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टीएमबीयू की दीवारों पर उकेरी जाएगी लोक कला, विश्वविद्यालय सौंदर्यीकरण के लिए बनाई गई चार सदस्यीय कमेटी

भागलपुर विवि जल्द ही बदले बदले लूक में नजर आएगा। इसके लिए विवि परिसर का सुंदरीकरण किया जाएगा। फिलहाल टीएमबीयू की दीवार पर लोक कलाकृति को उकेरी जाएगी। इसके लिए विवि प्रशासन की ओर से चार सदस्यी कमेटी भी बनाई गई है।

By Abhishek KumarEdited By: Published: Tue, 06 Apr 2021 11:21 AM (IST)Updated: Tue, 06 Apr 2021 11:21 AM (IST)
टीएमबीयू की दीवारों पर उकेरी जाएगी लोक कला, विश्वविद्यालय सौंदर्यीकरण के लिए बनाई गई चार सदस्यीय कमेटी
भागलपुर विवि जल्द ही बदले बदले लूक में नजर आएगा।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। टीएमबीयू की दीवारों पर लोक कला मंजूषा के अलावा अंग की अन्य कलाकृतियां जल्द ही दिखेगी। अब टीएमबीयू के परिसर को तिलकामांझी वाटिका के रूप में विकसित किया जाना है। इसका निर्देश कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने अपने अधिकारियों को दिया है। सोमवार को उन्होंने अपने अधिकारियों के साथ बैठक भी की। कुलपति ने इस लेकर प्रति-कुलपति प्रो. रमेश कुमार की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन कर दिया है।

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प्रशासनिक भवन और परिसर का कुलपति ने किया निरीक्षण

जिसमें सदस्य सचिव डीएसडब्ल्यू डॉ. राम प्रवेश सिंह होंगे। जबकि प्रॉक्टर डॉ. रतन मंडल और कनीय अभियंता अंजनी कुमार सदस्य के रूप में होंगे। इसके अलावा लालबाग स्थित आवासीय परिसर को भी सुंदर बनाने को लेकर 'लालबाग विकास परिषद्Ó को अधिकृत किया गया है। इस कमेटी में कई सदस्यों को रखा गया है।

प्रशासनिक भवन और परिसर की सुंदररता के लिए गठित कमेटी के अध्यक्ष प्रतिकुलपति ने परिसर का निरीक्षण किया। उन्होंने तिलकामांझी की प्रतिमा को आदमकद करने को लेकर चर्चा भी की। कुलपति ने डीएसडब्लयू डॉ. राम प्रवेश सिंह, कुलसचिव डॉ. निरंजन प्रसाद यादव को भी इस दिशा में कार्य योजना तैयार करने के लिए निर्देशित किया है।

कला केंद्र की ओर से किया जाएगा हर संभव मदद

उन्होंने कहा है कि विश्वविद्यालय के सौंदर्यीकरण के लिए कार्य शुरू हो जाएगा। परिसर में स्थित तिलकामांझी की प्रतिमा को भी आदमकद किया जाएगा। लोक कला को टीएमबीयू की दीवारों पर उकेरे जाने के लिए कला केंद्र की भी मदद ली जाएगी। वहां के प्राचार्य राम लगन ने भी कुलपति से मुलाकात की। दरअसल, इससे न केवल विवि कैंपस आकर्षक नजर आएगा बल्कि लोक कला को बढ़ावा भी मिलेगा। इससे सबसे अधिक फायदा मंजूषा कला को होगा। दरभंगा, मधुबनी आदि जगहों पर जगह जगह मधुबनी पेंटिंग उकेरी गई है। अगर उसी तरह मंजूषा कला को भी उकेरा जाए तो इसका व्यापक प्रचार प्रसार संभव है। साथ ही इससे जन जागृति भी आएगी।  


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