हनक ऐसी... भटकते रहे लापता वाहन के मालिक, एसपी करते रहे इस्तेमाल, जानिए क्या है मामला
झाझा थाना क्षेत्र के पिपराडीह गांव निवासी जुगल यादव की ट्रक और स्कॉॢपयो पांच माह पहले चोरी हो गई थी। बरामदगी के बाद से एसपी आवास में लगा दिया गया। हालांकि तत्कालीन एसपी इस बात को लेकर इन्कार कर रहे हैं।
जमुई [अरविंद कुमार सिंह]। वाहन मालिक अपने लापता ट्रक और स्कॉर्पियो की तलाश में दर-दर भटकते रहे और तत्कालीन एसपी डॉ. इनामुल हक मेंगनू उस वाहन का इस्तेमाल करते रहे। हाईकोर्ट ने जब मामले में सख्ती दिखाई तो पुलिस महकमे में खलबली मच गई। आनन-फानन दोनों वाहनों को पुलिस ने बरामद कर लिया। मजेदार बात यह है कि तत्कालीन एसपी इस बात से इन्कार करते रहे कि स्कॉर्पियो उनके अधीन है, लेकिन तत्कालीन थानाध्यक्ष दलजीत झा ने स्टेशन डायरी में इसका जिक्र किया है। डॉ. मेंगनू अभी राजगीर पुलिस अकादमी में निदेशक के पद पर हैं। यद्यपि, वाहन पर लगा पास और गोपनीय शाखा प्रभारी का हस्ताक्षर भी जांच का विषय है। डॉ. मेंगनू से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया।
यह था मामला : झाझा थाना क्षेत्र के पिपराडीह गांव निवासी जुगल यादव की ट्रक और स्कॉॢपयो अगस्त, 2019 में एक साथ चोरी चली गई थी। झाझा थाने में इसे लेकर मामला दर्ज कराया गया। इसके बाद दोनों वाहनों को जामताड़ा पुलिस ने बरामद कर जमुई पुलिस को सूचना दी। जमुई जिले के झाझा थाने के एसआइ राजकुमार पासवान ने जामताड़ा पहुंचकर ट्रक और स्कॉॢपयो कब्जे में लिया। इसके बाद तत्कालीन पुलिस अधीक्षक डॉ. इनामुल हक मेंगनू के मौखिक निर्देश पर ट्रक और स्कॉॢपयो एसपी कोठी पहुंचा दी गई, यह आरोप लगाया गया। इस बात का जिक्र तत्कालीन थानाध्यक्ष दलजीत झा ने स्टेशन डायरी में भी किया, लेकिन तत्कालीन पुलिस अधीक्षक इसे सिरे से नकारते रहे। वे कहते रहे कि यदि थानाध्यक्ष के पास कोई लिखित निर्देश है तो दिखाएं। अब बुधवार को स्कॉर्पियो चरकापत्थर थाना क्षेत्र के घोड़वासालन गांव में एक बगीचे से बरामद कर ली गई। उसपर एसपी गोपनीय शाखा का स्टिकर/पास और तत्कालीन गोपनीय प्रभारी सरफराज अहमद के हस्ताक्षर हैं। वाहन पर ऑन इमरजेंसी ड्यूटी का भी बोर्ड लगा है।
उच्च न्यायालय के नोटिस के बाद हरकत में आई पुलिस
वाहन मालिक जुगल यादव ने वाहनों को रिलीज कराने के लिए पटना उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट के नोटिस पर पुलिस हरकत में आई। स्कॉॢपयो की तलाश में झाझा डीएसपी के अलावा चार अन्य पुलिस पदाधिकारियों को लगाया गया था, लेकिन सफलता चरकापत्थर थानाध्यक्ष के हाथ लगी। स्कॉॢपयो से बरामद ऑन इमरजेंसी ड्यूटी का पास यह साबित कर रहा है कि स्कॉॢपयो जामताड़ा से लाए जाने के बाद एसपी आवास के अधीन ही थी। अब जमुई पुलिस मामले में समुचित रिपोर्ट पटना हाईकोर्ट को प्रतिवेदित करने में जुट गई है। इससे पूर्व, लक्ष्मीपुर थाना क्षेत्र के अड़वडिय़ा के समीप से लावारिस अवस्था में ट्रक को 30 अगस्त, 2020 को बरामद किया गया था। उक्त ट्रक से अवैध बालू ढोए जाने की बात भी कही जा रही है। यद्यपि, पुलिस इसकी जांच कर रही है।
अनुसंधानकर्ता ने कोर्ट को किया था गुमराह
कांड के अनुसंधानकर्ता विजय कुमार ने कोर्ट को भी गुमराह कर दिया था। उसने 29 जून, 2020 को कोर्ट में समॢपत प्रतिवेदन में स्पष्ट कहा था कि दोनों वाहनों की बरामदगी अभी नहीं हो पाई है। जबकि 29 नवंबर, 2019 को ही जामताड़ा पुलिस ने दोनों वाहनों को जमुई पुलिस के हवाले कर दिया था। इस मामले में अनुसंधानकर्ता विजय कुमार को निलंबित कर दिया गया है। तत्कालीन थानाध्यक्ष दलजीत झा के खिलाफ भी विभागीय कार्रवाही शुरू कर दी गई है। बहरहाल, पूरे मामले की मॉनिटरिंग हाईकोर्ट द्वारा की जा रही है।
ठेकेदार टाइप नेताजी के पास थी स्कॉॢपयो
तत्कालीन पुलिस डॉ. इनामुल हक मेंगनू के तबादले के बाद स्कॉर्पियो के चकाई के एक ठेकेदार टाइप नेताजी के कब्जे में होने की बात कही जा रही है। बताया जाता है कि स्कॉॢपयो को गिरीडीह इलाके में छिपाकर रखा गया था। पुलिस की दबिश बढऩे पर उसे आनन-फानन चरकापत्थर इलाके में छोड़ा गया। अब पुलिस उक्त नेता की भी तलाश कर रही है।
बरामदगी के बाद वाहन के लापता होने के मामले को पुलिस ने गंभीरता से लिया है। यही वजह है कि स्कॉॢपयो की बरामदगी के लिए स्पेशल टीम का गठन किया गया था। पूरे मामले का प्रतिवेदन उच्च न्यायालय को प्रेषित किया जा रहा है। - प्रमोद कुमार मंडल, पुलिस अधीक्षक, जमुई
कोरोना काल के समय तत्कालीन एसपी के आदेश पर इस तरह के पास बनाए जाते थे। राहत सामग्री वितरण आदि में ऐेसे वाहनों का उपयोग किया जाता था। प्रभारी होने के नाते स्टिकर/पास पर मेरे दस्तखत हैं।
- सरफराज खान, तत्कालीन गोपनीय प्रभारी, एसपी आवास, जमुई।