Move to Jagran APP

Vishwakarma Puja : गुम होती उद्योग नगरी की पहचान के साथ थमती गई विश्वकर्मा पूजा की धूम, कभी दशहरे जैसी ही रहती थी रौनक

Vishwakarma Puja कटिहार में विश्वकर्मा पूजा में दशहरे जैसी धूम रहती थी। दो सौ से अधिक पंडाल सजाकर भगवान विश्वकर्मा की धूमधाम से पूजा अर्चना की जाती थी। दूर-दूर से लोग आते थे।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Wed, 16 Sep 2020 11:44 AM (IST)Updated: Wed, 16 Sep 2020 11:44 AM (IST)
Vishwakarma Puja : गुम होती उद्योग नगरी की पहचान के साथ थमती गई विश्वकर्मा पूजा की धूम, कभी दशहरे जैसी ही रहती थी रौनक

कटिहार [रमण कुमार झा]। Vishwakarma Puja : देश में पटसन का मुख्य उत्पादन केंद्र के साथ उद्योग नगरी के रूप में पहचान के कारण कभी कटिहार नगर में विश्वकर्मा पूजा में दशहरे जैसी धूम रहती थी। दो सौ से अधिक छोटे-बड़े उद्योग परिसरों में भव्य पंडाल सजाकर भगवान विश्वकर्मा की धूमधाम से पूजा अर्चना की जाती थी। इस अवसर पर जगह जगह मेले भी लगते थे। दो-तीन दिनों तक इसकी धूम बनी रहती थी। उन्हें देखने दूर दूर से लोग यहां आते थे।

loksabha election banner

जूट मिल का मेला होता था आकर्षण का केंद्र

यूं तो शहर में दियासलाई से लेकर कांटी फैक्ट्री सहित अन्य उद्यम परिसरों में विश्वकर्मा पूजा की धूम रहती थी। लेकिन जूट मिल परिसर में आयोजित मेला व पूजा की धूम चरम पर रहती थी। उस वक्त इस इलाके में पटसन की अत्यधिक पैदावार होती थी। यहां का पटसन बहुतायत मात्रा में कोलकाता व देश के अन्य महानगरों में भेजे जाते थे। कटिहार में भी जूट के बोरे व अन्य सामान तैयार करने के लिए यहां दो जूट मिल थे। उन मिलों में निर्मित बोरे व अन्य वस्तुएं भी देशभर में भेजी जाती थीं। इससे वे मिलें मुनाफे में चल रही थीं। यही कारण है कि उन जूट मिलों के प्रबंधन व मजदूरों द्वारा उन्हें दुल्हन की तरह सजाया जाता था। उस दिन मिल देखने के लिए आमलोगों को उसमें जाने की छूट रहती थी। इससे मिल के बाहर मेले सा दृश्य बना रहता था। जूट मिल में काम करने वाले मजदूरों के साथ उनके स्वजन भी इस दिन मिल में आकर पूजा अर्चना करते थे। मिल प्रबंधन द्वारा मजदूरों को उपहार भी दिया जाता था। लेकिन उद्योग के बंद होने से यहां की विश्वकर्मा पूजा पर भी ग्रहण लग गया। अब यह मेला अतीत के पन्नों में दफन हो चुका है।

दूर-दूर से पहुंचते थे लोग, सुबह से जुट जाती थी भीड़

जूट मिल को अंदर से देखने की चाह, वहां लगने वाले आकर्षक पंडाल और सजावट को देखने के लिए दूर दूर से लोग यहां पहुंचते थे। पूजा के दिन सुबह से ही लोगों की भीड़ जुट जाती थी। उद्योग नगरी होने के कारण क्षेत्र में मजदूरों की कालोनी हुआ करती थी। उन उद्योग परिसरों के अलावा सौ से अधिक स्थानों पर पंडाल बनाकर भगवान विश्वकर्मा की पूजा अर्चना की जाती थी।  

क्या कहते हैं लोग  

जूट मिल के मजदूर सूरज प्रकाश, बुलेट, राजू राम व दारा राम आदि ने कहा कि मिल क्षेत्र में विश्वकर्मा पूजा की तैयारी एक माह पूर्व से होती थी। नब्वे के दशक तक दोनों जूट मिलों सहित आसपास के मजदूर क्वार्टर मिलाकर दौ से अधिक स्थानों पर पूजा होती थी। रेलवे बीजी परिसर, आरबीएमएम जूट मिल व पुराना जूट मिल के बाहरी क्षेत्र में भव्य मेले लगते थे। उनमें उस दिन काफी भीड़ लगती थी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.