कनाडा में भारत के फर्जी सर्टिफिकेट पर ली नौकरी, सत्यापन में पकड़ा गया मामला, बिहार के इस विश्वविद्यालय फिर हुई चर्चा
बिहार के भागलपुर का तिमांविवि एक फिर चर्चा में आ गया है। यहां के फर्जी प्रमाणपत्र में कनाड़ा में नौकरी लेने का एक मामला सामने आया। इंटरनेशनल क्रिडेंसियल इवेल्यूएशन सर्विस ने सत्यापन के लिए किया मेल। सर्टिफिकेट पर टीएमबीयू के कुलसचिव का किया गया है फर्जी हस्ताक्षर।
भागलपुर (बलराम मिश्र)। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) के फर्जी सर्टिफिकेट पर एक युवक ने गलत तरीके से विदेश में नौकरी पा ली। यह जानकारी तब उजागर हुई जब कुलसचिव डा. निरंजन प्रसाद के ईमेल पर सर्टिफिकेट सत्यापन के लिए मेल आया। 10 जनवरी को कनाडा की इंटरनेशनल क्रिडेंसियल इवेल्यूएशन सर्विस (आइसीइएस) के ली फैरो ने कुलसचिव को मेल किया, जिसमें प्रजापति विपुल कुमार चंदूभाई के कई सर्टिफिकेट को सत्यापन के लिए अनुरोध किया गया है।
मेल में जो सर्टिफिकेट दिया गया है, उसमें फैकल्टी आफ मैनेजमेंट का अंक पत्र एवं मूल प्रमाण पत्र समेत कई कागजात थे। जो सर्टिफिकेट स्कैन कर मेल किए गए थे, उन सभी सर्टिफिकेट पर कुलसचिव के फर्जी हस्ताक्षर थे। वह हस्ताक्षर 30 दिसंबर 2021 को किए गए थे। इसमें जून 2010 को छात्र प्रथम स्थान से पास दिखाया गया। ओरिजनल सर्टिफिकेट पर कुलपति सीके दत्ता का हस्ताक्षर था। इस नाम से कभी भी कुलपति हुए ही नहीं हैं। वह 16 मार्च 2011 की तिथि को जारी किया गया है। उस पर कुलसचिव कार्यालय का फर्जी मुहर भी था।
सत्यापन के लिए जो अंक पत्र भेजा गया है। उसमें रोल नंबर 314638 अंकित है। यह अंक पत्र 19 फरवरी 2009 को जारी किया गया गया है। इस संबंध में कुलसचिव ने बताया कि जो सर्टिफिकेट सत्यापन के लिए मेल पर भेजे गए हैं, वे फर्जी हैं। जिस फार्मेट में अंक पत्र और ओरिजनल सर्टिफिकेट हैं, वह टीएमबीयू का नहीं है। अंक पत्र और सर्टिफिकेट में छात्र का फोटो लगा हुआ है, जबकि टीएमबीयू के फार्मेट में ऐसा नहीं होता है। उन्होंने कहा कि सभी दस्तावेजों पर उनका फर्जी हस्ताक्षर किया गया है। सीके दत्ता नाम से भी कोई कुलपति नहीं हुए हैं।
कुलसचिव ने कहा कि जिस एजेंसी द्वारा जांच के लिए सर्टिफिकेट भेजा गया है। उन्हें जवाब दिया जाएगा कि फर्जी दस्तावेज पर गलत तरीके से अधिकारियों के हस्ताक्षर किए गए हैं। जो दस्तावेज दिए गए हैं, वे टीएमबीयू से जारी भी नहीं हैं।