लाल गलियारे के किसान अब करेंगे जल संरक्षण, जीविका दीदी लोगों को करेंगी जागरूक
जमुई के किसान अब जल संरक्षण के लिए भी काम करेंगे। इसके लिए उन्हें उद्यान विभाग की ओर से हर संभव सहायता प्रदान की जा रही है। इसके लिए किसानों को जीविका दीदी भी जागरूक करेंगी। इसकी कवायद शुरू हो गई है।
जमुई [अरविंद कुमार सिंह]। बारूदी गंध के लिए चर्चित लाल गलियारा अब फल और सब्जी के उत्पादन में जल संरक्षण का संदेश देगा। साथ ही आधी आबादी के आत्मनिर्भरता का भी मंत्र प्रवाहित होगा। दरअसल बरहट प्रखंड के पेसराहा तथा चकाई प्रखंड के कियाजोरी गांव में महिलाओं के समूह ने टपक सिंचाई प्रणाली के माध्यम से फल और सब्जी की खेती का शुभारंभ किया है।
लिहाजा इन महिलाओं की सफलता जल संरक्षण की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है। यहां यह बताना लाजिमी है कि गांवों में बिजली पहुंचने के बाद से फसल उत्पादन के लिए जिस प्रकार भूगर्भ जल का दोहन हो रहा है, इस दौर में टपक सिंचाई प्रणाली से फसल उत्पादन की पहल नीतीश कुमार के जल जीवन हरियाली अभियान को भी बल देगा। यह प्रेरणादायक प्रयोग जीविका तथा उद्यान विभाग के सहयोग से संभव हो सका है।
फल और सब्जी के पौधे नर्सरी में हो रहे तैयार
गरमा सब्जी के बीज का अंकुरण ठंड में नहीं हो पाने का विकल्प जीविका के किसानों ने नर्सरी में तलाश किया है। जो पौधे नर्सरी में तैयार हो रहे हैं उनमें कद्दू, खीरा, नेनुआ, शिमला मिर्च, टमाटर, करेला, ब्रोकली, तारबूज के अलावा उच्च किस्म की रेड लेडी तथा ताइवान 786 किस्म के पपीता के पौधे शामिल हैं।
पांच अन्य समूह टपक सिंचाई प्रणाली से खेती की ओर अग्रसर
चकाई के कियाजोरी में ही दो तथा सोनो में केशोफरका, झाझा के अंबा तथा लक्ष्मीपुर के गुडिय़ा गांव में एक-एक जीविका समूह ने टपक सिंचाई प्रणाली से खेती की इच्छा व्यक्त की है। इसके लिए भी आवश्यक प्रक्रिया पूर्ण की जा रही है। इसके बाद टपक सिंचाई प्रणाली से खेती का रकवा बढ़कर 87.5 एकड़ हो जाएगा।
टपक सिंचाई प्रणाली के फायदे
कृषि विज्ञान केंद्र के मुख्य समन्वयक सुधीर कुमार सिंह बताते हैं कि इस प्रणाली से पानी की बचत के साथ-साथ लागत कम हो जाती है और फसल का उत्पादन भी बेहतर हो जाता है।
दीपक जीविका स्वयं सहायता समूह पेसराहा की अध्यक्ष फूलमती देवी तथा प्रगतिशील जीविका महिला संकुल स्तरीय संघ कियाजोरी की रेखा देवी बताती है कि पानी की कम खपत में अधिक उत्पादन के उद्देश्य से उन लोगों ने टपक सिंचाई प्रणाली को अपनाकर सब्जी और पपीते की खेती प्रारंभ की है।
अब तक सात समूहों से 87.5 एकड़ में टपक सिंचाई प्रणाली अधिष्ठापन के लिए आवेदन प्राप्त हुए हैं जिसमें चकाई के कियाजोरी एवं बरहट के पेसराहा में इसे अधिष्ठापित किया जा चुका है। -विक्रांत शंकर सिंह, जिला प्रबंधक जीविका, जमुई।
टपक सिंचाई प्रणाली के लिए सरकार की ओर से 90 फीसद अनुदान का प्रावधान है। किसानों की लागत 10 फीसद के अलावा कुल खर्च पर 12.5 फीसद जीएसटी होती है। व्यक्तिगत तौर पर गुगुलडीह में एक तथा समूह में दो यूनिट का जिले में अधिष्ठापन हुआ है।
रुपेश अग्रवाल, उपनिदेशक उद्यान, जमुई।