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बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था: भागलपुर में मायागंज अस्पताल में भर्ती बच्चे का निजी क्लीनिक में किया गया आपरेशन, मामले को किया जा रहा रफा-दफा

बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था पर कालिख पोतने वाला एक और अनोखा मामला सामने आया है। भागलपुर में मायागंज अस्पताल में बच्चे को 10 का सिक्का निगलने के बाद भर्ती करवाया गया। लेकिन यहां उसकी कोरोना जांच कराने के बाद बच्चे का आपरेशन निजी अस्पताल में करवा दिया गया।

By Shivam BajpaiEdited By: Published: Fri, 16 Jul 2021 04:42 PM (IST)Updated: Fri, 16 Jul 2021 04:42 PM (IST)
बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था: भागलपुर में मायागंज अस्पताल में भर्ती बच्चे का निजी क्लीनिक में किया गया आपरेशन, मामले को किया जा रहा रफा-दफा
बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था पर कालिख पोत रहा एक और मामला।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था हमेशा सुर्खियों में रहती है। ऐसे में भागलपुर के सबौर के सात वर्षीय बालक मयंक को मायागंज अस्पताल से आपरेशन नहीं कर क्लीनिक ले जाने के मामले की गंभीरता से जांच नहीं की गई। यानी मामले को रफा-दफा करने की तैयारी की जा रही है। दूसरी तरफ जब बच्चे को अस्पताल की इमरजेंसी में लाया गया, तो वहां ईएनटी के डाक्टर थे ही नहीं। विवश होकर बच्चे के नाना और मां को इंडोर ईएनटी विभाग जाना पड़ा।

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10 रुपये का सिक्का निकालने के पहले कोरोना का इलाज करने के लिए कहा गया। इसके बाद बच्चे को क्लीनिक में आपरेशन कर सिक्का निकाला गया तो 30 हजार रुपये लिए गए। बच्चे के पिता अभिषेक ने कहा कि मयंक राज का इलाज के समय स्वसुर अशोक कुमार निराला और पत्नी पूनम कुमारी मौजूद थीं।

पूनम कुमारी ने कहा कि खड़गपुर में बच्चे के साथ मायके में थी। वहीं 13 जुलाई को बच्चा सिक्का निगल लिया था। पता करने पर डा. धर्मेंद्र कुमार के बारे में जानकारी मिली। मायागंज अस्पताल की इमरजेंसी में बच्चे का कोरोना जांच किया गया। रिपोर्ट पाजिटिव मिली। डाक्टर ने कोरोना का इलाज करने के लिए कहा। मयंक के नाना और मामा ने डा धर्मेंद्र कुमार के यहां इलाज करवाया तो 30 हजार खर्च हुए।

डा. धर्मेंद्र कुमार ने कहा कि मुझे यह जानकारी नहीं है कि बच्चा अस्पताल गया था। सिक्का निकालने के लिए सात हजार रुपये मिले हैं, 30 हजार नहीं। उन्होंने मयंक के पिता अभिषेक से बातचीत का वीडियो भी जारी किया है। जिसमें डा ने पूछा कि कितने रुपये दिए, उसी समय मोबाइल कट कर दिया गया। उन्होंने कहा कि 13 जुलाई को मेरे क्लीनिक में नंबर लगाया गया था। इस बाबत जिस मोबाइल नंबर से क्लीनिक में बातचीत की गई है, उसका ब्योरा भी डा धर्मेंद्र ने दिया है।

इमरजेंसी में नहीं थे ईएनटी के डाक्टर

प्रश्न यह उठता है कि जब इमरजेंसी में बच्चा को लाया गया तो ईएनटी के डाक्टर क्यों नहीं देखे। हकीकत यह है कि इमरजेंसी में ईएनटी के डाक्टर रहते ही नहीं है। वहीं ईएनटी विभाग के अध्यक्ष डा. एसपी ङ्क्षसह ने कहा कि आउटडोर में बच्चे को भर्ती कर इंडोर ईएनटी विभाग भेजा गया, लेकिन बच्चा वह नहीं था। रजिस्टर में लामा अंकित है।

जांच रिपोर्ट पाजिटिव, मैसेज नेगेटिव

इमरजेंसी में मयंक राज का एंटीजन किट से कोरोना की जांच की गई। रजिस्टर में पाजिटिव अंकित है। लेकिन मयंक के पिता के मोबाइल पर जांच नेगेटिव होने का मैसेज मिला। अब पिता अभिषेक को समझ में नहीं आ रहा है कि बच्चा कोरोना संक्रमित है या नहीं।

'मामले की जांच गहनता से होगी। फिलहाल ईएनटी विभाग के अध्यक्ष को जांच की जिम्मेवारी दी गई है। इमरजेंसी में ईएनटी के डाक्टर क्यों नहीं थे, जानकारी ली जाएगी।'-डा. असीम कुमार दास, अधीक्षक, जेएलएनएमसीएच


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