JLNMCH: इमरजेंसी में लगे ड्यूटी चार्ट पर नहीं करें भरोसा, छह दिन बाद भी तिथि नहीं बदली गई
JLNMCH 13 सितंबर का लगा है ड्यूटी चार्ट मरीज के स्वजन भी भ्रमित हो रहे। रविवार को लगे ड्यूटी चार्ट में तिथि 13 सितंबर अंकित थी यानी छह दिन बाद भी तिथि नहीं बदली गई। इससे मरीजों और स्वजनों को काफी परेशानी है।
जागरण संवाददाता, भागलपुर। मायागंज अस्पताल की इमरजेंसी कंट्रोल रूम की ड्यूटी चार्ट की तिथि नहीं बदली जाती। जब भी मरीज को परेशानी होती है और स्वजन कंट्रोल रूम आते हैं, तब ड्यूटी चार्ट में तिथि देखकर भ्रमित हो जाते हैं। क्योंकि चार्ट में तिथि और तीनों पालियों में किसकी ड्यूटी है, उसके नाम अंकित किए जाते हैं। रविवार को भी ऐसा ही था। ड्यूटी चार्ट में तिथि 13 सितंबर अंकित थी, यानी छह दिन बाद भी तिथि नहीं बदली गई।
कंट्रोल रूम में स्वास्थ्य प्रबंधक सहित डेटा आपरेटर रहते हैं। मरीजों को परेशानी होने पर इन्हीं के पास स्वजन जाते हैं और समस्या बताने पर उसका समाधान भी करते हैं। ड्यूटी चार्ट में अस्पताल प्रबंधक, स्वास्थ्य प्रबंधक, डेटा आपरेटर के नाम अंकित रहते हैं। तीनों पालियों में ड्यूटी करने वाले स्वास्थ्य प्रबंधक और डेटा आपरेटर के नाम भी रहते हैं। इसके अलावा ट्रालीमैन, मानव बल और सुरक्षा गार्ड के सुपरवाइजर के नाम और सभी के मोबाइल नंबर भी लिखे रहते हैं, ताकि जरुरत पडऩे पर इनमें बात की जा सके।
इमरजेंसी में जब मरीज की हालत खराब हुई और रविवार को स्वजन रवि शंकर कंट्रोल रुम गए ड्यूटी चार्ट की तिथि 13 सितंबर का देखकर भ्रमित हो गए। उन्होंने कहा कि किससे बात करें, चार्ट तो 13 सितंबर का है। जब उनसे कहा गया कि कंट्रोल रुम जाय, तब उन्होंने कंट्रोल रुम में डेटा आपरेटर से बात की। बताया गया कि कभी-कभार डयूटी चार्ट की तिथि बदली जाती है। तिथि और जिनकी ड्यूटी है नाम अंकित कंट्रोल रुम के कर्मचारियों द्वारा ही किया जाता है।
बुखार से तपता रहा शिशु, भर्ती होने के दो घंटे बाद भी इलाज नहीं हुआ
रविवार को डाक्टर छुट्टी के मूड में रहते हैं। इमरजेंसी जैसे विभाग में भी डाक्टर समय पर नहीं आते। यश बुखार से तपता रहा, लेकिन उसका इलाज दो घंटे बाद भी नहीं हुआ। स्वजन बच्चे को लेकर परेशान थे। ड्यूटी पीजी के छात्रों को करनी थी।
रविवार को इमरजेंसी शिशु विभाग में 10 बजे घोरैया के आठ माह के यश को स्वजन ने भर्ती करवाया। वह बुखार से तप रहा था। साढ़े बारह बजे तक डाक्टर देखने नहीं आए थे। स्वजन ने कहा कि बुखार उतारने के लिए खुद मेडिकल से दवा खरीद कर खिलाया। बताया गया कि उक्त विभाग में साढ़े बारह बजे तक राउंड किया ही नहीं गया। 10 बच्चे भर्ती थे। अस्पताल अधीक्षक डा. असीम कुमार दास ने कहा कि इमरजेंसी में डयूटी कर रहे डाक्टर को देखना चाहिए। शिशु विभाग में राउंड करने डाक्टर क्यों नहीं आए, इसकी जानकारी ली जाएगी।
पांच वायरल और दो निमोनिया के मरीज भर्ती
मायागंज अस्पताल की इमरजेंसी में 24 घंटे में सात शिशुओं को भर्ती किया गया। इनमें पांच वायरल और दो निमोनिया से पीडि़त हैं। 13 से 15 वर्ष के किशोरों को भर्ती किया गया है। छह वायरल फीवर के हैं और दो शिशुओं की सांसें तेज चलने पर उन्हें आक्सीजन पर रखा गया है। विभाग के अध्यक्ष डा केके सिन्हा ने कहा कि अब धीरे-धीरे वायरल फीवर से पीडि़त मरीजों की संख्या में कमी आ रही है।