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Indo-Nepal border: वाहनों के लिए अब भी नहीं खुले हैं भारत-नेपाल सीमा, केवल पैदल यात्रियोंं की हो रही आवाजाही

भारत-नेपाल सीमा पर वाहनों की आवाजाही अब भी बंद है। सीमा को केवल पैदल यात्रियोंं के लिए खोला गया है। वाहन चालकों को अब भी सीमा खुलने का इंतजार है। लोगों ने बताया कि सीमा के बंद रहने से...!

By Abhishek KumarEdited By: Published: Mon, 27 Sep 2021 04:46 PM (IST)Updated: Mon, 27 Sep 2021 04:46 PM (IST)
Indo-Nepal border: वाहनों के लिए अब भी नहीं खुले हैं भारत-नेपाल सीमा, केवल पैदल यात्रियोंं की हो रही आवाजाही
भारत-नेपाल सीमा पर वाहनों की आवाजाही अब भी बंद है।

संसू,जोगबनी(अररिया)। भारत नेपाल सीमा पर नेपाल द्वारा अभी तक वाहनों की अनुमति नहीं दी है जिससे आमजनों खासकर अस्पताल जाने वाले लोगों को काफी असुविधा हो रही है। बैरियर बंद रहने के कारण एंबुलेंस को भी सीमा पर रोगी को छोडऩा पड रहा है। कोरोना के समय से बंद नेपाल सीमा होकर पैदल यात्रियों के लिए अवागमन तो शुरू हो गई है लेकिन नेपाल द्वारा मुख्य सीमा होकर वाहनों खासकर एंबुलेंस की अनुमति नहीं मिलने से मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड रहा है।

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मरीजों को नेपाल जाने में लगभग एक किलोमीटर की पैदल दूरी तय कर वाहन पकडऩा पड रहा है। कई रोगी समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाने के कारण मौत के गाल में अस्पताल पहुंचने से पहले ही समा गए। जबकि सीमावर्ती क्षेत्र के लोग स्वास्थ्य सुविधा को लेकर एक मात्र नेपाल पर निर्भर है। सीमावर्ती लोगों को बेहतर इलाज के लिए या तो 80 किलोमीटर तय कर पूर्णिया जाना पडता है या फिर छह किलोमीटर विराटनगर।

पूर्णिया जाने में यातायात व्यवस्था एवं सड़क के कारण अधिकांश रोगी अस्पताल पहुंचने से पहले ही मौत के गाल में समा जाते हैं जिस कारण लोग नेपाल ही जाने में अपने को सुरक्षित महसूस करते हैं। खास कर आंख के इलाज के लिए यहां दूर दूर से यथा बंगाल, भागलपुर, दरभंगा, सहरसा एवं कटिहार से लोग आते हैं ऐसे में वाहनों के प्रवेश नहीं होने से इन्हें काफी परेशानी उठानी पड़ती हैं।

फारबिसगंज धर्मकांटा का मालिक हरिचंद ठाकुर को हार्टअटैक आया था जिसे एंबुलेंस से बेहतर इलाज के लिए विराटनगर ले जाया जा रहा था लेकिन वाहन की अनुमति नहीं होने व बैरियर बंद रहने के कारण उन्हें सीमा पर ही रुकना पडा तथा फोन कर नेपाल से वाहन आने के बाद उन्हें पकड़ कर पैदल सीमा पार कराया गया। स्वजनों ने बताया कि कम से कम एंबुलेंस की अनुमति मिलनी चाहिए थी क्योंकि उस पार से वाहन आने तक में रोगी की जान भी जा सकती हैं।

पलासी प्रखंड से एंबुलेंस में चार दिन पूर्व जन्मे बच्चे को निमोनिया हो गया था जिसे स्वजन द्वारा विराटनगर ले जाया जा रहा था। बच्चे को आक्सीजन लगा हुआ था परंतु एम्बुलेंस जाने की अनुमति नहीं मिली। विराटनगर से एंबुलेंस मंगवाया गया। लेकिन तब तक देर हो गई तथा अस्पताल पहुंचते ही चिकित्सक ने मृत घोषित कर दिया।

सनद रहे कि कोरोना को लेकर विगत 18 माह से नेपाल सीमा बंद है गत माह मुख्य सीमा होकर नेपाल सरकार ने द्वारा पैदल यात्रियों के लिए आवागमन बहाल किया है। लेकिन चार पहिया व दो पहिया वाहनों की अभी तक अनुमति नहीं देने से मरीजों के लिए खासा परेशानी का सबब बना हुआ है। लोगों ने नेपाल सरकार से मांग किया है कि दोनों देशों के बीच जारी रिश्ते की मिठास को देखते हुए अतिशीघ्र इस दिशा में ठोस कदम उठाये। लोगों ने कहा कि कम से कम एंबुलेंस के लिए बैरियर खुलने तक वैकल्पिक व्यवस्था की जाए ताकि रोगी को समय पर समुचित स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध हो सके।  


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