कोसी में मक्के की फसल पर फॉल आर्मीवर्म का कहर, किसानों की उड़ी होश
मधेपुरा जिले के 25 हजार हेक्टेयर में मक्के की खेती होती है। यहां के किसानों का यह प्रमुख फसल है। लेकिन यहां के फसलों पर बढ़ता फॉल आर्मीवर्म ने किसानों की चिंता बढ़ गई है। करीब दो हजार हेक्टेयर से अधिक मक्के की फसल प्रभावित भी हुई है।
जागरण संवाददाता, मधेपुरा । कोसी के इस इलाके की पहचान मक्के की खेती को लेकर विशेष रूप से है। लेकिन इस बार फिर से मक्के की फसल पर फॉल आर्मीवर्म कीट का कहर है। फॉल आर्मीवर्म कीट के कारण किसान का फसल नष्ट होने लगा है। मालूम हो कि जिले के चौसा, पुरैनी, आलमनगर, उदाकिशुनगंज, बिहारीगंज, मुरलीगंज, कुमारखंड प्रखंड में करीब 25 हजार हेक्टेयर में मक्का की खेती की गई है। ऐसे में किसानों को फसल बर्बाद होने की ङ्क्षचता सताने लगी है। कीट का प्रकोप बढऩे पर कृषि विभाग की टीम ने निरीक्षण कर स्थिति का जायजा लिया है। वहीं फॉल आर्मीवर्म कीट से बचने को लेकर किसानों को एहतियात तौर पर कीट से बचाव को लेकर जागरूक किया जा रहा है। सहायक निदेशक पौधा संरक्षण सह अनुमंडल कृषि पदाधिकारी संजीव कुमार तांती ने बताया कि फॉल आर्मीवर्म कीट का प्रकोप चौसा और आलमनगर क्षेत्र में अत्यधिक दिख रहा है। कीट से बचाव को लेकर वैज्ञानिकों की एक टीम क्षेत्र में भेजी गई थी। कृषि वैज्ञानिकों की टीम ने स्थिति का अवलोकन कर नीम का तेल छिड़काव करने का निर्देश दिया गया है।
मक्का यहां के किसानों लिए है वरदान
कोसी का यह इलका बाढ़ से प्रत्येक वर्ष प्रभावित होता है। खासकर जिले के छह प्रखंडों में बाढ़ हर वर्ष तबाही मचाती है। ऐसे में यहां के किसान मुख्य रूप से मक्के की खेती करते हैं। यहां के किसानों के लिए मक्का की फसल मुख्य आजीविका का आधार भी है। लेकिन फॉल आर्मीवर्म कीट के कारण किसानों के अरमानों पर पानी फिर गया है।
दो वर्ष से यह कीट मक्के की फसल को कर रही प्रभावित
वर्ष 2018 से इस कीट का प्रकोप इस इलाके में मक्के की फसल पर देखने को मिली है। जिला कृषि पदाधिकारी राजन बालन ने बताया कि यह मुख्य रूप से अमेरिका में पाया जाता था। वर्ष 2018 से इसका प्रकोप यहां भी देखने को मिला है। इस बार कीट के कारण फसल प्रभावित होने की बात सामने आ रही है। मक्के की फसल की सुरक्षा को लेकर एहतियात के तौर कदम उठाया जा रहा है।
जिला कृषि पदाधिकारी बोले
जिला कृषि पदाधिकारी राजन बालन कृषि विभाग के पदाधिकरियों और वैज्ञानिकों की एक टीम को क्षेत्र में भेजा गया था। चौसा और आलमनगर प्रखंड क्षेत्र में इस कीट का सर्वाधिक प्रकोप देखने को मिला है। कृषि वैज्ञानिकों ने फसल को कीट बचाने के लिए कई अहम सलाह किसानों को दिया है। कीट से फसल प्रभावित होने की जानकारी राज्य मुख्यालय को दी गई है।
क्या कहते हैं पौधा संरक्षण के सहायक निदेशक
पौधा संरक्षण के सहायक निदेशक संजीव कुमार तांती ने कहा कि दो हजार हेक्टेयर अभी फसल प्रभावित हुई है। किसानों को सलाह दिया गया है। फॉल अर्मीवर्म कीट अपना फैलाव तेजी से करता है। ऐसे में इसकी रोकथाम को लेकर कदम उठाया जा रहा है। यह कीट अपने समूह के माध्यम से मक्के की फसल को आसानी से नष्ट कर देता है।