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...कहिए तो रेफर कर दें

जमुई में सबसे बड़े अस्पताल सदर अस्पताल के दो तल्ले को डेडिकेटेड कोविड केयर बनाया गया है। कोरोना संक्रमित रोगियों का इलाज किया जाता है। अस्पताल का प्रबंधन काफी हद तक ठीक है पर आधुनिक सुविधा का अभाव है।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Thu, 20 May 2021 05:17 PM (IST)Updated: Thu, 20 May 2021 05:17 PM (IST)
...कहिए तो रेफर कर दें
जमुई सदर अस्‍पताल में भर्ती कोरोना मरीज।

जागरण संवाददाता, जमुई। जिले के सबसे बड़े अस्पताल जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल के दो तल्ले को डेडिकेटेड कोविड केयर बनाया गया है। यहां कोरोना संक्रमित रोगियों का इलाज किया जाता है। अस्पताल का प्रबंधन काफी हद तक ठीक है पर आधुनिक सुविधा का अभाव है। हालांकि ऑक्सीजन कमी नहीं दिखती लेकिन सीटी स्कैन और वेंटिलेटर की कमी का दर्द रोगियों और उनके स्वजन को कचोटती है। स्वस्थ समाज की परिकल्पना और प्रयास के वादे के बीच अस्पताल में आधुनिक सुविधाओं का घोर अभाव है। वेंटिलेटर मशीन धूल फांक रहा तो आइसीयू और सीटी स्कैन की सुविधा सपना बना है।

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कोविड केयर से दरवाजे पर जमीन पर चकाई से भासो यादव तौलिया बिछा कर लेते थे। बताया कि पत्नी को कोरोना है। वह अंदर भर्ती उसके देखरेख के लिए यहां रहते हैं। बुजुर्ग पत्नी की तबीयत को लेकर परेशान दिखे। कहा कि व्यवस्था ठीक है। डाक्टर व नर्स देखने आते रहते हैं, लेकिन अगर वो सीरियस हो जाए तो हम कहां जाएंगे, यह सोच मन विचलित हो जाता है।

भर्ती एक मरीज के झाझा से आए स्वजन ने नाम नहीं बताया लेकिन कहा कि कभी-कभी ही चिकित्सक आते हैं। अगर बार-बार या दो-तीन बार बुलाने जाते हैं तो कहतें है कि हम क्या करें, यहां जो व्यवस्था है उसकी तरह इलाज करें ना। ज्यादा परेशानी है तो कहिए रेफर कर दें। इन्होंने बताया कि ऐसे कोई परेशानी नहीं है। हर बेड के बगल में ऑक्सीजन सिलेंडर रखा है।

भर्ती मरीज के एक स्वजन कुछ खासे उखड़े नजर आए। नाम पूछते ही कहा कि मेरे स्वजन भर्ती है मैं नाम नहीं बताउंगा। फिर कह उठे बताइए, यही विकास है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में दूसरे देश से सीख नहीं ली गई। वेंटिलेटर मशीन है मगर कर्मी के बिना धूल फांक रहा है। ना आइसीयू है और ना ही सीटी स्कैन की व्यवस्था। तरह-तरह का टैक्स व सेस पर स्वास्थ्य सुविधा टाय-टाय फिस्स। भर्ती मरीजों के स्वजन के रहने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है।

एक स्वजन ने कहा कि यहां व्यवस्था ठीक ही है लेकिन अगर हमारे मरीज की स्थिति गंभीर होती है तब क्या करेंगे। इस समय में उन्हें किस अस्पताल में लेकर जाएंगे। यहां गंभीर रोगियों के लिए तो कोई विशेष व्यवस्था नहीं है। ना आइसीयू है ना ही वेंटिलेटर। जिला में कम से कम एक सेंटर ो तो ऐसा होना चाहिए जहां आमलोगों के लिए सभी स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हो।

मरीज के साथ एक अटेनडेंट को खाना दिया जाता है। डाक्टर चौबीस घंटे के लिए तीन शिफ्ट में प्रतिनियुक्त है। अटेनडेंट के लिए अलग से वेटिंग रुम है। जो अटेनडेंट जमीन पर सो रहे उनसे बात की जाएगी। कारण जाना जाएगा। - डा विनय कुमार शर्मा, सिविल सर्जन, जमुई।

साफ-सफाई पर विशेष ध्यान है। इसके लिए दिन में तीन बार निरीक्षण करते हैं। नए बहाल हुए चिकित्सकों को सलाह मुशवरा भी देते हैं। - डा शैयद नौशाद अहमद, उपाधीक्षक सदर अस्पताल, जमुई।


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