86 साल बाद यहां के लोगों ने देखी ट्रेन: विनाशकारी भूकंप ने तबाह कर दिया था ट्रैक, अब आसनपुर से झंझारपुर के बीच अगले साल दौड़ेगी रेल
सुपौल में 86 साल बाद लोगों ने ट्रेन का दीदार किया। यहां के निर्मली-आसनपुर-कूपहा के बीच बिछाए गए ट्रेन ट्रैक में गाड़ी चला ट्रायल लिया गया।1934 में आए भूकंप में ट्रैक ध्वस्त हो गया था । इसके बाद से...
जागरण संवाददाता, सुपौल : पूर्व मध्य रेलवे के निर्मली स्टेशन से आसनपुर कुपहा तक सीआरएस निरीक्षण हो गया है, एक सौ किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार स्पीडी ट्रायल हुआ। उम्मीद है कि जनवरी में 5.96 किलोमीटर इस लंबी रेल लाइन पर जनवरी से परिचालन शुरू हो जाएगा। उधर निर्मली से परसा बसबाड़ी तक 5.88 किलोमीटर लंबी रेल लाइन का काम लगभग पूर्ण हो चुका है, रेलवे ने संभावना जताई है कि अप्रैल 2022 में झंझारपुर तक ट्रेन दौड़ेगी।
आसनपुर कुपहा तक हो रहा परिचालन
24 दिसंबर को सीआरएस एएम चौधरी ने निर्मली से आसनपुर कुपहा तक 5.96 किलोमीटर नई रेलवे लाइन का निरीक्षण किया। वहीं ईस्टर्न सर्किल कोलकाता रेलवे सुरक्षा के कमिश्नर एएम चौधरी ने सीएओ पीके गोयल एवं अन्य अधिकारियों के साथ आसनपुर कुपहा से निर्मली स्टेशन तक फाइनल निरीक्षण किया। फिलहाल सरायगढ़ रेलवे स्टेशन से कोसी महासेतु पार करते हुए ट्रेन आसनपुर-कुपहा तक रेल आ रही है।
1934 के भूकंप में यह रेलखंड हो गया था ध्वस्त
दरअसल 1934 से पूर्व इस रेलखंड पर ट्रेनों का परिचालन होता था। 15 जनवरी 1934 को आए विनाशकारी भूकंप में यह रेलखंड क्षत-विक्षत हो गया और ट्रेनों का परिचालन बंद हो गया। इसके बाद निर्मली के लोगों को ट्रेन से सरायगढ़ जाने के लिए दरभंगा, समस्तीपुर, खगडिय़ा, मानसी, सहरसा और सुपौल होते हुए लगभग 297 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती थी। इसमें आठ घंटे से अधिक का समय लगता था।
प्रधानमंत्री ने रेल-रोड महासेतु की रखी थी आधारशिला
लोगों की इस परेशानी को देखते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 06 जून 2003 को रेल-रोड कोसी महासेतु की आधारशिला रखी। 17 साल बाद 516 करोड़ की लागत से महासेतु बनकर तैयार हुआ। महासेतु के बनकर तैयार होने के बाद 18 सितंबर 2020 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सुपौल से आसनपुर कुपहा तक के डेमू ट्रेन को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। महासेतु पार कर ट्रेन आसनपुर कुपहा तक पहुंची। हालांकि इससे पूर्व रोड महासेतु तैयार हो गया था और बसें परिचालित हो रही थी लेकिन यात्रा रेल जैसी सुगम और सस्ती नहीं थी। ट्रेन का परिचालन शुरू होने से यात्रा सुगम और सस्ती हुई।
- -निर्मली से आसनपुर कुपहा तक हुआ सीआरएस निरीक्षण एक सौ किलोमीटर की रफ्तार से हुआ ट्रायल
- -जनवरी में निर्मली और अप्रैल 2022 में झंझारपुर तक दौड़ सकती है ट्रेन, परसा बसबाड़ी तक कार्य पूर्ण
अब 296 किमी की जगह 22 किमी की होगी यात्रा
रेल महासेतु बनने के बाद निर्मली तक रेल का परिचालन शुरू नहीं किया जा सका था। अब सीआरएस निरीक्षण के बाद जनवरी में परिचालन शुरू होने के आसार बने हैं। निरीक्षण के दौरान रेल परिचालन की तिथि के संबंध में पूछे जाने पर सीआरएस ने बताया कि निरीक्षण से संबंधित रिपोर्ट रेलवे बोर्ड को भेजी जाती है फिर विभागीय विचार-विमर्श के उपरांत लिए गए निर्णय के आलोक में रेल परिचालन की तिथि घोषित की जाती है। जनवरी 2022 में परिचालन शुरू किया जा सकता है। अब निर्मली के लोगों को ट्रेन से सरायगढ़ आने के लिए 296 किलोमीटर की जगह मात्र 22 किलोमीटर की यात्रा करनी होगी और यात्रा में आठ घंटे की जगह मात्र आधे घंटे लगेंगे।
पूर्ण होने को है कार्य
ज्ञातव्य हो कि निर्मली स्टेशन से पश्चिम परसा बसबाड़ी तक 5.88 किलोमीटर लंबी रेल लाइन कार्य पूर्ण होने पर है। जानकारी दी गई कि इसका फरवरी से मार्च तक सीआरएस निरीक्षण किया जाएगा। इसके बाद अप्रैल 2022 से झंझारपुर-सकरी-दरभंगा भी निर्मली स्टेशन से जुड़ जाएगा।
अटल सपना हुआ साकार
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने मिथिला के एकीकरण का जो अटल सपना देखा था वह अब साकार होने जा रहा है। क्षेत्र के लोगों में खुशी का माहौल है। लोगों का कहना है कि रेल की सामानांतर बढ़ती दो पटरियां विभिन्न नदियों की बाढ़ से डूबते-उतराते मिथिलांचल को विकास की पटरी पर ले जाएगी।