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जमुई में सरकारी उदासीनता का दंश झेल रहा प्रकृति का अनुपम उपहार धोबघाट

प्राकृतिक सुंदरता को समेटे जमुई जिला के बामदह पंचायत के ताराखर गांव से कुछ ही दूरी पर स्थित धोबाघाट पर्यटन स्‍थल बनने के लिए किसी मसीहे का तलाश कर रहा है। यहां की सुंदरता बरबस पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। झरना देखने बड़ी संख्‍या में लोग आते हैं।

By Amrendra kumar TiwariEdited By: Published: Wed, 30 Dec 2020 07:10 AM (IST)Updated: Wed, 30 Dec 2020 07:10 AM (IST)
जमुई में सरकारी उदासीनता का दंश झेल रहा प्रकृति का अनुपम उपहार धोबघाट
पर्यटकों को लुभाता है धोबाघाट का झरना

जागरण संवाददाता, जमुई। पहाड़ों एवं जंगलों से घिरे चकाई प्रखंड में वैसे तो प्रकृति ने अपना सप्तरंगी छटा खूब बिखेरा है लेकिन कुछ स्थलों पर प्रकृति की विशेष कृपा बरसी है। चकाई में दर्जनों ऐसे जगह हैं, जहां हरे भरे पेड़-पौधों के बीच पहाड़ी झरने लोगों को अपनी ओर खूब आकर्षित करता है, लेकिन सरकारी उदासीनता ने इन सबकी चमक को फीका कर रख दिया है। ऐसा ही एक मनोरम स्थल है चकाई प्रखंड से महज तीन किमी की दूरी पर स्थित धोबाघाट। चकाई -जमुई मुख्य पथ पर अवस्थित बामदह पंचायत के ताराखर गांव से महज कुछ मीटर की दूरी पर यह स्थल है।

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धोबाघाट का झरना लोगों के आकर्षण का केंद्र

खजूर के अनगिनत पेड़ों सहित अन्य पेड़-पौधों के बीच अपनी छटा बिखेरता धोबाघाट झरना बरबस लोगों को अपनी ओर खींच लेता है। यही कारण है कि यहां सालो भर बड़ी संख्या में लोग पिकनिक मनाने आते हैं। खासकर अंग्रेजी नववर्ष के आगमन पर यहां पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है। साथ ही मकर संक्रांति के अवसर पर यहां मेले का आयोजन होता है जिसमें बड़ी संख्या में चकाई के विभिन्न गांवों के लोग यहां आते हैं। धोबाघाट में कल-कल करती पानी की सफेद धार जब अठखेलियां करती पहाड़ों से नीचे उतरकर इठलाती हुई गुजरती है तो ²श्य काफी रोमांचक हो जाता है।

पर्यटकों के लिए भी है आनंददायी

छोटी-छोटी श्रृंखलानुमा पहाडिय़ों के अगल-बगल उगी झाडिय़ों से होकर बहते पानी की धार ²श्य को आकर्षक बनाने के लिए काफी है। यहां का वातावण इतना शांत है कि यहां आने के बाद केवल जल का संगीत ही सुनाई पड़ता है। यही कारण है कि पर्यटकों के लिए यह स्थल काफी आनंददायक भी है। यही नहीं, धोबघट पुल के बगल में प्राचीन शिव-पार्वती का एक छोटा मंदिर है, जहां स्थानीय लोग पूजा-अर्चना के लिए पहुंचते हैं लेकिन दुर्भाग्यवश प्रकृति के इस अनुपम उपहार की भरपूर उपेक्षा सरकार एवं प्रशासन द्वारा की गई है।

सौंदर्यीकरण की आज तक नहीं हुई पहल

अब तक धोबाघाट को पर्यटक क्षेत्र के रूप में विकसित करने का कोई प्रयास नहीं किया गया है। वैसे बीच-बीच में स्थानीय लोग मीडिया के माध्यम से सरकार एवं जनप्रतिनिधियों से धोबाघट की किस्मत चमकाने की मांग जरूर करते हैं लेकिन अब तक उसका कोई फायदा नहीं हो पाया है। सुंदरीकरण की बात तो दूर, अब तक इस खूबसूरत स्थल को एक अदना सा छतदार चबूतरा भी नसीब नहीं हो पाया है। जिसके आड़ में पर्यटक धूप एवं बरसात में अपने आप को सुरक्षित रख सके।


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