डूबे जिले में नहीं आई सरकारी बाढ़, बर्बाद हो गई खरीफ की फसल
सरकार की नजर में सहरसा बाढ़ प्रभावित जिला नहीं है। वहीं पड़ोसी जिला खगडिय़ा और सुपौल को बाढ़ प्रभावित माना जा रहा है। इस कारण यहां सरकारी लाभ नहीं मिल रहा है।
सहरसा, जेएनएन। जिले में लगभग तीन लाख की आबादी बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित है। कोसी के उफान के कारण जिले की 41 पंचायतों के 207 गांवों में पानी पसरा हुआ है। इनमें लगभग दो दर्जन गांव तटबंध के बाहर हैं और शेष अंदर। बाढ़ प्रभावित पांच प्रखंडों के अलावा छोटी-बड़ी नदियों में उफान के कारण पूरे जिले की खरीफ की फसल बर्बाद हो गई है।
बाढ़ के पानी में डूबकर और सर्पदंश के कारण रोज लोगों की मौत हो रही है। लोगों के घर-बार डूबकर रहे हैं, लेकिन सरकारी-प्रशासनिक मानक के अनुसार अभी जिले में बाढ़ नहीं आई है। इस कारण पीडि़तों के लिए कोई प्रबंध नहीं हो रहा है। नवहट्टा प्रखंड की सात पंचायतें, महिषी की छह, सिमरीबख्तियारपुर की 12, सलखुआ की सभी 11 और बनमा इटहरी की सभी सात पंचायतें बाढ़ से पूरी तरह प्रभावित हैं। इसके अलावा आठ अन्य पंचायतें आंशिक रूप से प्रभावित हैं। 28 जुलाई को जिला प्रशासन द्वारा भेजे गए प्रतिवेदन के अनुसार अबतक एक गांव भी बाढ़ प्रभावित नहीं है। ना तो एक भी गांव पानी से घिरा है, ना ही अबादी निष्क्रमित हुई और कोई मकान भी क्षतिग्रस्त नहीं हुआ है। इस कारण ना तो राहत राशि बांटी गई, ना राहत कैंप लगाए गए और ना ही ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव हुआ। इस रिपोर्ट में सिर्फ 17 सरकारी और 137 निजी नाव चलाए जाने तथा 3690 पॉलीथीन सीट बांटने की चर्चा है। जिले के दक्षिण में बसे खगडिय़ा और उत्तर में सुपौल को बाढ़ प्रभावित घोषित कर दिया गया है।
तटबंध के अंदर मंगलवार की शाम पानी बढऩे के कारण स्थिति बिगड़ रही है। बुधवार से तटबंध के अंदर के गांवों को बाढ़ प्रभावित गांवों की श्रेणी में शामिल किया जा रहा है। इसके लिए पंचायतवार स्थिति की समीक्षा भी की जा रही है। तटबंध के बाहर व अन्य जगहों के बारे में सोशल मीडिया के माध्यम से जो बातें आ रही हैं, वास्तव में वैसी स्थिति नहीं है। प्रशासन पूरी स्थिति का अवलोकन कर रहा है। फसलों की क्षति का आंकलन कृषि विभाग द्वारा किया जा रहा है। इसी के आधार पर किसानों को क्षतिपूर्ति दी जाएगी। - कौशल कुमार, जिलाधिकारी, सहरसा