JLNMCH Bhagalpur: सेवानिवृत्त प्राध्यापक को हटा हमें बनाएं अध्यक्ष
JLNMCH Bhagalpur मेडिकल कालेज अस्पताल के डाक्टरों ने प्रमंडलीय आयुक्त और प्राचार्य से मिलकर दिया आवेदन। प्रधान सचिव चंचल कुमार के निर्देश के बाद अस्पताल के डाक्टरों ने बिना देर किए प्रमंडलीय आयुक्त और प्राचार्य से मुलाकात की और उन्हें आवेदन दिया।
जागरण संवाददाता, भागलपुर। सेवानिवृत डाक्टरों को अध्यक्ष पद पर नियोजन नहीं किए जाने के प्रधान सचिव चंचल कुमार के निर्देश के बाद जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल के डाक्टरों ने बिना देर किए प्रमंडलीय आयुक्त और प्राचार्य से मुलाकात की और उन्हें आवेदन दिया। जिसमें कहा गया कि सेवानिवृत्त प्राध्यापक को पद से हटाकर हमें अध्यक्ष बनाएं।
दरअसल, जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल के कई विभागाध्यक्ष सेवानिवृत्त होने के बाद भी सरकार के आदेश पर अध्यक्ष बने हुए हैं। जबकि उनके सेवानिवृत्त होने के बाद दूसरे डाक्टर को अध्यक्ष बनना था, नहीं बन पाए। इसलिए उनमें नाराजगी है। एक-दो बार पर विभाग जाकर अपना विरोध भी जता चुके हैं।
इन विभागों में अध्यक्ष के पद पर हैं सेवानिवृत्त प्राध्यापक - मेडिसीन, माइक्रोबायलोजी, ईएनटी, पैथोलोजी, हड्डी रोग विभाग, टीबी एंड चेष्ट विभाग।
प्रमंडलीय आयुक्त आयुक्त कार्यालय जाने वालों में डा. अभिलेष कुमार, डा. सत्येंद्र कुमार, डा. मसीह आजम, डा. धर्मेंद्र कुमार, डा. दीपक कुमार, डा. हेम शंकर शर्मा और डा. राजकमल चौधरी थे। इनमें से डा. हेमशंकर शर्मा और डा. राजकमल चौधरी ने प्रमंडलीय आयुक्त को आवेदन सौंपा।
फिर सात अक्टूबर को मेडिकल कालेज के प्राचार्य को तीन डाक्टरों ने आवेदन दिया। जिसमें कहा गया कि सेवानिवृत्त चिकित्सक को अध्यक्ष पद से हटाकर मुझे बनाएं।
तीन डाक्टरों ने आवेदन दिया है। उच्चाधिकारियों का जो निर्देश होगा, उसका पालन किया जाएगा। - डा. हेमंत कुमार सिन्हा, प्राचार्य, मेडिकल कालेज
सेवांत लाभ के मामले में 26 डीडीओ के वेतन पर रोक
सेवानिवृत्त कर्मचारियों के सेवांत लाभ से संबंधित मामलों को लंबित रखने वाले 26 निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी (डीडीओ) के वेतन पर रोक लगा दी गई है। जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन ने इस आशय का आदेश जारी कर दिया है। जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन ने सभी डीडीओ को आठ अक्टूबर तक सेवांत लाभ से संबंधित पूरी जानकारी मांगी थी। उन्होंने निर्देश दिया था कि सेवांत लाभ से संबंधित अभी तक लंबित सभी मामले की जानकारी भेजी जाए, लेकिन कई डीडीओ ने जानकारी नहीं भेजी। कुछ ने लंबित रहने की बात कही। ऐसे अधिकारियों के वेतन पर रोक लगाई गई है। साथ ही स्पष्टीकरण पूछा गया है।