कार्तिक मास में आज से पर्व त्योहारों की शुरू हुई धूम
धर्म शास्त्र के अनुसार कार्तिक मास के शुरू होते ही पर्व त्योहार का सिलसिला शुरू हो जाता है। भक्तजन अपने परंपरा के अनुसार विधि विधान के साथ त्योहार को उल्लास पूर्व मनाते हैं। यूं कहे कि कार्तिक मास में त्योहार की धूम रहती है।
जमुई, जेएनएन। धर्मशास्त्र में साल के सभी 12 महीनों में कार्तिक मास को महत्वपूर्ण माना गया है। पंडित नागेश्वर आचार्य बताते हैं कि कार्तिक मास में भगवान शिव के पुत्र स्कंद कार्तिकेय ने तारकासुर नामक असुर का वध किया था। तब से इस माह का नाम कार्तिक मास पड़ गया। जिसे विजय का प्रतीक माना जाता है। उन्होंने बताया कि पवित्रता से परिपूर्ण इस माह में अनेकों पर्व त्योहार मनाए जाएंगे। कहा जाता है कि इस मास में पडऩे वाले पर्व-त्योहारों को करने से व्यक्ति के जीवन में मान-सम्मान, यश-कीर्ति, धन-वैभव, व्यापार-कारोबार आदि में उन्नति के साथ-साथ पुण्यकाल की प्राप्ति होती है। इस माह के अगले 12 दिनों में चार तारीखों को छोड़ कई त्योहार मनाए जाएंगे। पूरे माह गांव से लेकर शहरों तक माहौल भक्तिमय बना रहता है। बरसात के बाद लोग पर्व त्योहार को लेकर घर आंगन सहित आसपास की भली भांति सफाई करते हैं। स्वच्छता कायम हो जाने से वातावरण भी स्वच्छ हो जाता है। रोग व्याधि से भी लोग दूर हो जाते हैं। त्योहारों का सिलसिला शुरू हो जाने से बाजारों की भी रोनक बढ़ जाती है।
धनतेरस आज, दीपावली व छठ इसी माह में
भारतीय संस्कृति में स्वास्थ्य का स्थान धन से ऊपर माना गया है। इसके लिए कहावत प्रचलित है- पहला सुख निरोगी काया, दूजा माया। धर्म शास्त्रों के अनुसार चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रचार के लिए ही भगवान विष्णु ने धन्वंतरि का अवतार कार्तिक मास की त्रयोदशी को लिया था। जिसके उपलक्ष्य में धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। वहीं दीपावली का त्योहार अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है। जबकि महापर्व छठ में प्रकृति की उपासना की जाती है। जो मूल रूप से शरीर, मन और आत्मा की शुद्धि का पर्व है।
पर्व-त्योहार व तिथि
धनतेरस - 12 नवंबर
दीपावली- 14 नवंबर
गोवर्धन पूजा- 15 नवंबर
भैया दूज- 16 नवंबर
खरना- 18 नवंबर
पहला अर्घ्य - 20 नवंबर
दूसरा अर्घ्य - 21 नवंबर
गोपाष्टमी- 22 नवंबर