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RJD के पूर्व विधायक चंदन कुमार मुखिया भी नहीं बन सके, कांग्रेस विधायक छत्रपति यादव के भाई भी हारे चुनाव

खगडि़या में पंचायत चुनाव के परिणाम ने कई माननीय पर सवाल खड़ा कर दिया है। पूर्व विधायक चंदन कुमार मुखिया का चुनाव भी हार गए। वहीं कांग्रेस के विधायक छत्रपति यादव के भाई जिला परिषद सीट से चुनाव हार गए हैं।

By Abhishek KumarEdited By: Published: Mon, 06 Dec 2021 04:02 PM (IST)Updated: Mon, 06 Dec 2021 04:02 PM (IST)
RJD के पूर्व विधायक चंदन कुमार मुखिया भी नहीं बन सके, कांग्रेस विधायक छत्रपति यादव के भाई भी हारे चुनाव
खगडि़या में पंचायत चुनाव के परिणाम ने कई माननीय पर सवाल खड़ा कर दिया है।

जागरण संवाददाता, खगडिय़ा। खगडिय़ा में पंचायत चुनाव दूसरे चरण से आरंभ हुआ। अब तक नवम चरण के चुनाव संपन्न हो चुके हैं। अब केवल 10वां चरण शेष है। अब तक के परिणाम ने राजद और कांग्रेस के कई दिग्गजों की पोल खोल दी है। राजद के पूर्व विधायक चंदन कुमार अलौली विधानसभा क्षेत्र के तेतराबाद पंचायत से मुखिया पद का चुनाव लड़े और पांचवें स्थान पर रहे। चंदन कुमार को मात्र 567 वोट मिले। हजार वोटों का भी आंकड़ा पार नहीं कर सके। उन्हें बुरी तरह से पराजय का सामना करना पड़ा। इसको लेकर पार्टी की खगडिय़ा से पटना तक में किरकरी हुई है।

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अलौली विधानसभा क्षेत्र के वर्तमान विधायक रामवृक्ष सदा की पत्नी सुशीला देवी जिला परिषद क्षेत्र संख्या दो से जिप सदस्य पद का चुनाव लड़ीं और हार गईं। वे छठे स्थान पर रहीं। यह जिप क्षेत्र अलौली विधानसभा क्षेत्र के अंदर है। राजद जिलाध्यक्ष कुमार रंजन Óपप्पूÓ की पत्नी रेणु कुमारी भी अलौली विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत जिप क्षेत्र संख्या एक से जिप सदस्य का चुनाव लड़ीं और छात्र नेता रजनीकांत कुमार से हार गई। उनकी भी करारी हार हुई।

खगडिय़ा के कांग्रेस विधायक छत्रपति यादव के भाई लोकश नंदन भी जिला परिषद क्षेत्र संख्या एक से जिप सदस्य पद के उम्मीदवार थे और हजार का आंकड़ा भी पार नहीं कर सके। लोकेश नंदन को मात्र 925 मत मिले। छत्रपति यादव अलौली विधानसभा क्षेत्र के ही मूल निवासी हैं। अलौली को महागठबंधन का गढ़ माना जाता है और यहां से दिग्गजों की हार ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

अलौली सुरक्षित सीट से विधायक रामवृक्ष सदा ने बताया कि यह पार्टी स्तर का चुनाव नहीं था। इस नजरिये से नहीं देखा जाए। जनता के निर्णय का स्वागत है। हां, सुशीला देवी को हराने में सामंती लोगों का हाथ रहा है। राजद के कुछेक लोगों ने भी हराने में भूमिका निभाई है। कांग्रेस के जिला प्रवक्ता अरुण कुमार का कहना है कि यह चुनाव पार्टी स्तर पर नहीं लड़ा गया था। हां, महागठबंधन में बिखराव के कारण भी यह स्थिति बनी।

कोट

पंचायत चुनाव की यह जनादेश परिवारवाद के खिलाफ है। मतदाता अब बहुत सचेत और सजग होकर मतदान कर रहे हैं। जनता विकास चाहती हैं और बदलाव भी।

डा. अनिल ठाकुर, समाजशास्त्री, खगडिय़ा।


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