन पांडे, सिविल सर्जन, कटिहार।