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हरियाली बढ़ाएगी सिल्क सिटी की खूबसूरती, स्वच्छ होगा पर्यावरण

सिल्क सिटी में हरियाली बढ़ेगी और पर्यावरण भी स्वच्छ होगा।

By JagranEdited By: Published: Thu, 04 Jan 2018 03:48 AM (IST)Updated: Thu, 04 Jan 2018 03:48 AM (IST)
हरियाली बढ़ाएगी सिल्क सिटी की खूबसूरती, स्वच्छ होगा पर्यावरण
हरियाली बढ़ाएगी सिल्क सिटी की खूबसूरती, स्वच्छ होगा पर्यावरण

भागलपुर। सिल्क सिटी में हरियाली बढ़ेगी और पर्यावरण भी स्वच्छ होगा। फोरेस्ट्री इंटरवेंशन फॉर गंगा योजना के तहत वन विभाग 36000 नए पौधे लगाएगा। इससे 120 हेक्टेयर में हरियाली बढ़ेगी। जिला उद्यान विभाग भी किसानों से 160 हेक्टेयर में आम की सघन बागवानी के माध्यम से क्षेत्र विस्तार कराएगा। वहीं कृषि विभाग भी 240 एकड़ में जैविक खेती को बढ़ावा देकर पर्यावरण सुरक्षा का साथी बनेगा।

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वन प्रमंडल हरियाली का क्षेत्र विस्तार कर सिल्क सिटी के रूप में चयनित भागलपुर जिले की खूबसूरती बढ़ाने में लगा हुआ है, ताकि अन्य जिलों की तुलना में यहां का पर्यावरण भी तमाम सजीव प्राणियों के लिए पूरी तरह स्वस्थ्य और सहज हो सके। इस दिशा में वन प्रमंडल पदाधिकारी एस सुधाकर ने मुख्य वन संरक्षक सह निदेशक हरियाली मिशन पटना को फोरेस्ट्री इंटरवेंशन फॉर गंगा योजना के तहत 120 हेक्टेयर में नए पौधे लगाने की स्वीकृति मांगी है।

यूं पौध लगाने की है योजना

1. एकचारी से हनुवारा बॉर्डर - 30 हेक्टेयर - 9000 पौधे

2. घोरघट से सुल्तानगंज - 20 हेक्टेयर - 6000 पौधे

3. सुल्तानगंज से नाथनगर - 30 हेक्टेयर - 9000 पौधे

4. कहलगांव बस स्टैंड से बदलस्थान - 20 हेक्टेयर - 6000 पौधे

5. पुरानी रेलवे लाइन लत्तीपुर से गंगा ब्रिज तक - 10 हेक्टेयर - 3000 पौधे

6. कटरिया रेलवे स्टेशन डुमरिया होते हुए सिमरिया तक - सात हेक्टेयर - 2100 पौधे

7. पुरानी खरने नदी बांध पर - तीन हेक्टेयर - 900 पौधे

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पौधे लगाने का जारी है सिलसिला

चालू वित्तीय वर्ष में वर्षाकालीन कैम्पा, नहर तट, पथ तट, दुर्गावती, नमामि गंगे, बसंत कालीन पथ तट और नहर तट योजना अंतर्गत अब तक 1,97,300 नए पौधे लगाने के साथ विभिन्न पथों पर 252 किलोमीटर की लंबाई तक हरियाली बढ़ाई जा चुकी है। इसके अलावा बसंतकालीन पथ तट योजना के तहत 86 किलोमीटर लंबे पथ के किनारे पौधरोपण का कार्य प्रगति पर है।

1. रानी दियारा से पीरपैंती बाजार - 26 किमी.- 12 हजार पौधे

2. कहलगांव से अनादीपुर - 12 किमी. - 6000 पौधे

3. सबौर से घोघा - आठ किमी. - 4000 पौधे

4. बिहपुर से खरीक रेलवे लाइन - 10 किमी. - 10 हजार पौधे

5. खरीक से नवगछिया रेलवे स्टेशन - 10 किमी. - 10 हजार पौधे

6. नहर तट पौधरोपण -शिवानपुर से सलेमपुर नहर - 10 किमी. - 15 हजार पौधे

7. हरिचंद्रपुर से जैतीपुर वितरणी नहर - 10 किमी. - 11 हजार पौधे

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नमामि गंगे योजना से 220 हेक्टेयर में बढ़ेगी हरियाली

नमामि गंगे योजना के तहत 220 हेक्टेयर में हरियाली बढ़ाने का कार्य प्रगति पर है। इस योजना में बांस और लौह गेबियन में पौधरोपण कर उसे सुरक्षित किया जा रहा है। कुल 83,500 पौध लगाने का कार्य प्रगति पर है।

यहां हो रहा है पौधरोपण

1. एकडारा से शेरमारी बाजार - 30 हेक्टेयर - 9000 पौधे

2. कमरगंज से आशियाचक चौक - 20 हेक्टेयर - 6000 पौधे

3. अनादीपुर से बटेश्वर स्थान पथ - 30 हेक्टेयर - 9000 पौधे

4. एनएच 31 कटरिया से बनिया ग्राम कोसी बांध - 30 हेक्टेयर - 9000 पौधे

5. लक्ष्मीपुर से तीनटंगा गंगा बांध - 40 हेक्टेयर - 12000 पौधे

6. उल्टा पुल से जगदीशपुर - 40 हेक्टेयर - 12000 पौधे

7. नाथनगर से शाहकुंड - 30 हेक्टेयर - 9000 पौधे

8. सैदपुर से तीनटंगा रोड साइट - 20 हेक्टेयर - 2000 पौधे

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स्कूली बच्चों को पढ़ाया जा रहा पर्यावरण सुरक्षा का पाठ

वन प्रमंडल की ओर से पर्यावरण सुरक्षा के प्रति स्कूली बच्चों को भी जागरूक किया जा रहा है। पौधों से दोस्ताना संबंध बनाए रखने का उन्हें पाठ पढ़ाया जा रहा है। इस कड़ी में मुख्यमंत्री छात्र पौधरोपण योजना के तहत छह विद्यालयों में 536 छात्र-छात्राओं के सहयोग से उनके ही विद्यालय प्रागंण में 1032 पौधरोपण कराया गया। जिसमें मध्य विद्यालय मोहद्दीपुर, क्लबगंज, गौरीपुर, रंगरा चौक, तेतरी और सरयुग देवी मोहन लाल उच्च विद्यालय शामिल हैं। जागरूकता के साथ नई पीढ़ी द्वारा हरियाली बढ़ाने के इस कार्यक्रम को आगे भी जारी रखने का कार्य प्रगति है।

पर्यावरण सुरक्षा में जुटा कृषि विभाग

जिला कृषि विभाग अपने अधीनस्थ संभाग उद्यान और पौधा संरक्षण के साथ सहभागी बनकर पर्यावरण सुरक्षा के साथ-साथ मिट्टी को भी स्वस्थ बनाने में लगा हुआ है। कृषि विभाग जिले के सुल्तानगंज, नाथनगर, सबौर, कहलगांव एवं पीरपैंती प्रखंड के 1484 किसानों के साथ मिलकर 240 एकड़ में बिना रसायनिक उर्वरकों और कीटनाशक जैविक खेती कराने में लगा हुआ है। इसको लेकर उन्हें पर्यावरण और मिट्टी सुरक्षा के साथ-साथ गुणवत्तापूर्ण उत्पाद की भी जानकारी दी जा रही है।

पौधा संरक्षण विभाग द्वारा किसानों को रसायनिक उर्वरक के बदले पर्यावरण और मिट्टी की सुरक्षा के लिए वर्मी कंपोस्ट, एवं कीटनाशक के लिए प्रकृति द्वारा उपलब्ध नीम की खल्ली, नीम का तेल, ट्राइकोडरमा, एजोला, एजिक्टोवेक्टर आदि का उपयोग करने की वैज्ञानिक जानकारी दी जा रही है। सहायक निदेशक पौधा संरक्षण रविंद्र कुमार ने बताया कि उक्त जैविक खाद और कीटनाशक वायुमंडल को प्रदूषित करने के बजाय वहां से नाइट्रोजन लेकर पौधों को उपलब्ध कराने का काम करता है।

वहीं जिला उद्यान विभाग ने किसानों की आमदनी बढ़ाने और पर्यावरण को स्वास्थ्यव‌र्द्धक बनाने की दिशा में 50 फीसद अनुदान पर 160 हेक्टेयर में आम की सघन बागवानी कराने की योजना बना रखी है। इस योजना के साथ पानी बचाने के लिए भी ड्रिप सिंचाई योजना का लाभ दिया जा रहा है। सघन बागवानी से हरियाली बढ़ेगी और पर्यावरण बेहतर होगी।

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कोट

आने वाले तीन-चार वर्षो में शहर की सभी सड़कों के किनारे हरियाली दिखने लगेगी। हरे-भरे मार्गो से स्मार्ट सिटी में प्रवेश करने वाले लोगों को खुद सुकून का अनुभव होने लगेगा।

-एस. सुधाकर, डीएफओ, भागलपुर


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