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कुपोषण से जंग, सोशल मीडिया के संग, जिला प्रशासन ने शुरू की कवायद, बनाया इंटरनेट मीडिया ग्रुप

अब कुपोषण व एनीमिया के खिलाफ इंटरनेट मीडिया के सहारे जंग शुरू की गई है। उपविकास आयुक्त के निर्देश पर कुपोषित व अल्परक्तता की शिकार महिलाएं और गर्भवती की पहचान उपचार और मॉनिटरिंग की कवायद इंटरनेट मीडिया के सहारे शुरू हुई है।

By Dilip Kumar shuklaEdited By: Published: Mon, 08 Feb 2021 04:57 PM (IST)Updated: Mon, 08 Feb 2021 04:57 PM (IST)
कुपोषण से जंग, सोशल मीडिया के संग, जिला प्रशासन ने शुरू की कवायद, बनाया इंटरनेट मीडिया ग्रुप
इसके लिए बजाप्ते एक विशेष वाट्सएप ग्रुप बनाया गया है।

जमुई [आशीष कुमार चिंटू]। जिले में कुपोषण व एनीमिया के खिलाफ इंटरनेट मीडिया के सहारे जंग शुरू की गई है। भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी उपविकास आयुक्त मो. आरिफ अहसन के निर्देश पर कुपोषित व अल्परक्तता की शिकार महिलाएं और गर्भवती की पहचान, उपचार और मॉनिटरिंग की कवायद इंटरनेट मीडिया के सहारे शुरू हुई है। इसके लिए बजाप्ते एक विशेष वाट्स एप्प ग्रुप बनाया गया है जिसमें इससे संबंधित सभी विभाग के कर्मियों को जोड़ा गया है। इससे पहले इस प्रकार की मॉनिटरिंग की व्यवस्था नहीं थी। लिहाजा, अब कुपोषण और एनीमिया के चक्र को भेदने में  नई व्यवस्था के कारगर होने की प्रबल संभावना जताई जा रही है। जिले में एनीमिया रोग ने किस कदर पैर पसार रखा है उसे ऐसे समझा जा सकता है कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के अनुसार 6 से 59 महीने के  81.9 फीसद बच्चे और 15-39 वर्ष की 75.2 फीसद महिलाएं एनीमिया रोग के शिकार हैं।

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बनाया गया है हेल्थ एंड न्यूट्रीशन वाटस एप ग्रुप

हेल्थ एंड न्यूट्रीशन नाम से एक वाटस ग्रुप बनाया गया है। इस ग्रुप में उपविकास आयुक्त सहित स्वास्थ्य विभाग व आईसीडीएस के अलावा केयर इंडिया और आरबीएसके के कर्मी जुड़े हैं। ग्रुप में वरीय पदाधिकारी के साथ सीधे तौर पर फील्ड वर्कर के जुड़े होने से योजनाओं के क्रियान्वयन तेजी आई है। साथ ही हर कर्मी के कार्य की मॉनिटरिंग भी सहजता से हो रही है।  

फोटो के साथ डालना है डिटेल

बताया जाता है कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा विभिन्न अस्पतालों और बुधवार व शुक्रवार को क्षेत्र में गर्भवती की विशेष जांच की जाती है। जांच में हीमोग्लोबिन निर्धारित से कम पाए जाने पर उक्त गर्भवती को उपलब्ध कराए गए उपचार, दवाई की जानकारी सहित फोटो वाटस एप ग्रुप में भेजा जाता है। इसके अलावा आशा कार्यकर्ता और आइसीडीएस विभाग द्वारा भी कुपोषित महिला और बच्चों की पहचान व उपचार की जानकारी ग्रुप में भेजी जाती है। पूर्व से कुपोषित या एनीमिक का फॉलोअप किया जाता है। बताया जाता है कि इस व्यवस्था में वरीय पदाधिकारी का सीधे निचले स्तर के कार्यकर्ता से जुड़े होने के कारण कर्मियों में एक नई उर्जा का संचार हुआ है। किसी कर्मी द्वारा कुपोषित या एनीमिक महिला की पहचान व उपचार संंबंधित फोटो ग्रुप पर डालते ही उपविकास आयुक्त द्वारा शाबासी देने का मैसेज कर्मियों को प्रोत्साहित कर रहा है। हालांकि इस व्यवस्था ने टेबल तोडऩे वाले और हर काम में समस्या गिनाने वालों को परेशान कर दिया है।

उपविकास आयुक्त के निर्देश व पहल पर वाटस एप्प ग्रुप बनाकर कुपोषितों और एनीमिकों की पहचान व उपचार किया जा रहा है। इस ग्रुप के बनाने से काम में तेजी व पारदर्शिता आई है तो कर्मियों को मनोबल बढ़ा है। हर दिन बड़ी संख्या में एनीमिक महिला के पास संबंधित कर्मी पहुंच रहे हैं। - सुधांशु नारायण लाल,  डीपीएम, जिला स्वास्थ्य समिति, जमुई।


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