सब्जी की खेती कर आर्थिक रूप से स्वाबलंबी हो रहे कटिहार के कटाव से विस्थापित परिवार
बिहार के कटिहार में विस्थापित परिवार आत्मनिभर और स्वाबलंबी हो रहे हैं। वे सब्जी की खेती कर अपनी जीविका चला रहे हैं। किसान परिवार के हौसले मजबूत दिखाई देते हैं। अमदाबाद प्रखंड के कई गांव महानंदा में समा चुके हैं। अब...
मनीष कुमार सिंह, अमदाबाद (कटिहार): अमदाबाद प्रखंड के कई गांवों के दर्जनों परिवार गंगा के कटाव से विस्थापित हुए हैं। कुछ वर्ष पूर्व तक क्षेत्र के बड़े रैयत के रूप में जाना जाने वाला परिवार भी कटाव में घर व खेती योग्य जमीन कट जाने के कारण आशियाना बनाने के लिए भी जमीन नहीं बची। कठिनाइयों के बीच कई विस्थापित परिवारों ने सब्जी की खेती को ही अपनी आजीविका का आधार बनाया। सब्जी की खेती कर अच्छी आमदनी कर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं। गंगा नदी के तटवर्मी गांव जामुनतल्ला कोसी, जल्ली टोला, खट्टी, धन्नी टोला गांव पूरी तरह कट कर नदी में विलीन हो गया है।
वहीं, बबला बन्ना, सूबेदार टोला, कीर्ति टोला, झब्बू टोला का बड़ा हिस्सा नदी में कट गया है। कई एकड़ कृषि योग्य भूमि एवं घर भी नदी में समा गया है। जिस कारण विस्थापित परिवार शंकर बांध सहित सड़क किनारे शरण लिए हुए हैं।
क्या कहते हैं सब्जी की खेती करने वाले विस्थापित
खट्टी गांव के विस्थापित शंकर मंडल ने बताया कि करीब पांच वर्ष पूर्व गंगा के कटाव से उनका खेती व घर नदी में गया। कटाव से आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गई थी। गोपी टोला के समीप घर बनाया है। लीज पर खेत लेकर बैगन, फुलगोभी, पत्तागोभी, टमाटर की सब्जी की खेती करते हैं।उन्होंने बताया कि वह कोलकाता से जाकर सब्जी का बीज लाते हैं। सीजन में तीन बीघा में करीब एक लाख रूपए तक की आमदनी हो जाती है।
जामुनतल्ला के खुशीलाल दास, सुग्रीम चौधरी आदि ने बताया कि वे लोग फूलगोभी एवं मटर, चना के साग की खेती करते हैं। प्रति बीघा करीब पचास हजार रूपए की आमदनी सीजन में हो जाती है। ऐसे कई परिवार हैं जो सब्जी की खेती कर अपने विस्थापन के दर्द को कम कर रहे हैं। साथ ही अपने परिवार का भरण पोषण भी कर रहे हैं।