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कोसी-सीमांचल में लहलहाएंगे हिमालय के औषधीय पौधे, ये होगा फायदा

वन विभाग द्वारा कोसी व सीमांचल में औषधीय पौधे लगाए गए हैं। भूमि आंवला, मुसली, लेमन ग्रास सहित 62 किस्म के औषधीय पौधे विकसित किए जा रहे हैं।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Thu, 03 May 2018 09:57 AM (IST)Updated: Thu, 03 May 2018 04:05 PM (IST)
कोसी-सीमांचल में लहलहाएंगे हिमालय के औषधीय पौधे, ये होगा फायदा
कोसी-सीमांचल में लहलहाएंगे हिमालय के औषधीय पौधे, ये होगा फायदा

किशनगंज [अमितेष]। वन विभाग द्वारा कोसी व सीमांचल की बंजर व बेकार पड़ी जमीन पर औषधीय पौधे लगाने की कार्ययोजना तैयार की जा रही है। कोसी इलाके की उष्ण व शीतोष्ण जलवायु को ध्यान में रखते हुए प्रथम चरण में कुसियारी उद्यान को इस कार्ययोजना का प्रयोगशाला बनाया गया है।

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प्रयोग के तौर पर उद्यान में चिरैता, तुलसी, इलायची, पिपली, आक, चकोर, गिलोय, वन हल्दी, जंगली प्याज, भूमि आंवला, मुसली, लेमन ग्रास सहित 62 किस्म के औषधीय पौधे विकसित किए जा रहे हैं। प्रयोग सफल होने पर किसानों को भी इनकी खेती के लिए प्रेरित किया जाएगा।

दरअसल वन विभाग का मानना है कि हिमालय की तराई में बसे कोसी-सीमांचल की आबोहवा(क्लाइमेट) इनकी खेती के अनुकूल है। यहां की उष्ण व शीतोष्ण जलवायु का अध्ययन करने के बाद वन विभाग द्वारा एनएच 31 किनारे स्थित कुसियारी उद्यान में प्रयोग के तौर पर इन पौधों को विकसित किया जा रहा है।

लगभग 400 एकड़ में फैले इस उद्यान के एक बड़े क्षेत्र को औषधीय उद्यान का नाम देकर विभिन्न प्रजातियों के कुल 62 औषधीय पौधे लगाए गए हैं। 2017 में इसका प्रयोग शुरू किया गया है। पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिकोण से भी ये पौधे उपयोगी हैं।

डीएफओ डीके दास ने बताया कि कुसियारी उद्यान में प्रयोग के तौर पर औषधीय पौधे लगाए गए हैं। प्रयोग सफल होने पर इसका प्रचार-प्रसार कर किसानों को प्रेरित किया जाएगा।


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