कटिहार : बत्तख पालन को बनाया रोजगार का जरिया, बेहतर आमदनी की उम्मीद
कटिहार में बत्त्ख पालन के माध्यम से अमदाबाद प्रखंड के बहरसाल गांव के दो युवा समृद्धि की कहानी लिख रहे हैा। बंगाल से नजदीकी के कारण सुलभ बाजार बाजार भी उपलब्ध है और इससे बेहतर आमदनी की उम्मीद भी है।
कटिहार [मनीष कुमार सिंह]। कोरोना काल में छिने रोजगार के विकल्प में स्वरोजगार की ओर लोग प्रेरित होने लगे हैं। ग्रामीण इलाकों में भी यह ट्रेंड अब नजर आने लगा है। अमदाबाद प्रखंड के बहरसाल गांव के दो युवाओं ने इसी कड़ी में बत्तख पालन का रोजगार शुरु किया है। करीब पांच सौ बत्तख का पालन दोनों ने शुरु किया है। बहरसाल गांव दुर्गापुर पंचायत अंतर्गत आता है जो महानंदा नदी के पार है एवं इसकी सीमा पश्चिम बंगाल से लगती है। बंगाल से नजदीकी के कारण सुलभ बाजार बाजार भी उपलब्ध है और इससे बेहतर आमदनी की उम्मीद भी है।
क्या कहते हैं बत्तख पालन से जुड़े युवा
बत्तख पालन की ओर कदम बढ़ाने वाले बहरसाल गांव के मनीरूल इस्लाम एवं अशफाक आलम ने बताया कि खेती उनका मुख्य कार्य है। इसके अलावा भी कुछ अन्य कार्य करते थे। वैश्विक महामारी कोरोना के कारण खेती किसानी भी प्रभावित हो गई। साथ ही उनका अपना घरेलू काम धंधा भी प्रभावित हुआ। इससे आर्थिक समस्या उत्पन्न होने लगी। इसी से निजात के लिए उन लोगों ने बत्तख पालन शुरु किया है। अभी तक सब कुछ बेहतर है और बत्तख के लिए व्यापारी खुद यहां पहुंचने लगे हैं।
दोनों युवकों ने बताया कि रोजगार की बढ़ती समस्या के बीच यूट््यूब पर दोनों ने बत्तख पालन से जुड़े वीडियो एवं आमदनी के बारे में जाना। इससे प्रेरित होकर दोनों ने बत्तख पालन करने का निर्णय लिया। करीब दो माह पूर्व ही दोनों ने रोजगार शुरु किया है। बताया कि पश्चिम बंगाल के मालदा जिले से बत्तख के चूजे लेकर आए थे एवं करीब 500 बत्तख अब फॉर्म पल रहे हैं।
बंगाल का बाजार नजदीक होने से आमदनी की उम्मीद
युवकों ने बताया कि पश्चिम बंगाल में बत्तख का डिमांड अधिक है एवं उनके गांव की सीमा भी पश्चिम बंगाल से लगती है। पश्चिम बंगाल का बाजार नजदीक है। इससे इस रोजगार से उन्हें अच्छी आमदनी की उम्मीद है। दोनों ने बताया कि इस कार्य में सफलता मिलने पर गांव के अन्य लोगों को भी इस कार्य से वे लोग जोड़ेंगे।