सरकार ने 'निपाह वायरस' से बचाव को किया सतर्क
राज्य के सभी सिविल सर्जन, एसीएमओ और अस्पताल अधीक्षक को लिखे पत्र में सरकार ने कहा है कि केरल में जानलेवा निपाह वायरस के प्रकोप को देखते हुए बिहार में भी इससे सतर्क रहने की आवश्यकता है।
भागलपुर। स्वास्थ्य सेवाएं, बिहार निदेशालय के निदेशक प्रमुख (रोग नियंत्रण) डॉ. आरडी रंजन ने शुक्रवार को निपाह वायरस से बचाव हेतु एडवाइजरी जारी की है। राज्य के सभी सिविल सर्जन, एसीएमओ और अस्पताल अधीक्षक को लिखे पत्र में सरकार ने कहा है कि केरल में जानलेवा निपाह वायरस के प्रकोप को देखते हुए बिहार में भी इससे सतर्क रहने की आवश्यकता है।
डॉ. रंजन ने कहा है कि केरल में निपाह वायरस ने दस्तक दे दी है। यह वायरस बहुत खतरनाक है, जिससे बचाव की आवश्यकता है। कहा गया है कि चमगादड़ और सूअर जैसे जानवर इस वायरस के वाहक हैं। संक्रमित जानवरों के सीधे संपर्क में आने या इनके संपर्क में आई वस्तुओं के सेवन से वायरस का संक्रमण होता है। निपाह वायरस से संक्रमित इंसान भी संक्रमण को आगे बढ़ाता है।
बीमारी के लक्षण :
अचानक बुखार आना, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, मानसिक भ्रम, उल्टी होना। यह मस्तिष्क ज्वर से भी जुड़ा है। इससे मस्तिष्क में सूजन हो सकता है। इससे ग्रस्त मरीज 24 से 48 घंटे कोमा में भी जा सकता है। मरीजों की जांच एलीसा द्वारा एनआइवी पुणे में की जाती है।
बचाव हेतु उपाय :
चमगादड़ों वाले इलाकों में अत्यधिक सावधानी बरतें। सूअरों के संपर्क में रहने वालों से दूर रहें। गिरे हुए अथवा जानवरों के जूठे फल खाने से बचें। केरल से आने वाले फलों को अच्छी तरह धोकर खाएं। केला, आम और खजूर को लेकर विशेष सतर्क रहें। प्रकोप कम होने तक ताड़ एवं खजूर के रस, ताड़ी और नीरा का सेवन नहीं करें। यदि सब्जियों पर जानवरों के काटे का निशान हो, तो उन्हें खरीदने से बचें। जब तक निपाह का प्रकोप कम नहीं हो, तब तक अच्छी तरह से पका हुआ, साफ सुथरा एवं घर का बना हुआ खाना खाएं। अत्यधिक भीड़ वाले इलाकों में जाने से परहेज करें और चेहरे पर मास्क लगाकर सफर करें। व्यक्तिगत स्वच्छता का ध्यान रखें। दिन में कई बार अच्छी तरह से साबुन से हाथ धोएं।