एसटीपी योजना के क्रियान्वयन के लिए एनआइटी पटना की तीन सदस्यीय टीम पहुंची जमालपुऱ्
मुंगेर जिला में जल्द गंगा की पवित्रता को बरकरार रखने के लिए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट ( एसटीपी) बनेगा। इसके लिए पटना एनआइटी से आई तीन सदस्यीय टीम ने पूर्व से चयनित आधे दर्जन से अधिक स्थानों का निरीक्षण किया। इसके बाद वापस पटना लौट गए।
जागरण संवाददाता, मुंगेर । गंगा की पवित्रता को बरकरार रखने के लिए भारत सरकार ने कई योजनाओं शुरू की है। इसी क्रम में जमालपुर नगर परिषद क्षेत्र में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट ( एसटीपी) के लिए पूर्व से चयनित स्थानों का जायजा लेने एनआइटी पटना के प्रोफेसरों की तीन सदस्यीय टीम जमालपुर पहुंची। टीम के सदस्यों ने एक-एक चयनित स्थल का भौतिक सत्यापन किया। इसके बाद योजना के क्रियान्वयन से संबंधित पूरी जानकारी स्थानीय अधिकारियों से लेकर वापस लौट गई। मालूम हो कि एसटीपी योजना के लिए पटना से आई टीम के पास पूर्व से डीपीआर उपलब्ध थी। पूर्व से चयनित स्थान पर इस योजना के क्रियान्वयन में कुछ परेशानी की भी चर्चा टीम के सदस्यों द्वारा की जा रही थी।
क्या है एसटीपी योजना
सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट( एसटीपी) गंदे नाले का पानी गंगा नदी या पोखर में प्रवाहित ना हो और उसके जल की शुद्धता बरकरार रहे, इसको लेकर सरकार द्वारा इस योजना की शुरुआत की गई है। यह योजना पूर्व में ही बनारस एवं इलाहाबाद जैसे शहर में क्रियान्वित कर दी गई है। इस योजना का चयन सरकार द्वारा वैसे शहर के लिए किया जा रहा है, जो गंगा किनारे अवस्थित है।
योजना के लिए दो से तीन एकड़ जमीन की होगी आवश्यकता
सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के लिए ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करने के लिए दो से तीन एकड़ जमीन की आवश्यकता होती है। इस योजना में नाले के गंदे पानी की सफाई करने के बाद पानी को गंगा नहर या तालाब में गिराया जाता है, ताकि जल श्रोतों को प्रदूषित होने से बचाया जा सके।
एनआइटी की टीम ने किया अवलोकन
पटना एनआइटी के प्रोफेसर एसएस मोर्य के नेतृत्व में पहुंची तीन सदस्यीय टीम ने नगर परिषद क्षेत्र के कई चयनित स्थानों का भौतिक सत्यापन किया। टीम ने बुडको के कार्यपालक अभियंता रामायण राम, नगर परिषद के सहायक अभियंता विवेक कुमार एवं सफाई निरीक्षक सतनारायण कुमार को साथ लेकर लक्ष्मणपुर, रामनगर तालाब, सफियाबाद पुल, डोका नाला फुल्का, फरीदपुर डकरा नाला, काली पहाड़ी की तराई में स्थित तालाब, पहाड़ की तराई में बसे बियाडा की जमीन एवं फिल्टर वाटर वक्र्स पर पहुंचकर ट्रीटमेंट संबंधी जानकारी हासिल की। फिल्टर वाटर वक्र्स पर पहुंच कर टीम ने यह जानकारी ली कि किस प्रकार से यहां वाटर ट्रीटमेंट कर रेलवे के क्षेत्र में पेयजल की आपूर्ति की जाती है।