16 साल से जरायम की दुनिया में जमी रही पैठ, उसी में नस्तेनाबूत, जमुई के कुख्यात की बांका में हत्या
जमुई का कुख्यात अपराधी दीपक तांती का शव बांका के कटोरिया के सिजुआ जंगल से मिला। वह 16 साल से जरायम की दुनिया में दहशत फैला रहा है। पिछले चार साल से समाज की मुख्य धारा में लौटना चाह रहा था।
जमुई [मणिकांत]। बांका जिला के कटोरिया थाना क्षेत्र अंतर्गत सिजुआ जंगल में अपराधियों की गोली का शिकार हुआ कुख्यात अपराधी दीपक तांती का आपराधिक रिकार्ड काफी लंबा रहा है। उसके खिलाफ जमुई नगर थाना, लक्ष्मीपुर, झाझा एवं मुंगेर जिला के खड़गपुर थाना में कुल 20 मामले दर्ज हैं। अकेले लक्ष्मीपुर थाना में छोटे-बड़े 16 मामले दर्ज हैं। बताया जाता है कि 16 साल पहले दीपक ने लूट की घटना को अंजाम देकर अपराध की दुनिया में कदम रखा था। इसके बाद अपराध की दुनिया में लगातार आगे बढ़ता रह और डकैती, लूट, हत्या अपहरण की घटनाओं को अंजाम देने लगा। दीपक के खिलाफ न्यायालय में कई मामले लंबित हैं। फिलहाल वह जमानत पर था। दीपक तांती का शव बांका के कटोरिया के सिजुआ जंगल से बरामद किया गया है। शव का शिनाख्त स्वजनों ने किया है।
विकास यादव की हत्या के बाद अपराध की दुनिया का बड़ा नाम
साल 2005 की बात है। बांका जिला के बेलहर थाना क्षेत्र के संग्रामपुर निवासी अनिल यादव के साथ गुलाबी यादव एवं दीपक तांती ने लोरिक सेना का गठन किया था। अनिल यादव की नक्सलियों ने हत्या कर दी थी। इसके बाद गिरोह का उत्तराधिकारी बनने को लेकर गुलाबी और दीपक के बीच ठन गई। दीपक ने जिनहरा काली मंदिर के पीछे कोलसार में सो रहे बोढो यादव के पुत्र विकास यादव की हत्या गुलाबी यादव मानकर कर दी। इसके बाद दीपक इलाके में आतंक का पर्याय बन गया। उसके डर से कोई कुछ नहीं बोलता था।
जेल जाना और छूटना आम बात
दीपक का जेल जाना और छूटना आम बात थी। लोगों को धमकाना, रंगदारी मांगना, नहीं देने पर मारपीट करना इसके लिए बाएं हाथ का खेल था। लक्ष्मीपुर थाना क्षेत्र में सड़क निर्माण कराने वाले ठीकेदार से रंगदारी की मांग की थी। नहीं देने पर निर्माण स्थल पर बमबाजी की थी। इसके अलावा भी उसने कई घटनाओं को अंजाम दिया। जिससे लोग उससे खौफ खाते थे।
पंचायत चुनाव लड़ने की कर रहा था तैयारी
दीपक आगामी पंचायत चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटा था। यही कारण है कि पिछले साल से पुलिस रिकार्ड में उसके खिलाफ कोई मामला दर्ज हुआ। कहा जाता है कि वह अपराध की दुनिया को छोड़ समाज की मुख्य धारा में जुटने को लेकर प्रयासरत था। पंचायत के लोगों के साथ बैठकर वह अपनी अलग छवि स्थापित कर रहा था।