सुपौल में करोड़ों की इमारतों पर कहीं अवैध कब्जा तो कहीं मवेशियों का जमावड़ा, ध्यान नहीं दे रहे हुक्मरान
बिहार के सुपौल जिले में सरकारी इमारतों पर कहीं तो अवैध कब्जा है तो कहीं पर मवेशियों का जमावड़ा बना हुआ है। करोड़ों की बनी इमारतों पर हुक्मरान और संबंधित विभाग उदासीन बने हुए हैं। लिहाजा जिस काम के लिए इन्हें बनाया गया वो तो यहां हो ही नहीं रहा...
संवाद सहयोगी, निर्मली (सुपौल) : नगर स्थित विभिन्न वार्डों में करोड़ों की लागत से बनी इमारतें विभागीय उदासीनता के चलते प्रयोग में नहीं लाई जा रही हैं। जागरण ने इस बाबत पहले भी खबर प्रकाशित की थी। लेकिन इस खबर का असर भी हुक्मरानों पर नहीं हो रहा है। आज भी सरकारी इमारतों में मवेशी आराम फरमाते दिखाई दे रहे हैं। आलम ये है कि ज्यादातर जगहों पर अवैध कब्जा भी हो गया है। संबंधित विभछाग और अधिकारी पूरी तरह से लापरवाह हैं।
इस उदासीनता का नतीजा है कि बनकर तैयार इमारत हस्तांतरण से पूर्व ही ध्वस्त होने के कगार पर हैं। इसे विभागीय लापरवाही कहा जाए या सिस्टम का दोष हालात यह है कि जिस उद्देश्य के लिए भवन का निर्माण किया गया वह तो साकार हो नहीं रहा। कहीं अवैध कब्जा है तो कहीं मवेशियों का जमावड़ा हो रहा है।
भवन नहीं हुआ हैंडओवर
नगर के वार्ड संख्या 12 में लगभग एक करोड़ की लागत से वर्ष 2012 में जिला परिषद की भूमि पर दो मंजिला पब्लिक रेस्ट हाउस ग्रामीण कार्य प्रमंडल सुपौल के द्वारा बनाया गया। पब्लिक रेस्ट हाउस के निर्माण एजेंसी की मानें तो तत्कालीन अनुमंडल पदाधिकारी द्वारा पब्लिक रेस्ट हाउस हैंडओवर नहीं लिया गया। विडंबना है कि पब्लिक रेस्ट हाउस निर्माण के नौ वर्ष बीत गए लेकिन किसी भी अधिकारी का ध्यान इस रेस्ट हाउस को हस्तांतरण कराने की ओर नहीं गया। रेस्ट हाउस के ग्राउंड फ्लोर में एक विद्यालय ने कब्जा जमाया है तो ऊपरी मंजिल एक दबंग की देखरेख में है। यही हाल उच्च विद्यालय निर्मली के परिसर में बने गल्र्स हास्टल का है।
लाखों की लागत से बने दो मंजिला गर्ल्स हास्टल का अब तक हस्तांतरण नहीं हो पाया है। हास्टल के ग्राउंड फ्लोर में जिमखाना चल रहा है और ऊपरी मंजिल में उच्च विद्यालय निर्मली का बेकार पड़ा कंप्यूटर सामग्री रखा है। छात्राएं निजी आवास में किराए पर रहकर पढ़ाई कर रही है। गल्र्स हास्टल लड़कियों के किसी काम का नहीं है। नगर के वार्ड संख्या 07 के प्रखंड मुख्यालय स्थित बना टाउन हाल नगर पंचायत को हस्तांतरण नहीं किया गया है।
टाउन हाल के संवेदक ने तत्कालीन अनुमंडल पदाधिकारी को टाउन हाल हैंडओवर कर दिया। अनुमंडल पदाधिकारी को इसे नगर पंचायत निर्मली को हैंडओवर करना था जो नहीं हुआ है। नतीजा खूबसूरत सा बना टाउन हाल जर्जर स्थिति में है। देखरेख के अभाव में हाल की खिड़की-दरवाजे टूट गए हैं। परिसर जंगल में तब्दील हो गया है। टाउन हाल में मवेशियों का जमावड़ा होने लगा है।