जमुई: जमीन और मामूली विवाद में लगातार हो रहीं हत्याएं, छह माह में बढ़ गया है अपराध का ग्राफ
जमुई में हाल के दिनों में क्राइम का ग्राफ बढ़ गया है। जमीन और मामूली विवाद में लगातार हत्याएं हो रही हैं। कहीं भाई-भाई की हत्या कर रहा है तो कहींं चाचा और भतीजे के बीच विवाद चल रहा है। ऐसे में...
संवाद सहयोगी, जमुई। जिले का सोनो थाना क्षेत्र हो या फिर चरकापत्थर। यहां मामूली विवाद को लेकर खून के रिश्ते तार- तार होते रहे हैं। जमीन विवाद के अलावा मूंछ की लड़ाई में कोख का रिश्ता कलंकित होता रहा है। सोनो व चरकापत्थर थाना क्षेत्र में सगे भाइयों, भाई -भतीजों के बीच खूनी संघर्ष की लंबी फेहरिस्त रही है। पिछले पांच वर्षों में यहां दर्जनभर लोगों की जानें अपनों ने ही ली है। बुधवार को चरकापत्थर थाना क्षेत्र के थम्हन में चचेरे भाइयों ने महज दो बीघा जमीन को लेकर दो भाइयों पर धारदार हथियार से हमला कर दिया जिसमें छोटे भाई उमेश यादव की मौत हो गई, वहीं बड़े भाई बिरो यादव की भी हालत नाजुक बनी हुई है।
चार वर्षों में दर्जन भर से अधिक लोगों ने गवाई जान
रिश्तों की कड़वाहट, स्वार्थ की बौखलाहट इसी कड़ी का हिस्सा है। 14 नवंबर 2018 को लहथरा गांव निवासी गोविंद यादव की हत्या चापाकल विवाद में कर दी गई थी। जमीन विवाद में खून के रिश्ते किस कदर खूनी रिश्ते साबित होते रहे हैं, इसकी बानगी चार जुलाई 2018 को केशोफरका गांव में भी देखने को मिली थी। जहां दो सगे भाइयों के बीच तलवारें खींची थी।
छोटे भाई भगवान राय ने बड़े भाई विरेंद्र राय पर तलवार चला दी थी। ऐसा ही एक मामला अगस्त 2017 को सोनो थाने में दर्ज कराया गया था। जब पैरामटिहाना पंचायत के भरतपुर गांव में जमीन विवाद में निजाम अंसारी व मकबूल अंसारी के परिवार आपस में भिड़ गए थे। उक्त घटना में नसरुद्दीन मियां का पुत्र तथा उसकी पत्नी समीना खातून गंभीर रूप से घायल हुए थे।
नौ अगस्त 2017 को खून के रिश्ते को शर्मसार कर देने वाली एक घटना लखनकियारी पंचायत के सलोनी गांव में घटित हुई थी। भुवनेश्वर मंडल तथा उसके पुत्र को उसके बड़े भाई ने कुल्हाड़ी से मारकर बुरी तरह जख्मी कर दिया था। रजौन पंचायत के दुधनिया गांव में जमीन विवाद का मामला नक्सलवाद से जुड़ा। एक की हत्या हुई तो दो दर्जन नामजद किए गए।
जमीन विवाद के लिए सुर्खियों में रहने वाले सोनो प्रखंड में पिछले चार वर्षों में दर्जन भर से अधिक लोगों ने जान गवाई है। चार दर्जन से अधिक लोग जख्मी हुए हैं। सर्वाधिक त्रासद पहलू यह है कि जमीन विवाद में रिश्तों का ही कत्ल होता रहा है। कहीं भाई - भाई आमने-सामने हुए तो कहीं चाचा - भतीचे ने एक दूसरे को निशाना बनाया। लहथरा गांव में गोङ्क्षवद यादव की हत्या का कारण चापाकल विवाद भले ही बताया गया लेकिन इसके पीछे वहां दो पक्षों में वर्षों से चले आ रहे जमीनी विवाद को मुख्य कारण माना गया।
दोनों पक्षों में पूर्व में भी कई बार हिंसक संघर्ष हो चुकी थी जिसमें जगदीश यादव समेत दो की हत्या हो चुकी है। अगस्त 2017 को सारेबाद पंचायत के तहवाला गांव में जमीनी विवाद में हुई तीन लोगों की हत्या को लोग अभी तक नहीं भूल पाए हैं। यहां बता दें कि ब्रह्मदेव यादव तथा भरत यादव के बीच जमीन विवाद में भरत यादव तथा उसके बड़े भाई सरयुग यादव तथा एक अन्य अखिलेश यादव की हत्या कर दी गई थी।
सारेबाद पंचायत के बाराटांड़ गांव में सीताराम यादव और नरेश यादव के बीच नौ अगस्त 2016 को जमीनी विवाद में आधा दर्जन लोग जख्मी हुए थे। 14 जून 2017 को असहना में दो चचेरे भाइयों के बीच जमीनी विवाद को लेकर तलवारें चली। 18 नवंबर 2018 को कुरकुट्टा गांव में मिट्टी निकालने को लेकर दो सगे भाइयों सत्यनारायण साह तथा शिवनारायण साह का परिवार आपस में भिड़ गया।
19 नवंबर 2019 को सोनो के रमानी टोला में एक ही परिवार के दो पक्षों के बीच महज तीन डिसमिल जमीन के लिए जमकर मारपीट हुई थी जिसमें आधा दर्जन से अधिक लोग घायल हो गए थे। वर्ष 2020 और 2021 में भी जमीन विवाद में ङ्क्षहसक झड़प की लंबी फेहरिस्त है और आए दिन दोनों थाना क्षेत्र में इससे जुड़े मामले लगातार दर्ज होते रहे हैं।
जमीन विवाद से जुड़ी घटनाओं को लेकर हरेक बिंदु पर पुलिस मोनेटरिंग कर रही है। साथ ही जमीन विवाद से जुड़े मामले में पुलिस त्वरित कार्रवाई करती है। -रविशंकर प्रसाद, एसडीपीओ, झाझा।