अजब-गजब: यहां सफर में लगी शौच, तो छोडऩी पड़ेगी ट्रेन, जानिए मामला
भागलपुर-दुमका-हंसडीहा और भागलपुर-साहिबगंज रेलखंड पर चलने वाली पैसेंजर ट्रेनों में सफर के दौरान यदि किसी यात्री को शौच लग जाए तो उसे ट्रेन छोडऩी पड़ती है।
भागलपुर [जेएनएन]। भागलपुर-दुमका-हंसडीहा और भागलपुर-साहिबगंज रेलखंड पर चलने वाली पैसेंजर ट्रेनों में शौचालय नहीं हैं। इस कारण इन ट्रेनों में सफर करने वाले लोगों को काफी परेशानी होती है। 115 किलोमीटर से 210 किलोमीटर तक का सफर पूरा करने में पैसेंजर ट्रेनों को पांच से आठ घंटे तक का समय लगता है।
सफर के दौरान यदि किसी यात्री को शौच लग जाए तो उसे ट्रेन छोडऩी पड़ती है। निवृत्त होने के बाद यात्री दूसरी ट्रेन पकडऩे को मजबूर होते हैं। भागलपुर से रामपुर हाट की दूरी करीब 210 किलोमीटर है। पैसेंजर ट्रेनें इतनी दूरी सात से आठ घंटे में तय करती हैं। ट्रेनों में शौचालय नहीं होने के कारण बुजुर्गों और महिलाओं को अधिक परेशानी होती है।
भागलपुर से दुमका की 110 किलोमीटर की दूरी तय करने में भी ट्रेनों को साढ़े चार से पांच घंटे का समय लगता है। इस सेक्शन पर अप और डाउन में दो गाडिय़ां चलती हैं।
वहीं भागलपुर से हंसडीहा की दूरी 74 किलोमीटर और बांका की दूरी 53 किलोमीटर है। इस मार्ग पर तीन जोड़ी ट्रेनों का परिचालन होता है। इन सभी ट्रेनों में शौचालय नहीं हैं। हंसडीहा जा रहीं सुनैना देवी ने बताया कि शौचालय नहीं होने से महिलाओं के सामने विकट स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
भागलपुर से दुमका-हंसडीहा-बांका की ओर जाने वाली पैसेंजर ट्रेनों में आठ से 10 बोगियां रहती हैं। इनमें भीड़ भी काफी रहती है। इस सेक्शन पर चलनेवाली भागलपुर-बांका इंटरसिटी ही एकमात्र ऐसी ट्रेन है, जिसमें बायो-टॉयलेट है। इसी एक ट्रेन की बदौलत रेलवे ने इस रेलखंड को ग्रीन कॉरीडोर घोषित कर रखा है।
केस स्टडी एक
सुबह में भागलपुर से बांका जाने वाली 53450 अप सवारी गाड़ी में रामप्रवेश प्रसाद परिवार के साथ सवार हुए। बाराहट के पास एक बच्चे को शौचालय जाने की जरूरत महसूस हुई। मजबूरन उन्हें बाराहट में ट्रेन छोडऩी पड़ी। केस स्टडी दो
53442 अप भागलपुर-हंसडीहा पैंसेजर में सुंदर सिंह सवार हुए। इन्हें हसंडीहा से दुमका जाना था। मंदारहिल स्टेशन पर शौच के लिए उन्हें ट्रेन से उतरना पड़ा। इस समय दूसरी ट्रेन नहीं रहने के कारण उन्हें सड़क मार्ग से हंसडीहा जाना पड़ा।