अगर आप पुरुष हैं, स्मार्ट फोन-लैपटॉप ज्यादा यूज करते हैं, तो हो जाएं अलर्ट ...जानिए
अगर आप पुरुष हैं और लैपटॉप-स्मार्टफोन का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं तो अब हो जाइए सावधान। इनके ज्यादा इस्तेमाल से प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है और शुक्राणुओं की संख्या कम होती है।
By Kajal KumariEdited By: Published: Sat, 08 Jun 2019 12:49 PM (IST)Updated: Sun, 09 Jun 2019 03:32 PM (IST)
भागलपुर [अशोक अनंत]। स्मार्ट फोन, लैपटॉप और वायरलैस कनेक्शन के असीमित उपयोग के दुष्परिणाम सामने आने लगे हैं। रिसर्च में पता चला है कि इनसे निकलने वाले रेडिएशन से महिलाओं की अपेक्षा पुरुष ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। पुरुषों की शुक्राणु जनन क्षमता कम हो रही है।
रिसर्च में यह भी पता चला है कि स्मार्ट उपकरणों और सेल्यूलर टॉवर से निकलने वाले विद्युत-चुंबकीय विकिरण की दर दूसरे देशों की तुलना में भारत में 10 गुना ज्यादा है। दंपतियों में प्रजनन से जुड़ी कई समस्याओं का कारण रेडिएशन को ही माना जा रहा है।
पुरुषों में कम हो जाते हैं शुक्राणु
2014 में सेंट्रल यूरोपियन जर्नल ऑफ यूरोलॉजी के रिसर्च में पाया गया कि जिन पुरुषों ने अपने स्मार्ट फोन को लंबे समय तक पैंट के पॉकेट में रखा उनमें शुक्राणु की संख्या कम पाई गई। 2015 में इंटरनेशनल जर्नल ऑफ फर्टिलिटी एंड स्टेरिलिटी के रिसर्च में भी शुक्राणु की संख्या कम मिली।
शोध के दौरान महिला और पुरुष को एक घंटे तक मोबाइल से निकलने वाले रेडिएशन क्षेत्र में रखा गया। यह पाया गया कि तुलनात्मक रूप से पुरुष ज्यादा प्रभावित हुए। गर्भाशय के शरीर की गहराई में रहने के चलते महिलाओं की जनन क्षमता पर असर कम पड़ा।
गर्भधारण करने में कठिनाई
अमेरिका में ओहिया की क्लीवलैंड क्लीनिक फाउंडेशन ने स्मार्ट फोन और लैपटॉप का ज्यादा इस्तेमाल करने वाले दंपतियों पर शोध किया। पाया गया कि 14 फीसद महिलाओं को गर्भधारण करने में कठिनाई हुई।
लैपटॉप गोद में रखना खतरनाक
स्थानीय इंद्रा आइवीएफ हॉस्पीटल की विशेषज्ञ डॉ. कुसुमलता के मुताबिक लैपटॉप गोद में रखकर उपयोग करने से शुक्राणु की संख्या घटती है। गुणवत्ता भी प्रभावित होती है। लैपटॉप से निकलने वाली विकिरणों की गर्मी की वजह से शुक्राणु कोशिकाओं की बढ़ोतरी रुक जाती है।
रेडिएशन से डीएनए प्रभावित होता है। अत: गर्भधारण नहीं हो पाता है। अगर गर्भधारण हो भी गया तो गर्भस्थ शिशु का विकास अच्छी तरह नहीं हो पाता, कई विकृतियां होती है अथवा गर्भपात होने की संभावना रहती है। ऐसे कई दंपती संतान की चाह में अस्पताल उनके पास इलाज कराने आए। हम मरीजों को स्मार्ट फोन का कम से कम इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं।
फोन से 30 एमएम की दूरी बनाए रखें
भागलपुर के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (जेएलएनएमसीएच) के मानसिक रोग विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. कुमार गौरव के मुताबिक ज्यादा फोन के इस्तेमाल से दिमाग की नसें भी प्रभावित होती हैं। इससे घबराहट, सिरदर्द, तनाव आदि होता है। फोन के इस्तेमाल करते समय 30 एमएम की दूरी बनाएं रखें। संतान की चाह वाले दंपती फोन और लैपटॉप का कम उपयोग करें। फोन जेब में डालने के बजाय बैग में रखें। ज्यादा देर तक फोन से बात नहीं करें।
रिसर्च में यह भी पता चला है कि स्मार्ट उपकरणों और सेल्यूलर टॉवर से निकलने वाले विद्युत-चुंबकीय विकिरण की दर दूसरे देशों की तुलना में भारत में 10 गुना ज्यादा है। दंपतियों में प्रजनन से जुड़ी कई समस्याओं का कारण रेडिएशन को ही माना जा रहा है।
पुरुषों में कम हो जाते हैं शुक्राणु
2014 में सेंट्रल यूरोपियन जर्नल ऑफ यूरोलॉजी के रिसर्च में पाया गया कि जिन पुरुषों ने अपने स्मार्ट फोन को लंबे समय तक पैंट के पॉकेट में रखा उनमें शुक्राणु की संख्या कम पाई गई। 2015 में इंटरनेशनल जर्नल ऑफ फर्टिलिटी एंड स्टेरिलिटी के रिसर्च में भी शुक्राणु की संख्या कम मिली।
शोध के दौरान महिला और पुरुष को एक घंटे तक मोबाइल से निकलने वाले रेडिएशन क्षेत्र में रखा गया। यह पाया गया कि तुलनात्मक रूप से पुरुष ज्यादा प्रभावित हुए। गर्भाशय के शरीर की गहराई में रहने के चलते महिलाओं की जनन क्षमता पर असर कम पड़ा।
गर्भधारण करने में कठिनाई
अमेरिका में ओहिया की क्लीवलैंड क्लीनिक फाउंडेशन ने स्मार्ट फोन और लैपटॉप का ज्यादा इस्तेमाल करने वाले दंपतियों पर शोध किया। पाया गया कि 14 फीसद महिलाओं को गर्भधारण करने में कठिनाई हुई।
लैपटॉप गोद में रखना खतरनाक
स्थानीय इंद्रा आइवीएफ हॉस्पीटल की विशेषज्ञ डॉ. कुसुमलता के मुताबिक लैपटॉप गोद में रखकर उपयोग करने से शुक्राणु की संख्या घटती है। गुणवत्ता भी प्रभावित होती है। लैपटॉप से निकलने वाली विकिरणों की गर्मी की वजह से शुक्राणु कोशिकाओं की बढ़ोतरी रुक जाती है।
रेडिएशन से डीएनए प्रभावित होता है। अत: गर्भधारण नहीं हो पाता है। अगर गर्भधारण हो भी गया तो गर्भस्थ शिशु का विकास अच्छी तरह नहीं हो पाता, कई विकृतियां होती है अथवा गर्भपात होने की संभावना रहती है। ऐसे कई दंपती संतान की चाह में अस्पताल उनके पास इलाज कराने आए। हम मरीजों को स्मार्ट फोन का कम से कम इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं।
फोन से 30 एमएम की दूरी बनाए रखें
भागलपुर के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (जेएलएनएमसीएच) के मानसिक रोग विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. कुमार गौरव के मुताबिक ज्यादा फोन के इस्तेमाल से दिमाग की नसें भी प्रभावित होती हैं। इससे घबराहट, सिरदर्द, तनाव आदि होता है। फोन के इस्तेमाल करते समय 30 एमएम की दूरी बनाएं रखें। संतान की चाह वाले दंपती फोन और लैपटॉप का कम उपयोग करें। फोन जेब में डालने के बजाय बैग में रखें। ज्यादा देर तक फोन से बात नहीं करें।
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