कैंसर मरीजों के लिए राहत भरी खबर... पूर्णिया की काली हल्दी होगा रामबाण, बिहार में पहली बार हो रही खेती
कैंसर मरीजों के लिए राहत भरी खबर है। काली हल्दी कैंसर के इलाज में मददगार साबित हो रही है। बिहार में इसकी पहली बार खेती पूर्णिया में की जा रही है। कहा जाता है कि यह कैंसर के इलाज के लिए रामबाण है।
पूर्णिया [राजीव कुमार]। पूर्णिया में पहली बार काली हल्दी की खेती की शुरूआत की गयी है। यहां पैदा होने वाली काली हल्दी कैंसर से लोगों के निजात दिलाने में सहायक होगी। पूर्णिया के समर सेल नेचुरल फार्म में 25 एकड़ में काली हल्दी की खेती की जा रही है। पूर्णिया बिहार का पहला जिला है? जहां काली हल्दी की खेती शुरू की गयी है। इसके पहले काली हल्दी की खेती मिजोरम नागालैंड एवं असम में होती है। काली हल्दी की मांग खासकर कैंसर अस्पतालों में काफी ज्यादा है। कैंसर के इलाज में कारगर लेकाडोंगा हल्दी की खेती में भी पूर्णिया सूबे में अव्वल है।
पीले रंग की हल्दी आसानी से मिल जाती है? लेकिन काली हल्दी का नाम सुनते ही हर कोई चौंक जाता है। काली हल्दी पीली हल्दी से कई गुणा गुणकारी है। काली हल्दी देखने में अंदर से हल्के काले रंग की होती है। इसका पौधा केली के समान होता है। काली हल्दी मजबूत एंटीबायोटिक गुणों के साथ चिकित्सा में जडी़ - बूटी के रूप में उपयोग की जाती हैं। इसका प्रयोग घाव, मोच, त्वचा, पाचन तथा लीवर की समस्याओं के निराकरण के लिए किया जाता है। यह शाक कोलस्ट्राल को कम करने में मदद करती है। चीनी चिकित्सा में कैंसर के इलाज में इसका उपयोग किया जाता है। इसमें सुंगधित वाष्पशील तेल पाया जाता है? जो रक्त से अत्यधिक लिक्विड निकालने के लिए, प्लेटलेट्रस के एकत्रीकरण को कम करने और सूजन को कम करने में मदद करता है।
यह एक महत्वपूर्ण खुशबूदार शाक (जड़ी - बूटी) है जो भूमिगत राइजोम के रूप में पाई जाती है। यह औषधीय और सुगंधित दोनों के लिए प्रयोग की जाती है। और विभिन्न बीमारियों के उपचार में प्रमुख रूप से इसका उपयोग किया जाता है।
कई बीमारियों के इलाज में काली हल्दी है कारगर
काली हल्दी कई तरह की बीमारियों में काफी उपयोगी है। कैंसर , सहित ट््यूमर एवं त्वचा रोग भी में यह कारगर है। त्वचा रोग
अधिकतर खून की खराबी से उत्पन्न होते हैं। इसके बचाव के लिए स्वच्छ वातावरण में रहना चाहिए ! इसके साथ आप काली हल्दी का भी प्रयोग कर सकते है। इसमें एंटी इन्फ्लैमटॉरी गुण होते हैं जिससे त्वचा की खुजली ठीक हो जाती है। काली हल्दी का उपयोग अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, न्यूमोनिया जैसी बीमारियों में किया जाता है। अगर आप नयी या पुरानी किस भी प्रकार की सुखी गीली खांसी से परेशान हैं तो काली हल्दी इसके लिए रामबाण इलाज है। इसके लिए आप हल्दी की गांठें ले सकते हैं और उसे धोकर उसके रस को पीसकर पी सकते है। इससे जल्द ही आपकी खांसी दूर हो जाएगी। हल्दी में मौजूद कुरकुमिन नामक तत्व फेफडों के कैंसर का कारण बनें वाले तत्व को हटाता है। यह फेफडों की सूजन को घटाता है व अस्थमा के रोगियों को आराम पहुँचता है।
जोड़ों के दर्द को भी करता है काली हल्दी दूर
जोड़ों में दर्द और जकडऩ पैदा करने वाली बीमारी को दूर करने में भी काली हल्दी सहायक है। यह रोग जोड़ों की हडियों के बीच रहने वाली आर्टिकुलर कार्टिलेज को नुकसान देता है। काली हल्दी में इबुप्रोफेन पाया जाता है जिससे पुराने जोड़ों के दर्द को ठीक किया जा सकता है।
हल्दी में मौजूद एक महत्वपूर्ण तत्व करक्युमिन कैंसर से लड़ने में मददगार हो सकता है।
किस तरह की भूमि में होती है काली हल्दी की खेती
काली हल्दी दोमट, बुलई, मटियार, प्रकार की भूमि में अच्छे से उगाई जा सकती है। वर्षा के पूर्व जून के प्रथम सप्ताह में 2-4 बार जुताई करके इसकी बुआई की जाती है। पूर्णिया में काली हल्दी की खेती 25 एकड़ में की गयी है जिसके पौधे अब लहलहाने लगे हैं। समर सेल नेचुरल फार्म के निदेशक हिमकर मिश्रा ने कहा कि काली हल्दी पूरी तरह से जैविक विधि से उगाई जा रही है।
पूर्णिया का समर सेल नेचुरल फार्म विदेशों में भी है चर्चा में
पूर्णिया के समर सेल नेचुरल फार्म की चर्चा अब देश के अलावा विदेशों में भी होने लगी है। पौलेंड के इवन किसंमन ने अपने वेव न्यूज पोर्टल पर इस फार्म को ना केवल जैविक खेती का सबसे बड़ा हब देश में माना है बल्कि कहा की यहां जिस तरह से जैविक खेती की जा रही है वह पूरे विश्व के लिए सीखने की चीज है।
काली हल्दी औषधीय गुणों से भरपूर हल्दी है, इसमें पाए जाने वाले कई तत्व कैंसर , ट््यूमर मिर्गी सहित कई बीमारियों के इलाज में उपयोगी है , इसकी खासकर कैंसर अस्पतालों में काफी मांग है। -डा. रंजू आयुर्वेद चिकित्सक पूर्णिया।