TMBU अतिथि व्याख्याताओं की नियुक्ति : साक्षात्कार में आया तीन अंक, बन गए गेस्ट लेक्चरर
पूर्व कुलपति प्रो नलिनी कांत झा के कार्यकाल में अभ्यर्थियों का साक्षात्कार हुआ था। एक अभ्यर्थी ने साक्षात्कार के दौरान पूछे गए एक भी सवाल का जवाब नहीं दिया था। उसकी नियुक्ति हो गई।
भागलपुर [जेएनएन]। साक्षात्कार में तीन अंक लाने वाले अभ्यर्थी तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) में अतिथि व्याख्याता बन गए हैं। वैसे अभ्यर्थी की भी नियुक्ति हो गई, जिन्होंने साक्षात्कार के दौरान एक भी सवाल का जवाब नहीं दिया था। विवि ने बुधवार को 51 अतिथि व्याख्याताओं की नियुक्ति की है। दिसंबर में जिन अभ्यर्थियों को यह कहकर बहाल नहीं किया गया था कि उनके अकादमिक अंक कम थे, उन्हें भी बहाल कर लिया गया। खुद अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया था कि उन्हें साक्षात्कार में तीन अंक मिले थे।
पूर्व कुलपति प्रो. नलिनी कांत झा के कार्यकाल में अभ्यर्थियों का साक्षात्कार हुआ था। इसके बाद विवि ने दोबारा साक्षात्कार नहीं लिया है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि इन अभ्यर्थियों के अंक अचानक कैसे बढ़ गए और वे बहाली के योग्य कैसे हो गए। विवि के ही एक अधिकारी ने बताया कि एक अभ्यर्थी ने साक्षात्कार के दौरान पूछे गए एक भी सवाल का जवाब नहीं दिया था। उस अभ्यर्थी की नियुक्ति कर ली गई है। जिस वक्त साक्षात्कार चल रहा था, उस वक्त वह अधिकारी किसी काम से उस कमरे में मौजूद थे।
दिसंबर में 122 और छह अतिथि व्याख्याताओं की नियुक्ति हुई थी। नियुक्ति के बाद विवि पर अनियमितता का आरोप लगा था। आंदोलन हुए थे। मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया है। दिसंबर में जिन अभ्यर्थियों की बहाली नहीं हुई, उन्होंने विवि पर साक्षात्कार में कम अंक देने का आरोप लगाया था। गलत विज्ञापन निकालने, विषयों की रिक्तियां जारी नहीं की गई, यूजीसी के पीएचडी रेगुलेशन 2009 का उल्लंघन आदि का आरोप लगाया था। आरोप लगाने वाले कई अभ्यर्थियों की बुधवार को नियुक्ति हो गई। नियुथ्कत वालों में से कुछ की इस बार बहाली हो गई है।
इधर गृह विज्ञान की अभ्यर्थी डॉ. शगुफ्ता यासमीन ने आरोप लगाया है कि उनका बेसिक विषय गृह विज्ञान है। उन्हें छोड़कर वैसे अभ्यर्थियों को बहाल किया गया है, जिन्होंने इंटर से लेकर स्नातक तक गृह विज्ञान विषय पढ़ा ही नहीं। बहाल हुए ज्यादातर अभ्यर्थी विज्ञान के छात्र रहे हैं। उन्होंने जून 2009 में पीएचडी किया था। लेकिन उन्हें बहाल नहीं किया गया और 2009 के बाद पीएचडी करने वालों को मौका दिया गया। उनके पास एसएम कॉलेज में पढ़ाने का अनुभव भी है और कुलपति ने अकादमिक रिकार्ड देखकर दिसंबर में कहा था कि उनकी बहाली होनी चाहिए थी। ऐसे में इस बार भी उन्हें क्यों नहीं बहाल किया गया।
तिमांविवि के कुलपति प्रो लीला चंद साहा ने कहा कि जिनकी बहाली नहीं होती है वे आरोप लगाते ही हैं। नियुक्ति में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है।