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... धरा रह गया शहनाई गूंजने का अरमान, एक हादसा ले गया कई साल पीछे

Horrific Bhagalpur Fire अगलगी में स्वाहा हुआ शहनाई बजने का अरमान। रुक गई बेटी की शादी। भागलपुर के नारायणपुर प्रखंड के एक गांव में आग लगने से चार सौ से ज्‍यादा घर जल गए हैं। गांव में मातमी सन्‍नाटा पसरा हुआ है।

By Dilip Kumar shuklaEdited By: Published: Thu, 04 Mar 2021 08:25 AM (IST)Updated: Thu, 04 Mar 2021 08:25 AM (IST)
... धरा रह गया शहनाई गूंजने का अरमान, एक हादसा ले गया कई साल पीछे
उजली देवी ने बताया कि अब कैसे करेंगे अपनी बेटी की शादी।

भागलपुर [नमन कुमार]। Horrific Bhagalpur Fire : अकबरनगर थाना क्षेत्र के (नारायणपुर प्रखंड)कसमाबाद दियारा गांव में कई घरों में आने वाले दिनों में शहनाई बजने वाली थी। जिस पर अगलगी की इस घटना ने पूरी तरह पानी फेर दिया। आग के भेंट चढ़े लाखों रुपये और गहनों ने सभी के सपनों को तोड़ दिया।

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गांव के सुनील मंडल के बेटी की शादी अप्रैल में होने वाली थी। उनके घर में रखा सारा समान जल गया। उनके ऊपर दुखों का मानो पहाड़ टूट पड़ा हो। सुनील मंडल की पत्नी उजली देवी ने बताया कि दो बीघा खेत को ब्याज पर रखा था। कर्ज लेकर बेटी की शादी करने वाले थे। लड़के का तिलक हो गया है। लड़के को उपहार में देने वाले 50 हजार रुपया का सामान पूरी तरह जलकर नष्ट हो गया। अमावस्या के दिन ही बेटी का तिलक करने लड़के वाले गांव आने वाले थे।

सुनील मंडल और उसकी पत्नी मेहनत मजदूरी कर बेटी की धूमधाम से शादी करने का सपना संजोए हुए थे। लेकिन एक चिंगारी ने उनके इस सपने को पलभर में चकनाचूर कर दिया। दो बीघा खेत तो पहले की ब्याज पर रख दिया है। अब महाजन द्वारा दिए गए कर्ज को कैसे वापस करेंगे। लड़के वालों व रिश्तेदारों को क्या जवाब देंगे? आगलगी में कपड़े, जेवर सहित अन्य सामान जलकर नष्ट हो गया। लेकिन अब बेटी की शादी कैसे होगी? कुछ समझ मे नही आ रहा है। इन सब बातों को सोचकर पीड़ित परिवार की आंखे नम हो गई।

जहां बजनी थी शहनाई, वहां आग ने मचाई तबाही

दियारा स्थित गंगा किनारे बसे कसमाबाद के कई घरों में शादी की शहनाई बजनी थी पर वहां आग ने तबाही मचा दी। सब कुछ राख हो गया। अब अग्निपीड़त मदद की आस लगाए बैठे हैं। गांव के उमेश मंडल पैर से दिव्यांग हैं। मजदूरी कर घर का भरण-पोषण करते हैं। सबसे छोटी बेटी लूती कुमारी का बुधवार को तिलक होने वाला था। दो दिन पूर्व कपड़े, जेवर सहित अन्य सामान खरीदकर घर में रख लिया गया था।

सोमवार तक हर तरफ खुशी का माहौल था। पर मंगलवार को उमेश मंडल की खुशी मातम में तब्दील हो गई। करीब 11 बजे गांव में आग लग गई। जिसमें उनका घर भी जल गया। साथ ही उसके घर में रखा सारा सामान भी राख हो गया। कर्ज में लिया हुआ एक लाख रुपया भी जल गया। बूढ़े उमेश मंडल रोते बिलखते बताते हैं कि सबसे छोटी बेटी की शादी के लिए कर्ज लेकर कपड़े व जेवर बनाए थे। सबकुछ स्वाहा हो गया। बुधवार को तिलक करने घोघा के पन्नुचक से लड़के वाले आने वाले थे। लेकिन अब बेटी की शादी नहीं हो सकेगी। आग लगने की सूचना मिलने पर बड़ी बेटी फूलो देवी भी अपने ससुराल से भागते हुए मायके पहुंची एवं विकलांग पिता व बहनों का हाल-चाल पूछा। इतना ही नहीं इनके अलावा कई शादियों पर ग्रहण लग गया।

दिन में तपती धूप व रात में ठंडी हवाओं के बीच खुली आसमान के नीचे कैसे रहेंगे पीड़ित

अगलगी घटना से गंगा किनारे बसे करीब चार सौ घरो के लगभग 12 सौ से अधिक आबादी बेघर हो गए। पूरा परिवार खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हो गया है। गंगा किनारे दियारा इलाका होने के कारण यहां जंगली जानवरों व खतरनाक जहरीले जंतुओं का डर बना रहता है। दिन में तपती धूप व रात में पछुआ हवा से ठंड के कारण लोगो को और परेशानी झेलनी पड़ेगी।

गांव में आग लगते ही चारो ओर कोहराम मच गया। लोग चिल्ला रहे थे, रो रहे थे मदद की गुहार लगाई जा रही थी। पशु तड़प कर अपनी जान गवां रहे थे। लेकिन उनकी सुनने वाला वहां कोई नही थी। कई लोगों ने गंगा में सामानों को फेंक दिया। बच्चे इधर उधर के अपने मां बाप को ढूंढ रहे थे। कोई मवेशी तो कोई खाने की सामान को एक किनारे रख रहे थे। महिलाएं व बच्चों की चीख पुकार पूरे दियारा इलाको में गूंज रहा था।

ग्रामीणों का कहना है कि सब राख हो गया, घर में कुछ नहीं बचा। वे तपती धूप में खुले आसमान के नीचे कैसे रहेंगे। वहीं मौके पर छोटे बच्चे भूख से बिलबिला रहे थे। अब उनका आशियाना खत्म हो गया।

पीड़ितों से मिलने पहुंचे एसडीपीओ व बीडीओ सहित कई अधिकारी

घटना की सूचना पर नवगछिया एसडीपीओ दिलीप कुमार, नारायणपुर प्रखंड के बीडीओ हरिमोहन कुमार, सीओ अजय कुमार, नाथनगर सीओ, राजस्व कर्मचारी अमरेन्द्र कुमार सहित कई अधिकारी घटनास्थल पर पहुंच स्थित का जायजा लिया। समाजसेवी अरुण मण्डल अग्निपीड़ितों से मिलने कसमाबाद पहुंचे।

अधिकारी अगलगी में जले घर व पीड़ितों की हालत देखकर काफी भावुक हो गए। इस दौरान अधिकारियों ने कई लोगों से बातचीत कर उनके दर्द को समझा। साथ ही उनकी ओर से सभी प्रकार के मदद करने का आश्वासन दिया। मुखिया अरविंद मंडल ने भी हर संभव मदद का भरोसा दिया। फिलहाल प्रशासनिक स्तर से पीड़ितों के बीच खाने को सूखा राशन व रहने सोने के लिए प्लास्टिक सीट दिया गया है।

हर साल बाढ़ भी करती है बेघर

कसमाबाद गांव में हर साल बड़ी गंगा में आने वाली बाढ़ भी तबाही मचाती है। इससे काफी नुकसान हो जाता है। इस बार आग ने भी यहां जमकर तबाही मचाई। बाढ़ के बाद आग से तबाह हुए लोगों की पूरी तरह से कमर टूट गई है, क्योंकि उनका सबकुछ बर्बाद हो गया है। अब वह सिर छिपाने के लिए कैसे इंतजाम करेंगे, यही चिंता उन्हें सताए जा रही है। इनमें से अधिकांश लोग पेशे से मजदूर या किसान है। अब उनके पास दो वक्त की रोटी जुटाने के लिए भी रुपये नहीं हैं। 


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