सहरसा में खाद संकट: ऊंट के मुंह में जीरा की तरह बंट रही यूरिया, मजबूरी का फायदा उठा रहे कालाबाजारी
बिहार के सहरसा में खाद संकट गहरा गया है। यहां जरूरत से बेहद कम खाद मिली है। मानो ऊंट के मुंह में जीरा। किसान हलाकान हैं। कालाबाजारी मौज उड़ा रहे हैं। वे किसानों की इस जरूरत को पूरा करने के लिए खाद की ब्लैक मार्केटिंग कर रहे हैं।
संवाद सूत्र, सहरसा: जिले में खाद की भारी किल्लत के कारण किसान परेशान हैं। गेहूं की फसल का पहला अंकुर फूट पड़ा है। लेकिन उसमें डालने के लिए यूरिया, डीएपी व अन्य खाद नहीं मिल रहा है। सुबह दुकान खुलने से पहले किसान खाद की दुकान पर जमा हो रहे हैं, परंतु घंटों की मशक्कत के बाद भी उन्हें सफलता हाथ नहीं लगती। किसानों की मजबूरी का फायदा उठाकर चोरी- छिपे कुछ कालाबाजारी खाद बेच रहे हैं। यह खाद भी कहीं नकली न हो इसकी भी संभावना बन रही है। जिले को खाद की जो खेप मिल रही है, वह ऊंट के मुंह में जीरा के समान है। खरीफ की बर्बादी के कारण किसान किसी तरह गेहूं व मक्का की खेती में सफल होना चाहते हैं, परंतु सरकारी व्यवस्था उन्हें यहां भी पीेछे धकेल रहा है। ऐसे में जिले में अकाल की संभावना बन सकती है।
11 हजार 700 एमटी अबतक कम मिला खाद
नवंबर और दिसंबर 2021 माह में आपूर्ति प्लान के अनुसार 9657 एमटी यूरिया, 5046 एमटी डीएपी, 2350 एमटी एनपीके और 2714 एमटी एमओपी मिलना था, परंतु इस योजना के तहत कोई भी खाद नहीं मिला। ऐसे में दिसंबर माह भी दस दिन बीत जाने के बाद 11 हजार 700 एमटी खाद कम उपलब्ध हुआ है। दो दिन पूर्व आठ हजार बैग डीएपी प्राप्त हुआ, जो हुई खेती के लिए नहीं के बराबर है।
40 फीसद गेहूं का हुआ आच्छादन
विभाग द्वारा चालू वर्ष में 45182 हेक्टेयर में गेहूं, 30964 हेक्टेयर में मक्का और 548 हेक्टेयर में जौ आच्छादन का लक्ष्य रखा है। जिला कृषि पदाधिकारी दिनेश प्रसाद सिंह ने बताया कि अबतक 40 फीसद गेहूं, 20 फीसद मक्का और 15 फीसद जौ की बुआई हो चुकी है। इस लिहाज से जिले को जितने खाद की आवश्यकता है। वह उपलब्ध नहीं है। इससे खाद वितरण में परेशानी हो रही है। मंगलवार को इफको का आठ हजार बैग खाद प्राप्त हो जाएगा, जिससे थोड़ी राहत मिलेगी।
'अक्टूबर और नवंबर माह में आपूर्ति योजना से काफी कम खाद मिलने के कारण इसके वितरण में कठिनाई आ रही है। इसके लिए जिलाधिकारी स्तर से भी लगातार मुख्यालय से संपर्क किया जा रहा है। उम्मीद है कि जल्द ही स्थिति नियंत्रित हो जाएगी।'- दिनेश प्रसाद सिंह, जिला कृषि पदाधिकारी, सहरसा।