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सहरसा-फारबिसगंज रेलखंड पर अब भी हैं कुसहा त्रासदी के धब्बे, एक्सप्रेस ट्रेन का परिचालन नहीं हो सका शुरू

कुसहा त्रासदी के बाद फिर से सहरसा-फारबिसगंज रेलखंड पर एक्सप्रेस ट्रेनों का परिचालन शुरू नहीं हो सका। इस रेलखंड पर ट्रेन के परिचालन की शुरुआत सहरसा से गढ़ बरुआरी के बीच हुई। इसपर अभी 70 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन चलती है।

By Abhishek KumarEdited By: Published: Thu, 05 Aug 2021 05:30 PM (IST)Updated: Thu, 05 Aug 2021 05:30 PM (IST)
सहरसा-फारबिसगंज रेलखंड पर अब भी हैं कुसहा त्रासदी के धब्बे, एक्सप्रेस ट्रेन का परिचालन नहीं हो सका शुरू
कुसहा त्रासदी के बाद फिर से सहरसा-फारबिसगंज रेलखंड पर एक्सप्रेस ट्रेनों का परिचालन शुरू नहीं हो सका।

जागरण संवाददाता, सुपौल। कुसहा त्रासदी में भीषण बाढ़ से सहरसा-फारबिसगंज रेलखंड क्षतिग्रस्त हो जाने से गंभीर रूप से प्रभावित हुआ था। बाढ़ बाद इस रेलखंड पर ट्रेन का परिचालन बंद हो गया। कुछ दिनों बाद मेगा ब्लाक ले लिया गया और बड़ी लाइन बिछाने का काम शुरू हुआ। 2020 में पुन: इस रेलखंड पर गाडिय़ों का परिचालन शुरू हुआ। पहले सहरसा से बरुआरी तक, उसके बाद सुपौल तक व फिर राघोपुर तक ट्रेन चलनी शुरू हुई। इसके बाद रेल महासेतु को पार कर आसनपुर-कुपहा तक रेल परिचालन बहाल करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झंडी दिखाकर शुभारंभ किया। इसके बावजूद अबतक इस रेलखंड पर एक्सप्रेस ट्रेन का परिचालन शुरू नहीं हुआ है। इस पर डेमू गाड़ी ही चलती है। 13 साल बाद भी इस रेलखंड पर एक्सप्रेस ट्रेन का परिचालन नहीं होने से यात्रियों को परेशानी होती है।

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इस रेलखंड पर ट्रेन के परिचालन की शुरुआत सहरसा से गढ़ बरुआरी के बीच हुई। इसपर अभी 70 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन चलती है। फिर बरुआरी से सुपौल के बीच परिचालन शुरू हुआ और इसपर ट्रेन की रफ्तार 75 किमी प्रति घंटे है। सुपौल-सरायगढ़ के बीच 50 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन दौड़ती है। उम्मीद जताई जा रही है कि इस साल के अंत तक इस रेलखंड पर एक सौ किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन दौड़ेगी। उधर राघोपुर से ललितग्राम तक रेल सेवा शुरू होने के आसार भी जग गए हैं। स्पीडी ट्रायल हो चुका है। दूसरी ओर आसनपुर कुपहा से निर्मली तक रेल परिचालन के लिए कार्य प्रगति पर है। रेलवे के बढ़ते परिचालन क्षेत्र से भले ही लोगों को राहत महसूस हो रही हो लेकिन एक्सप्रेस ट्रेन का परिचालन शुरू नहीं होने का मलाल भी है।

लोगों की माने तो एक्सप्रेस ट्रेन नहीं चलने से क्षेत्र का विकास भी प्रभावित हो रहा है। रोजगार के लिए अन्य राज्यों को जानेवाले लोग बताते हैं कि उन्हें बाहर जाने में परेशानी होती है। गुरुवार को अपने गांव से पंजाब जाने के लिए निकले उमेश कुमार, चंदन, सियाराम आदि ने बताया कि लंबी दूरी की गाडिय़ां नहीं चलने से उनलोगों को काफी परेशानी होती है। यहां से सहरसा जाना पड़ता है वहां ट्रेन बदलनी पड़ती है। अगर यहां से लंबी दूरी की गाडिय़ां चल रही होती तो यह परेशानी नहीं होती। व्यापारी पंकज जायसवाल ने बताया कि व्यापार के सिलसिले में गुजरात, हरियाणा आदि जगहों को लगा रहता है लेकिन यहां से सीधी नहीं रहने से परेशानी होती है।  


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