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खून के कतरे से इंसानियत हुई जिंदा, इंटरनेट मीडिया से मिली सूचना पर रक्तदान करने पटना से भागलपुर पहुंचे असिस्टेंट कमांडेंट

रक्तदान कर बचाई बच्ची की जान बोले-बच्ची की जान से बढ़कर कुछ भी नहीं। डॉक्टरों ने खड़े कर दिए थे हाथ इंटरनेट मीडिया पर अपील देख पहुंचे आरके पांडे। सुल्तानगंज के स्वच्छता निरीक्षक दिलीप कुमार दुबे की नतिनी अस्पताल में कर रही थी जीवन के लिए संघर्ष।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Wed, 23 Jun 2021 11:22 AM (IST)Updated: Wed, 23 Jun 2021 11:22 AM (IST)
खून के कतरे से इंसानियत हुई जिंदा, इंटरनेट मीडिया से मिली सूचना पर रक्तदान करने पटना से भागलपुर पहुंचे असिस्टेंट कमांडेंट
ब्लड संक्रमण से पीडि़त थी बच्ची, ओ पॉजिटिव ब्लड की थी आवश्यकता।

सुल्तानगंज (भागलपुर) [बॉबी मिश्रा]। आज के इस भौतिकवादी युग में जहां लोग अपने और खून के रिश्तों को भी दरकिनार कर देते हैं, वहीं समाज में कुछ ऐसे भी लोग हैं जो मानवता के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं। सशस्त्र सीमा बल में प्रशिक्षु असिस्टेंट कमांडेंट आरके पांडे भी ऐसे ही व्यक्ति हैं, जिनके खून के कतरे से इंसानियत जिंदा हो गई। जीवन के लिए संघर्ष कर रही बच्ची को बचाने के लिए वे पटना से ढाई सौ किमी की दूरी तय कर भागलपुर पहुंचे और अपना खून दिया।

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बीते 15 दिनों से सुल्तानगंज के स्वच्छता निरीक्षक दिलीप कुमार दुबे की तीन वर्षीय नतिनी आध्या भागलपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती थी। सोमवार की सुबह डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए और बताया कि ब्लड में इंफेक्शन का लेवल 72. 64 पर पहुंच गया है। इस खतरे से निकालने के लिए तत्काल बच्ची को ब्लड की आवश्यकता है। इसके बाद ब्लड की तलाश शुरू हुई, लेकिन बच्ची का ब्लड ओ पॉजिटिव था और कहीं भी नहीं मिल पा रहा था। ऐसे में थक हारकर स्वच्छता निरीक्षक दिलीप कुमार दुबे ने इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट डालकर लोगों से गुहार लगाई। इसके बाद पटना में रह रहे असिस्टेंट कमांडेंट आरके पांडे की नजर उस पोस्ट पर पड़ी तो तत्काल उन्होंने स्वच्छता निरीक्षक दिलीप कुमार दुबे से बात की और कहा कि घबराने की आवश्यकता नहीं है। मैं शीघ्र पहुंच रहा हूं। चूंकि उनका भी ब्लड गु्रप ओ पॉजिटिव था, इसलिए वे पटना से भागलपुर के लिए अपने निजी वाहन से निकल पड़े। हॉस्पिटल पहुंचकर उन्होंने रक्तदान किया और बच्ची की जान बच गई।

पांडे ने कहा कि बच्ची से जान से बड़ी कोई कीमत नहीं है। इंसानियत के नाते उन्होंने बच्ची की मदद की। वहीं, बच्ची आद्या के पिता अजीत रंजन ने हाथ जोड़कर आरके पांडे का आभार जताया और कहा है कि ऐसे दानवीर और रक्तवीर लोग जब तक समाज में हैं तब तक कोई भी व्यक्ति ङ्क्षजदगी से नहीं हार सकता। चिकित्सक ने बताया कि फिलहाल बच्ची की हालत खतरे से बाहर है। रिकवरी तेजी से हो रही है।


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