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JLNMCH: थैलेसिमिया के इलाज के लिए अब नहीं जाना होगा बाहर, विभाग बनाने की मिली मंजूरी

भागलपुर और आसपास के जिले के लोगों के लिए खुशखबरी। जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल में जल्द थैलिसिमिया के मरीजों का इलाज होने लगेगा। इसके लिए सरकार ने अलग विभाग बनाने की मंजूरी दे दी है। इसके लिए कवायद शुरू कर दी गई है।

By Abhishek KumarEdited By: Published: Sat, 23 Jan 2021 08:10 AM (IST)Updated: Sat, 23 Jan 2021 08:10 AM (IST)
JLNMCH: थैलेसिमिया के इलाज के लिए अब नहीं जाना होगा बाहर, विभाग बनाने की मिली मंजूरी
भागलपुर और आसपास के जिले के लोगों के लिए खुशखबरी।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। अब शीघ्र ही जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल (जेएलएनएमसीएच) में थोलेसिमिया के मरीजों का इलाज अलग वार्ड में किया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग ने इसकी स्वीकृति भी दे दी है। साथ ही शिशु विभाग के अध्यक्ष डॉ. आरके सिन्हा ने 2000 स्क्वायर फीट की जमीन भी चिन्हित की है। जिसे स्वास्थ्य विभाग ने मंजूरी दे दी है।

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डॉ. सिन्हा ने कहा कि थैलिसिमिया के इलाज के लिए अलग से व्यवस्था नहीं थी। ऐसे मरीजों में खून की कमी होती है और बार-बार खून निश्शुल्क चढ़ाया जाता है। स्वास्थ्य विभाग को अलग विभाग के निर्माण के लिए पत्र दिया गया था। जिसे विभाग कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार ने स्वीकृत करते हुए 'डे केयर सेंटरÓ स्थापित करने का निर्णय लिया। जमीन का भी चयन कर विभाग को सूचित किया गया। अधिकारी जमीन देखकर संतुष्ट हुए। विभाग में इलाज के लिए चिकित्सक और नर्सों को रखा जाएगा। अस्पताल में जिले के अलावा अन्य राज्यों से प्रतिमाह मरीज आते हैं जिन्हें खून चढ़ाने के अलावा विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है।

मरीजों को होगी सहूलियत

जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल में थैलिसिमिया का इलाज शुरू होने से मरीजों को काफी सहूलियत होगी। अभी उन्हें इलाज के लिए बाहर जाना पड़ता है। कई मरीज पैसे के अभाव में इलाज के लिए नहीं जा पाते हैं। यहां पर इलाज शुरू हो जाने से सभी को आसानी होगी।

परिवार नियोजन पखवाड़ा आज से शुरु

वहीं, भागलपुर में परिवार नियोजन पखवाड़ा शुक्रवार से शुरु हो गया। सिविल सर्जन डॉ. विजय कुमार सिंह ने सदर अस्पताल में इसका उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि 31 जनवरी तक जिले में परिवार नियोजन के लिए ऑपरेशन और जागरुकता अभियान चलाया जाएगा। इस अवसर पर कार्यक्रम में आए लोगों को परिवार नियोजन के बारे में समझाया गया। केयर इंडिया की सुपर्णा ने कहा कि दो बच्चों के बीच तीन वर्ष का अंतर रहना चाहिए। इससे जज्जा और बच्चा दोनों स्वस्थ रहते हैं। सदर अस्पताल से परिवार नियोजन को लेकर रैली भी निकाली गई।  


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