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गंगा में बहाए जा रहे मवेशियों के शव, फेंका जा रहा कूड़ा, मुंगरे में NGT नियम बना मजाक

बिहार के मुंगेर में शहर के गंगा घाट किनारे फैली रहती है गंदगी। प्रशासन देख रहा तमाशा। यहां एनजीटी नियमों का हो रहा उल्लंघन। मवेशियों के शव भी बहाए जा रहे हैं। राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम -2010 (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) का पालन नहीं हो रहा है।

By Shivam BajpaiEdited By: Published: Tue, 30 Nov 2021 10:01 AM (IST)Updated: Tue, 30 Nov 2021 10:01 AM (IST)
गंगा में बहाए जा रहे मवेशियों के शव, फेंका जा रहा कूड़ा, मुंगरे में NGT नियम बना मजाक
प्रदूषित हो रही गंगा, प्रशासन मौन। कब ध्यान दिया जाएगा इस ओर।

जागरण संवाददाता, मुंगेर : गंगा को प्रदूषित करने वालों के लिए कड़ा कानून तो जरूर बना, पर इसका पालन नहीं हो रहा है। गंगा नदी में अविष्टों को प्रवाह किया जा रहा है। इससे न सिर्फ गंगा प्रदूषित हो रही बल्कि गंगा स्नान के लिए गंगा घाटों पर पहुंचने वालों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। प्रदूषत करने वालों पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं हो रही है। रविवार को बबुआ घाट पर गंगा में मृत पशु का बहना प्रमाण के लिए काफी काफी है।

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शहर के घाटों पर फैले पूजा अपशिष्ट और गंदगी इस बात की गवाह है कि गंगा को स्वच्छ और निर्मल बनाने में प्रशासन कितना सजग है। गंगा सफाई को लेकर सरकार या गैर सरकारी संगठन भले ही अपनी पीठ थपथपा लें, पर हकीकत उलट है। योगनगरी में गंगा की सफाई कारगर नहीं है। गंगा की स्वच्छता को लेकर सरकारी कार्य योजनाएं कुछ हद तक जमीन पर भी दिखाई दे रही है, लेकिन स्थानीय असामाजिक तत्वों के कारण नुकसान पहुंचाया जा रहा है।

गंगा में गंदे पानी का बहाव

लल्लू पोखर के कंकर घाट बेलन बाजार,चुआबाग सहित सोझी घाट और बबुआ घाट में शहर के नाले का कनेक्शन गंगा नदी में है। इसे रोकने के लिए सिवरेज प्लांट योजना बनाई गई है। अभी तक यह धरातल पर नहीं दिख रहा है। नतीजन आज भी घरों से निकलने वाला पानी गंगा में बह रहा है।

एनजीटी कानून का नहीं हो रहा पालन

गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने को लेकर बने कानून राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम -2010 (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) का पालन नहीं हो रहा है। इस कानून के तहत गंगा को प्रदूषित करने वालों पर जुर्माना और जेल का प्रावधान है। अनुपालन को लेकर नगर निगम गंभीर नहीं दिख रही है।

स्थानीय लोग बने जागरूक

नामामि गंगे परियोजना पदाधिकारी शालीग्राम बताते हैं कि सुविधा के लिए पूजा अवशिष्ट का प्रवाह सीधे गंगा नदी में करते हैं, इस पर नियंत्रण करने की जरूरत है। स्थानीय लोगों को भी जागरूक होना चाहिए। प्रशासन को भी सख्ती से निबटना चाहिए।


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