फलदार और औषधीय पौधे स्वस्थ और समृद्ध जीवन का आधार
राज्य में बड़ी संख्या में फलदार और औषधीय पौधे लगाए जा रहे हैं जो स्वस्थ और समृद्ध जीवन का आधार बन रहे हैं।
भागलपुर [अमरेंद्र कुमार तिवारी]। राज्य में बड़ी संख्या में फलदार और औषधीय पौधे लगाए जा रहे हैं, जो स्वस्थ और समृद्ध जीवन का आधार बन रहे हैं। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के साथ-साथ आम जनता भी इसमें सक्रिय भूमिका निभा रही है।
एक तरफ जहां फल खाने से लोगों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ रही है। वहीं दूसरी तरफ लोग इमारती लकड़ियों से घर मकान बनाने के साथ-साथ अपना आर्थिक आधार भी मजबूत कर रहे हैं। फलदार पेड़ किसानों व बागवानों को स्वरोजगार भी प्रदान कर रहा है। शाहकुंड के किसान मृगेंद्र प्रसाद सिंह का कहना है कि जब मनुष्य प्रकृति की गोद में जाता है तो उसे शाति की प्राप्त होती है। प्राचीन काल में ऋषि-मुनि भी वन में जाकर तपस्या करते थे और ज्ञान प्राप्त करते थे। पेड़-पौधे हमारे जीवन का आधार हैं। पेड़-पौधे न होते तो पृथ्वी पर जीवन संभव न होता। जीने के लिए प्राणवायु हमें पौधे ही प्रदान करते हैं। इसकी महत्ता हर किसी को समझने की जरूरत है।
कठिनाइयों से बचने के लिए पेड़ों का करें संरक्षण
यूं तो पेड़-पौधे हमार लिए शारीरिक, मानसिक और आíथक तीनों ही स्तरों पर उपयोगी होते हैं। ये हमें प्राकृतिक आपदा से बचाते हैं। गिरते जलस्तर को बचाने व बारिश लाने में भी सहायक हैं। वायुमंडल को स्वच्छ व संतुलित रखने में वृक्षों की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है। हमें आने वाली कठिनाइयों से पार पाने के लिए वृक्षों का संरक्षण हर हाल में करना होगा। पेड़-पौधे सेहत के लिए लाभदायक हैं। नीम औषधीय पेड़ है। गिलोय खासी के लिए लाभदायक होता है। अमरूद मधुमेह के रोगियों के लिए रामबाण का काम करता है। आम शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
पेड़-पौधों से प्रदेश के राजस्व में वृद्धि
औषधीय पौधे, इमारती और फलदार पेड़ किसानों के साथ-साथ राज्य सरकार के राजस्व में भी वृद्धि कर रहे हैं। सरकार कृषि वानिकी योजना के तहत किसानों को खेतों के मेड़ पर इमारती लकड़ी और फलदार पौधे लगाने के लिए प्रेरित कर रही है। इसके लिए प्रति जीवित पौधे किसानों को 60 रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। साथ ही पौधे की कीमत के रूप में लिए गए 10 रुपये भी लौटा दिए जाएंगे। इससे न सिर्फ किसानों की आय दोगुनी होगी, बल्कि प्रदेश का भी राजस्व बढ़ेगा। जिले के किसानों को 55 हजार महोगनी, सागवान एवं फलदार पौधे देने का लक्ष्य है।
वन विभाग को मिला 20 लाख का राजस्व
भागलपुर वन प्रमंडल के जिला वन अधिकारी (डीएफओ) एस सुधाकर ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2019-20 में 20 लाख रुपये राजस्व जमा करने का लक्ष्य मिला था। इसे प्राप्त कर लिया गया है। उन्होंने कहा वन विभाग को यह राजस्व आंधी-तूफान में गिरे पेड़, सूखे पेड़, सड़क चौड़ीकरण में काटे गए पेड़ से प्राप्त होते हैं। उसे डीपो में लाकर उसकी नीलामी की जाती है। इसके अलावा आरा मील के नवीकरण से भी राजस्व की प्राप्ति होती है। यह सूबे के राजस्व वृद्धि में सहायक होता है।
विलुप्त हो रहे शीशम के पौधे
जिले से शीशम के पेड़ विलुप्त हो रहे हैं। वनस्पति विशेषज्ञों की मानें तो दीमक का प्रकोप बढ़ने एवं जलस्तर नीचे गिरने से शीशम सहित अन्य पेड़ विलुप्त हो रहे हैं। इसके अलावा बेतहाशा रसायनिक खाद एवं कीटनाशी दवा का प्रयोग भी पेड़-पौधों के सेहत को प्रभावित कर रहा है।
निजी और सरकारी नर्सरी में उपलब्ध है पीपल-बरगद के पौध
आबोहवा को संतुलित करने वाला पेड़ पीपल और बरगद के पौधे पर्याप्त मात्रा में निजी और वन विभाग के नर्सरी में उपलब्ध हैं। सबौर के निजी नर्सरी संचालक विनोद कुमार और कमलेश्वरी प्रसाद ने बताया कि उक्त दोनों पौधों की मांग कम है। बावजूद इसके डिमांड के अनुरूप नर्सरी में रखा जाता है। औसतन 50 रुपये में इसकी बिक्री करते हैं।
इधर, वन विभाग के रेंजर बीके सिंह ने बताया कि यहां नर्सरी में पीपल के 3500 और बरगद के नौ हजार पौधे उपलब्ध हैं। इससे उपयुक्त जगह मिलने पर अनिवार्य रूप से लगाया जा रहा है। पीपल रात में भी प्रकाश संश्लेषण की क्रिया करता है। यह पर्यावरण संतुलन के लिए महत्वपूर्ण है।