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देशी तसर उत्पादन में आत्मनिर्भर होगा भारत, चीन को मिलेगी शिकस्त

चीन के मुकाबले रेशम उत्पादन में भारत दूसरे स्थान पर है। उन्होंने कहा कि चीन का बाजार स्थिर हो गया है। लेकिन भारत का बाजार लगातार बढ़ता जा रहा है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Fri, 08 Mar 2019 06:25 PM (IST)Updated: Fri, 08 Mar 2019 06:25 PM (IST)
देशी तसर उत्पादन में आत्मनिर्भर होगा भारत, चीन को मिलेगी शिकस्त
देशी तसर उत्पादन में आत्मनिर्भर होगा भारत, चीन को मिलेगी शिकस्त

भागलपुर [जेएनएन]। जीरो माईल स्थित रेशम तकनीकी सेवा केंद्र परिसर में रेशम प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान की ओर से रेशम मेला का आयोजन किया गया। केंद्र प्रभारी वैज्ञानिक एनएस गहलोत ने बताया, बिहार में 30 मैट्रिक टन तसर कोकुन का उत्पादन किया जाता है। जबकि देश को करीब 35 मैट्रिक टन धागा की जरुरत है। कोकुन उत्पादन में वृद्धि के लिए अर्जून व शहतूत का पौधरोपण किया जा रहा है। इससे काकुन उत्पादन में देश आगामी कुछ वर्षो में आत्मनिर्भर हो जाएगा।

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चीन के मुकाबले रेशम उत्पादन में भारत दूसरे स्थान पर है। उन्होंने कहा कि चीन का बाजार स्थिर हो गया है। लेकिन, भारत का बाजार लगातार बढ़ता जा रहा है। स्वदेशी तकनीक और पहचान होने के बाद उपभोक्ता का ज्यादा मांग है। चीन रेशम धागा को पॉलिस कर कैमिकल का उपयोग करता है। देशी तसर के अनुपात में चीन का धागा कम वजन में ज्यादा कपड़ा तैयार होता है। इसके कारण बुनकर चीन के रेशमी सिल्क का इस्तेमाल करते हैं। इससे मानव शरीर को नुकसान पहुंच सकता है। चर्म रोग संबंधी समस्या उत्पन्न हो सकती है।

एक हजार बुनकरों को मिलेगा रिलिंग मशीन

केंद्र ने 75 और राज्य सरकार ने 25 फीसद बुनियादी रिलिंग मशीन पर अनुदान दिया है। इससे महिलाओं को रेशम धागा जांघ पर कताई करने से छुटकारा मिला है। एनएस गहलोत ने कहा कि धागे की गुणवत्ता बढऩे के साथ दुगना उत्पादन और आमदनी हो रही है। भागलपुर में 261 और बांका में 400 महिलाओं को मुफ्त में 9700 रुपये का रिलिंग मशीन दिया गया। कताई से जुड़े हुए एक हजार लाभुकों को मशीन उपलब्ध कराया जाएगा। 490 कतीन से जुड़ी महिला को प्रशिक्षण दिया गया है।

रिलिंग मशीन से प्रतिदिन 250 ग्राम रेशम धागा कोकुन से तैयार कर रही है। जांघ पर 70 रुपये और अब मशीन पर धागा तैयार करने पर 150 रुपये प्रतिदिन कमा रही है। सोलर, पैडल और बिजली से संचालित होने वाले तीन मॉडल का रिलिंग मशीन दिया जा रहा है। बांका में तसर कोकुन का उत्पादन होता है। वस्त्र मंत्रालय की ओर से उद्यमियों को अनुदान पर नवीन तकनीक से बनी विभिन्न तरह की रीलिंग, स्पिनिंग मशीन, धागा, कपड़ा रंगाई और फिनिशिंग मशीन उपलब्ध कराया जाता है। यहां तक कि गुणवत्ता जांच की सुविधा, बुनकरों को मुफ्त प्रशिक्षण, उद्यमियों को तकनीकी प्रोत्साहन भी मिलता है।

विधायक अजीत शर्मा ने कहा कि सिल्क व्यवसाय के लिए केंद्रीय रेशम बोर्ड की अच्छी पहल है। इससे बुनकर परिवार की महिलाओं को घर बैठे रोजगार मिलेगा। इस योजना को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने का सुझाव दिया। वैज्ञानिक सौरभ मजूमदार ने मालदा रेशम उद्योग के तर्ज पर सभी लाभार्थियों को बुनियादी मशीन का उपयोग करने का सुझाव दिया। मेले में मशीन और तसर धागा का जीवंत प्रदर्शन किया गया। केंद्र के वैज्ञानिक त्रिपुरारी चौधरी ने अतिथियों का स्वागत किया।


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