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कटिहार न्यूज : छह साल में भी पूरा नहीं हुआ छात्रावास का निर्माण, विभाग को नहीं फिक्र

कटिहार में अत्यंत पिछड़ा वर्ग की छात्राओं के लिए बन रहा छात्रावास का काम छह साल बाद भी पूरा नहीं हो सका है। बालिकाओं के लिए निर्माणाधीन छात्रावास के कुछ कमरों व बरामदे का उपयोग लोगों द्वारा मवेशियों का चारा व मवेशियों को बांधने के लिए किया जा रहा है।

By Abhishek KumarEdited By: Published: Sun, 03 Jan 2021 04:42 PM (IST)Updated: Sun, 03 Jan 2021 04:42 PM (IST)
कटिहार में अत्यंत पिछड़ा वर्ग की छात्राओं के लिए बन रहा छात्रावास का काम पूरा नहीं हो सका है।

जागरण संवाददाता, कटिहार। प्रखंड के शब्दा पंचायत में अत्यंत पिछड़ा वर्ग की छात्राओं के लिए छह साल पूर्व करीब एक करोड़ से अधिक की लागत से शुरु हुआ छात्रावास निर्माण का कार्य अब तक पूरा नहीं हो पाया है। विभाग भी इसको लेकर पूरी तरह बेफिक्र है। 

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बता दें कि वर्ष 2015 में भवन निर्माण विभाग द्वारा छात्रावास का निर्माण कार्य शुरू कराया गया था।छह वर्ष बीत जाने के बाद भी संवेदक की लापरवाही के कारण निर्माण कार्य अधूरा पड़ा हुआ है। संवेदक द्वारा भवन निर्माण स्थल पर कोई सूचना पट भी नहीं लगाया गया है। बालिकाओं के लिए निर्माणाधीन छात्रावास के कुछ कमरों व बरामदे का उपयोग लोगों द्वारा जलावन, मवेशियों का चारा व मवेशियों को बांधने के लिए किया जा रहा है। भवन के अन्य हिस्सों में बड़ी-बड़ी झाडिय़ां बन गई है और सांप-बिच्छू का बसेरा बन गया है। विद्यालय की छात्राओं कहना है कि उन्हें यह भी पता नहीं है कि यहां छात्रावास का भी निर्माण हो रहा है।बहरहाल सरकार के करोड़ों के खर्च के बावजूद विभाग के लापरवाही के कारण अत्यंत पिछड़े वर्ग की छात्राओं को इसका कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है।वर्तमान में यह छात्रावास बासमती हरि मंडल उच्च विद्यालय पोठिया के अधीन है। मुखिया अखिलेश यादव, मुखिया शंकर कुमार मंडल, समिति सदस्य प्रदीप प्रभा, पूर्व मुखिया हृदय नारायण यादव, नरेश केसरी, रंजीत कुमार सुखाडी ,चुन्नू गुप्ता, प्रदीप केसरी, पुरुषोत्तम पोद्दार, गौरव भगत, संजीव कुमार, निरंजन झा सहित कई ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से निर्माण कार्य पूर्ण कराते हुए छात्रावास को चालू कराने की मांग की है।

क्या कहते हैं प्रभारी प्रधानाध्यापक

प्रभारी प्रधानाध्यापक हीरा प्रसाद मंडल ने बताया कि छात्रावास का निर्माण कार्य कर रहे संवेदक आधा-अधूरा छोड़कर फरार है। इस समस्या को लेकर कई बार बैठक में वरीय अधिकारियों को जानकारी दी गई है, लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई पहल नहीं हो पाई है।


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