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कटिहार : मार्च माह में आग ढाने लगी कहर, धुंआ हो रहे अरमान, यहां पांच सौ परिवार हो गए बेघर

कटिहार में अगलगी की घटनाएं थम नहीं रही है। हर दिन किसी न किसी का घर जल रहा है। मार्च महीने में सबसे अधिक अगलगी की घटनाएं हो रही है। पूरे जिले की बात करें तो औसतन पांच सौ घर जल चुके हैं।

By Abhishek KumarEdited By: Published: Fri, 19 Mar 2021 04:41 PM (IST)Updated: Fri, 19 Mar 2021 04:41 PM (IST)
कटिहार : मार्च माह में आग ढाने लगी कहर, धुंआ हो रहे अरमान, यहां पांच सौ परिवार हो गए बेघर
कटिहार में अगलगी की घटनाएं थम नहीं रही है।

कटिहार [रमण कुमार झा]। मार्च महीने के प्रथम सप्ताह से ही पछुआ हवा के चलने से एक बार फिर जिले की बड़ी आबादी की धड़कनें बढ़ा दी है। मौसम बदलने के साथ तेज पछुआ हवा के कारण अगलगी की घटना भी बढऩे लगी है। आगलगी की घटना में हर साल औसतन पांच सौ परिवारों के सपने धुआं होते रहे हैं। आगलगी की घटना को लेकर संवेदनशील कटिहार जिला में बदलते मौसम के साथ आग की लपटें तेज हो गई है। पछुआ हवा की रफ्तार बढऩे से आग का प्रकोप ने लोगों की मुसीबत बढ़ा दी है। खासकर दियारा इलाकों में पछुआ हवा के बीच आग की लपटों से बचना बड़ी चुनौती होती है।

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सात दिनों के अंदर घट चुकी है एक दर्जन घटनाएं

गत एक सप्ताह में एक दर्जन से अधिक आगलगी की घटना हो चुकी है, जबकि मध्य मार्च से लेकर मई तक आगलगी की घटना के लिए संवेदनशील माना जाता है। हर साल आगलगी के कारण सैकड़ों परिवार के सपने टूटते हैं। किन्ही की बेटी की शादी तो किन्ही के बच्चों के सपने आग की लपटों में स्वाहा हो जाते हैं। खलिहानों में भी सतर्कता के अभाव में कई बार आगलगी की घटना हो चुकी है। अमदाबाद का दियारा क्षेत्र सहित मनिहारी, बारसोई, फलका, कुर्सेला, आजमनगर आदि क्षेत्र आगलगी की घटना को लेकर संवेदनशील है। गत वर्ष भी अमदाबाद में आलगनी की भीषण घटना हो चुकी है। बारसोई में पांच दर्जन परिवार के घर आगलगी में जल गए थे। मनिहारी में भी आग ने जमकर कहर बरपाया था।

शादी विवाह पर भी लगता है आग का ब्रेक

आगलगी की घटना के बाद पीडि़त परिवार पर गमों का पहाड़ टूटता है। कई परिवार लगन का मौसम होने के कारण बिटिया की शादी की तैयारी में जुटे होते हैं, तो कोई अपने बच्चों को उच्च शिक्षा देने के लिए मेहनत करता है, लेकिन आगलगी के चंद घंटों में उनके अरमान खाक होते रहे हैं। कई इलाकों में अग्निशमन विभाग की व्यवस्था दुरूस्त नहीं रहने के कारण भी इसे तत्काल रोकना मुश्किल होता है। अधिकांश मामलों में ग्रामीणों की पहल ही कारगर होती है। जबकि कई बार वाहन पहुंचने तक काफी देर हो जाती है और लोगों की जमापूंजी बर्बाद हो जाती है। आगलगी के बाद मिलने वाली सहायता राशि मुकम्मल नहीं रहने के कारण लोगों के लिए फिर से आशियाना सजाना मुश्किल होता है।

जागरुकता के बाद भी घटना पर नहीं लग रहा विराम

बता दें कि आगलगी की घटना की रोकथाम को लेकर जागरूकता के बाद भी इस पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। अधिकांश मामलों में चूल्हें से निकली चिगारी घटना का कारण बनती है, तो गुहाल में धुंआ करने के दौरान सतर्कता में चूक भी कारण बनता रहा है। खासकर दियारा इलाकों में आगलगी की सर्वाधिक घटना होती है, लेकिन हर साल कहर बरपाने वाली आग को रोकने को लेकर सजगता का अभाव दिखता है।

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