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रेड लेडी से किसानों की बढ़ेगी आमदनी, बांका में इस साल 10 हेक्टेयर में होगी खेती, सरकार करेगी आपकी मदद

रेड लेडी से किसानों की आय दोगुनी होगी। इसके लिए सरकार की ओर से किसानों को पौधे व अन्‍य तरह की मदद दी जा रही है। इसके लिए ऑनलाइन आवेदन करना होोगा। बांका में इस साल 10 हेक्‍टेयर में इसकी खेती होगी।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Sun, 04 Jul 2021 12:19 PM (IST)Updated: Sun, 04 Jul 2021 12:19 PM (IST)
रेड लेडी से किसानों की बढ़ेगी आमदनी, बांका में इस साल 10 हेक्टेयर में होगी खेती, सरकार करेगी आपकी मदद
रेड लेडी से किसानों की आय दोगुनी होगी।

संवाद सूत्र, बांका।  पपीते को गुणों का खान कहा जाता है। तभी तो डाक्टर भी इसे खाने की सलाह देते हैं। बाजार में पपीते की मांग लगातार बढ़ती जा रही है। जिले में पपीते की खेती को बढ़़ावा देने के लिए उद्यान विभाग की ओर से पहल की जा रही है। प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उन्नयन योजना के तहत यहां पपीते की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। सरकार की योजना पपीते की खेती को बढ़ावा देकर किसानों की आमदनी बढ़ाने की योजना है।

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जिला उद्यान पदाधिकारी डा. अमृता कुमारी ने बताया कि इस बार जिले में दस हेक्टेयर क्षेत्र में पपीता की खेती करने की योजना है। योजना के तहत किसानों को रेड लेडी प्रभेद के पपीते उपलब्ध कराया जाएगा। इस पर किसानों को विभाग की ओर से 75 फीसद अनुदान भी दिया जाएगा। किसानों को पौधे विभाग की ओर से ही उपलब्ध कराए जाएंगे। ज्ञात हो कि अभी चालीस से पचास रुपये किलो पपीता बिकता है।

एक हेक्टेयर में एक अनुपात आठ की दर से 25 सौ पौधे लगाए जा सकते है। उन्होंने बताया कि इसका लाभ लेने के लिए किसान आनलाइन आवेदन कर सकते हैं। रेड लेडी प्रभेद का पौधा छह से सात महीने में फल देने लगता है। इसकी खेती के लिए दोमट और बलुआही दोनों ही मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है। बस पपीते के खेत में पानी नहीं फंसना चाहिए। इसकी खेती के लिए उंचे खेतों का चयन करना चाहिए। सामान्य पपीते की तुलना में इसका फल भी बड़ा होता है। किसान पपीते की खेती कर अपनी आमदनी को बढ़ा सकते है।

इस बार जिले में दस हेक्टेयर में पपीते की खेती की जानी है। इसमें किसानों को उन्न्त प्रभेद के रेड लेडी का पौधा विभाग की ओर से ही उपलब्ध कराए जाएंगे। इसकी खेती को बढ़ावा देने के लिए विभाग की ओर से अनुदान भी दिया जाएगा। इसका लाभ लेने के लिए किसान आनलाइन आवेदन कर सकते है। '-डॉ. अमृता कुमारी, सहायक निदेशक उद्यान 


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