जल संरक्षण और तालाबों का आंगन ही बन गया शोबराती का बसेरा, सीएम तक कर चुके हैं तारीफ, जानिए...
कटिहार के शेख शोबराती आज लोगों को जल संरक्षण का पाठ पढ़ा रहे हैं। आम लोग ही नहीं खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी शोबराती की इस साधना को जान भौचक्क रह गए थे। वे काफी देर तक शोबराती से बात भी की थी और सम्मानित भी किया था।
कटिहार [संजीव राय]। कोढ़ा प्रखंड के रौतारा पंचायत स्थित चमरु पोखर इस जिले में जल जीवन हरियाली का माडल बना है। एक बड़े सहित 13 छोटे-छोटे तालाबों के इस आंगन की पहचान से रौतारा निवासी शेख शोबराती की पहचान भी जुड़ चुकी है। तालाबों के बांध पर पौधारोपण के लिए दैनिक मजदूरी पर कई वर्ष पूर्व काम पर रखे गए शोबराती अभियान संपन्न होने के बाद भी इस आंगन के प्रेम को त्याग नहीं पाए। बीच के दौर में मनरेगा से पैसा मिलना भी बंद हो गया, लेकिन वे तालाबों व पौधों की देखरेख में जुटे रहे। जल जीवन हरियाली को लेकर जब गत वर्ष मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का वहां कार्यक्रम तय हुआ तो शोबराती की यह साधना सूर्खियों में आई।
आम लोग ही नहीं खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी शोबराती की इस साधना को जान भौचक्क रह गए थे। वे काफी देर तक शोबराती से बात भी की थी और फिर शाल देकर उन्हें सम्मानित भी किया था। अब फिर से उन्हें मनरेगा से दैनिक मजदूरी का भुगतान हो रहा है और वे पूर्व की तरह तालाबों व पौधों की देखभाल में जुटे हुए हैं।
फिलहाल शेख शोबराती जल व पर्यावरण संरक्षण को लेकर आम लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बन गए हैं। लोग मानते हैं कि उनके लगन के कारण ही आज न केवल तालाबों का यह बसेरा चमन है बल्कि यहां की हरियाली लोगों को भी खूब आकर्षित कर रही है। ठंड के मौसम में भी तालाबों में यह वहां मुमकिन नहीं है। यही नहीं किसी पौधे में एक कीड़ा भी लग जाए तो एक बच्चे की तरह शोबराती उसकी देखभाल शुरु कर देते हैं। शोबराती कहते हैं कि उनके इस जुनून का आरंभ में परिवार के लोग भी विरोध करते थे। खासकर जब उन्हें मनरेगा से मजदूरी मिलना भी बंद हो गया था, तो परिवार के लोग उन्हें कोसते भी थे। परंतु अब परिवार के लोग भी उनके इस जुनून का कायल हैं।