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पूर्व सीएम सतीश प्रसाद सिंह के गांव का सरकारी स्‍कूल, दो कमरे में 300 बच्‍चे बैठकर करते हैं पढ़ाई

पूर्व सीएम सतीश प्रसाद सिंह के गांव में सरकारी स्‍कूल में संसाधनों की काफी कमी है। यहां दो कमरे में एक से पांचवी तक की कक्षाएं चलती हैं। स्‍कूल में 300 बच्‍चों का नामांकन है। वे सभी इसी पर बैठकर पढ़ते हैं।

By Abhishek KumarEdited By: Published: Sat, 18 Dec 2021 01:45 PM (IST)Updated: Sat, 18 Dec 2021 01:45 PM (IST)
पूर्व सीएम सतीश प्रसाद सिंह के गांव का सरकारी स्‍कूल, दो कमरे में 300 बच्‍चे बैठकर करते हैं पढ़ाई
पूर्व सीएम सतीश प्रसाद सिंह के गांव में सरकारी स्‍कूल में संसाधनों की काफी कमी है।

संवाद सूत्र, परबत्ता (खगडिय़ा)। खगडिय़ा जिले में शिक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे है। विभाग बेहतर और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का दावा करते थकती नहीं है, लेकिन धरातल पर स्थिति अत्यंत ही दयनीय है। शिक्षकों की कमी, भवन का अभाव के चलते सरकारी शिक्षा व्यवस्था दम तोड़ती नजर आ रही है। कागज पर ही शिक्षा सुधार है जबकि धरातल पर बंटाधार है। वीआइपी गांवों में भी सरकारी शिक्षा व्यवस्था दम तोड़ती नजर आ रही है।

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जिले के परबत्ता प्रखंड स्थित सौढ़ उत्तरी पंचायत अवस्थित सतीश नगर गांव वीआइपी गांवों में शुमार है। यह गांव पूर्व मुख्यमंत्री स्मृतिशेष सतीश प्रसाद सिंह का गांव है। सतीश बाबू के नाम पर ही गांव का नाम सतीश नगर पड़ा। परंतु, यहां भी सरकारी शिक्षा का हाल बेहाल है। यहां का प्राथमिक विद्यालय कोरचक्का उत्तर आज उपेक्षित है। मात्र दो कमरे में इस विद्यालय में वर्ग एक से पांच तक की पढ़ाई होती है।

साथ ही प्रधानाध्यापक कार्यालय भी चलता है। यहां नामांकित बच्चों की संख्या करीब तीन सौ है। जिन्हें परेशानी के बीच पठन-पाठन करना पड़ता है। भवन की कमी को देखते हुए वर्षों पूर्व भवन निर्माण कार्य शुरू हुआ, जो अब तक पूर्ण नहीं हुआ है। आज भी अधूरा है। भवन निर्माण की राशि कौन डकार गए, यह बताने वाला कोई नहीं है।

सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि दो कमरे में

कैसे प्राथमिक विद्यालय का संचालन होता होगा। इस संबंध में प्रधानाध्यापक लालचंद्र मंडल ने कहा कि यह अर्ध निर्मित भवन पूर्व के प्रधानाध्यापक के समय का है। इसकी सूचना ऊपर दी गई है। वरीय अधिकारियों को इससे अवगत कराया गया है। कमरे की कमी को लेकर बार-बार रिपोर्ट दी गई है। वर्ग कक्ष के अभाव में जैसे-तैसे विद्यालय का संचालन होता है। स्थानीय सर्वेश कुमार और अश्विनी कुमार ने कहा कि जब सतीश बाबू के गांव के विद्यालय का यह हाल है, तो स्थिति का सहज अंदाजा लगा सकते हैं।


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