जैव विविधता संरक्षण में बायोइन्फॉर्मेटिक्स जरूरी : प्रो. राय
धरती को बचाने के लिए पर्यावरण और जैव विविधता का संरक्षण बड़ी जरूरत है। इसमें जैव रसायन की बड़ी भूमिका है। जाने क्या कहते हैं विशेषज्ञ..
भागलपुर। धरती को बचाने के लिए पर्यावरण और जैव विविधता का संरक्षण बड़ी जरूरत है। इसे कारगर बनाने में बायोइन्फॉर्मेटिक्स (जैव सूचना विज्ञान) सफल भूमिका निभा रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए सोमवार को तिलकामाझी भागलपुर विश्वविद्यालय के यूनिवर्सिटी सेंटर ऑफ बायोइन्फॉर्मेटिक्स में तीन दिवसीय कार्यशाला की शुरुआत हुई।
पर्यावरण प्रबंधन और जैव विविधता संरक्षण में जैव सूचना विज्ञान की जरूरत विषय पर आयोजित कार्यशाला के पहले दिन बीएन मंडल विवि मधेपुरा के कुलपति प्रोफेसर एके राय ने कहा कि सूचना तंत्र के रूप में जैव सूचना विज्ञान जीव विज्ञान के लिए महत्वपूर्ण साबित हुआ है। जैव विविधता और प्रदूषण को समझने में इसका योगदान रहा है। 1970 में जैव सूचना विज्ञान का अभियान शुरू हुआ। इसके बाद कई शोध इससे जुड़ते चले गए। शोध के माध्यम से जीवों के जैविक गुणों का डाटाबेस तैयार किया जा रहा है। इससे चिकित्सा के क्षेत्र में भी काफी बदलाव आया है। कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के कारण देश में अन्न भंडार परिपूर्ण है। आज हमें दूसरे देशों पर आश्रित नहीं होना पड़ रहा है। उन्होंने जैव सूचना विज्ञान की सहायता से किस प्रकार पर्यावरण की निगरानी और संरक्षण किया जा सकता है यह भी बताया।
तिलकामाझी भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. लीला चंद्र साह ने जैव सूचना विज्ञान केंद्र के क्रिया-कलापों पर प्रसन्नता व्यक्त की और वर्कशॉप और सेमिनार के साथ-साथ रिसर्च कार्यों पर भी जोर देने को कहा। उन्होंने इस केंद्र के विकास के लिए हर संभव सहायता देने का आश्वासन भी दिया। उन्होंने केंद्र में एक वर्षीय पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन बायोइन्फॉर्मेटिक्स, शार्टटर्म सर्टिफिकेट कोर्स को शुरू करने की बात कही। विज्ञान एवं प्राद्यौगिकी मंत्रालय की ओर से प्रायोजित है। सात से नौ जनवरी तक आयोजित होने वाले राष्ट्रीय कार्यशाला के संयोजक यूनिवर्सिटी सेंटर ऑफ़ बायोइन्फॉर्मेटिक्स के निदेशक प्रो. सुनील कुमार चौधरी और आयोजन सचिव डॉ. राकेश रंजन हैं। इस मौके पर टीएमबीयू के प्रतिकुलपति प्रो. राम यतन प्रसाद, यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ बंगाल, सिल्लीगुड़ी के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. अर्नब सेन ने भी अपने विचार रखे। कार्यशाला में दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय, गया के बायोइन्फॉर्मेटिक्स विषेशज्ञ डॉ. कृष्ण कुमार ओझा और डॉ. आशीष शकर, एसएम कॉलेज की प्राचार्य डॉ. अर्चना ठाकुर, डीन साइंस, प्रो. एलसी प्रसाद, अध्यक्ष साख्यिकी विभाग, डॉ. एसके आजाद, निदेशक युडीसीए प्रो. निसार अहमद आदि मौजूद थे।