स्ट्रॉबेरी की लाली देख लाल हुए किसान, प्रति एकड़ साढ़े तीन लाख रुपये का मुनाफा Bhagalpur news
पहले तो किसान में थे। जब स्ट्रॉबेरी के पौधों में फल लगना शुरू हुआ और उस पर रंग चढ़े तो उनके भी चेहरे खिल उठे। अब लाखों रुपये कमा रहे हैं।
भागलपुर [अमरेंद्र कुमार तिवारी]। नवगछिया अनुमंडल के उस्मानपुर के दर्जन भर किसानों ने स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की है। स्ट्रॉबेरी की लाली देख किसान भी लाल हो रहे हैं। प्रतिदिन एक क्विंटल स्ट्रॉबेरी किसान तोड़ रहे हैं और ऑनलाइन बिक्री कर रहे हैं।
लेट वेरायटी गोभी की खेती करने वाले किसानों को उसका लागत मूल्य भी प्राप्त नहीं हो पा रहा था। किसान इसका विकल्प तलाश रहे थे। बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) के विज्ञानी डॉ. रामदत्त ने आस्ट्रेलिया-इंडिया काउंसिल प्रोजेक्ट के तहत यहां के किसानों को स्ट्रॉबेरी की खेती करने के लिए जागरूक किया।
पहले तो किसान खगेश, मनोहर, विकास और धनंजय मंडल असमंजस में थे। जब स्ट्रॉबेरी के पौधों में फल लगना शुरू हुआ और उस पर रंग चढ़े तो उनके भी चेहरे खिल उठे। बहरहाल इस वर्ष चारों किसानों ने मिलकर एक एकड़ में स्ट्रॉबेरी की बेहतरीन खेती की है। मौसम अनुकूल होने की वजह से उत्पादन भी अच्छा हो रहा है। किसान खगेश मंडल ने बताया कि एक एकड़ में स्ट्रॉबेरी लगाने पर साढ़े तीन लाख रुपये तक खर्च आया है। बाजार में बेहतर मूल्य मिलने से सात लाख रुपये तक कमाई होने की उम्मीद है। एक दूसरे को देख अब यहां के दर्जन भर किसान अर्ली गोभी की खेती के बाद स्ट्रॉबेरी की खेती करने में लगे हैं।
ऑन लाइन कर रहे हैं स्ट्रॉबेरी की बिक्री
खगेश ने कहा कि उत्पादित स्ट्रॉबेरी की बिक्री ऑनलाइन कर रहे हैं। एक किलो स्ट्रॉबेरी 300 रुपये में बिक जाता है। इसके लिए सभी किसानों ने व्यापारियों के साथ मिलकर वाट्सएप ग्रुप बनाया है। जिन्हें हमारा उत्पाद पसंद आता है, वे सीधे हम से फोन लाइन पर जुड़ जाते हैं। लोकेशन प्राप्त होते ही हम उनके घर तक स्ट्रॉबेरी पहुंचाने का काम करते हैं। किसान खगेश ने कहा कि उद्यान प्रदर्शनी में अपना स्टॉल लगाए थे। हमलोगों को सम्मानित भी किया गया था।
पुणे से ला रहे हैं प्लांटिंग मेटेरियल
स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए महाराष्ट्र के पुना से पौधा खरीद कर ला रहे हैं। एक एकड़ में 14 हजार प्लांट की जरूरत होती है। जिस पर एक लाख 68 हजार की लागत आई है।
बीएयू के तकनीकी सहयोग से जिले के किसान अब उच्च मूल्य वाले फसलों की खेती कर रहे हैं। यह खुशी की बात है। बीएयू भी उन्हें सस्ते दर पर प्लांटिंग मेटेरियल उपलब्ध कराने की दिशा में प्रयासरत है। - डॉ. अजय कुमार सिंह, कुलपति बीएयू सबौर।