आपदा की बारिश में सभी ओर से टर्रा रहे 'ज्ञान के मेढक'
इंटरनेट मीडिया पर आजकल केवल कोरोना की ही चर्चा है। कोई इससे लोगों को डरा रहा तो कोई कह रहा इससे डरो मत।
भागलपुर। इंटरनेट मीडिया पर आजकल केवल कोरोना की ही चर्चा है। कोई इससे लोगों को डरा रहा तो कोई कह रहा इससे डरो मत। कोरोना से बचने के लिए एक से बढ़कर एक नुस्खे। कुछ व्यावहारिक तो कुछ बिल्कुल अव्यावहारिक। कोई इंटरनेट मीडिया के सहारे पीड़ित मानवता की सेवा कर रहे तो कई ऐसे हैं जो सेवा का स्वांग रचकर सस्ती लोकप्रियता पाने का प्रयास कर रहे हैं। कुछ पोस्ट लोगों को गुदगुदा भी रहे हैं ताकि तनाव के क्षण में लोग कुछ मुस्कुरा सकें।
इंटरनेट मीडिया खोलते ही एक पोस्ट नजर आया-'मात्र कुछ बीमारों को ऑक्सीजन देने में पूरा सिस्टम बिखर गया। सोचो पूरे संसार को ऑक्सीजन देने की व्यवस्था कैसी होगी? ईश्वर को धन्यवाद दो और एक वृक्ष अवश्य लगाओ।' आगे बढ़ा तो एक और पोस्ट ने ध्यान अपनी ओर खींचा-'हम अस्पतालों के लिए लड़े ही कब थे। हम तो मंदिर-मस्जिद के लिए लड़े थे, जो आज बंद है। अस्पतालों के लिए लड़ते तो तस्वीर शायद कुछ और होती।' एक अन्य पोस्ट देखिए-'जहां हो, खुश रहना दोस्तों। तुम्हारा मिलना नहीं, तुम्हारा होना जरूरी है..स्टे सेफ, टेक केयर।'
मोबाइल को स्क्रॉल किया तो कई ऐसे पोस्ट मिले, जिसमें कई जानने वाले की जीवन यात्रा समाप्त हो जाने की सूचनाएं थीं। भारी मन से उनको श्रद्धांजलि देता आगे बढ़ा तो एक सज्जन ने पोस्ट लिखा था-'पहले छींक आती थी तो लगता था कोई याद कर रहा है..अब छींक आती है तो लगता है चित्रगुप्त फाइल चेक कर रहा है।' एक ने अपने पोस्ट में लिखा- 'जागरूकता के नाम पर लोगों को डराएं नहीं। जिन्हें जागरूक होना था..हो गए, जिन्हें नहीं होना है, वो आपके प्रवचन से कभी नहीं होंगे। मित्रों, रिश्तेदारों का मनोबल बढ़ाएं, मौत के नाम पर डराएं नहीं।'
कुछ वीडियो भी अपलोड मिले, जिसमें बताया जा रहा था कि कैसे कोरोना से बचें। एक से बढ़कर एक देसी नुस्खे। एक सज्जन रसोईघर में तवे को उलटकर गैस चूल्हा पर गरम कर रहा था। लाल होने बाद के तावे को सीधा कर नमक और हल्दी को उसपर डालकर उसका धुंआ सांस के सहारे अंदर लेने को कह रहा था। एक अन्य वीडियो में बताया जा रहा था कि कैसे फेफड़े में छिपे वायरस को तुरंत बाहर निकाला जा सकता है। एक सज्जन के गुदगुदाने वाले पोस्ट को पढ़ें-'कोरोना टेस्ट घर में भी कर सकते हैं। आधे घंटे तक बीबी से बहस करें, अगर सांस न फूले तो समझिए रिपोर्ट निगेटिव है।'
कुछ लोग ऐसे भी मिले जो इंटरनेट मीडिया के माध्यम से पीड़ित मानवता की सच्ची सेवा कर रहे हैं। बात एंबुलेंस उपलब्धता की हो या फिर ऑक्सीजन सिलेंडर की..उन्हें फोन करिए, आपकी हरसंभव मदद करेंगे। कई ऐसे लोग इंटरनेट मीडिया पर हैं, जो लोगों की मदद के लिए लंबी-लंबी बातें करते मिलेंगे। जब उन्हें फोन करेंगे तो वे अपनी हाथ खड़ी कर देंगे। यह पोस्ट आपकी हौसलाअफजाई के लिए -'सकारात्मक विचारों से बड़ा नहीं है कोई दूसरा इम्यूनिटी बूस्टर।'..और अंत में -'सीखना ही पड़ेगा आंखों से मुस्कुराना अब..होठों की मुस्कुकराहट तो कमबख्त मास्क ने छीन ली है।'
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कुछ पोस्ट ऐसा भी :
-कोरोना दिन में डरकर भाग जाता है, रात में निकलता है..इसलिए नाइट कर्फ्यू।
-वे वजह घर से निकलने की जरूरत क्या है, मौत से आंखें मिलाने की जरूरत क्या है। सब को मालूम है कि बाहर की हवा है कातिल, यूं ही कातिल से उलझने की जरूरत क्या है..।
-कोरोना के लिए अब ..पीएम ने अपना जिम्मा सीएम पर छोड़ दिया है। सीएम ने डीएम पर। डीएम ने नगर प्रशासन पर। नगर प्रशासन ने दुकानदारों पर। दुकानदारों ने लोगों पर। ..और लोगों ने खुद को राम भरोसे छोड़ दिया है।