1952 के चुनाव : टमटम और रिक्शा से होता था प्रचार
आजादी के बाद हुआ पहला विधानसभा चुनाव कई मामलों में दिलचस्प था। तब आज की तरह तड़क-भड़क नहीं थी। जानिए भागलपुर में पहला चुनाव कैसा रहा था..
भागलपुर। आजादी के बाद हुआ पहला विधानसभा चुनाव कई मामलों में दिलचस्प था। तब आज की तरह तड़क-भड़क नहीं थी। सादगी का बोलबाला था। चुनाव प्रचार का मुख्य साधन टमटम और रिक्शा थे। उम्मीदवारों में एक दूसरे के प्रति सम्मान का भाव रहता था। वे एक-दूसरे की बुराई नहीं करते थे। अगर किसी चौक-चौराहे पर किसी उम्मीदवार का प्रचार हो रहा होता था और उसी बीच दूसरे उम्मीदवार का प्रचार गाड़ी पहुंचने पार पहला उम्मीदवार प्रचार बंद कर देता था।
1952 में पहला विधानसभा चुनाव हुआ था। भागलपुर में हुए चुनाव पर मुकुटधारी अग्रवाल ने अपनी डायरी में संस्मरण लिखा था। मुकुटधारी अग्रवाल अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनका संस्मरण तब के चुनाव की शालीनता और नैतिकता को बयां करता है। 1952 में कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार सत्येंद्र नारायण अग्रवाल और सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार हरिशंकर सहाय के बीच मुकाबला हुआ था। उम्मीदवार प्रचार में दागी लोगों को पास नहीं फटकने देते थे। जब भी किसी मोहल्ले में चुनाव प्रचार करने निकलते उनके साथ मोहल्ले के प्रबुद्ध लोग साथ रहते थे। शालीनता के साथ प्रचार किया जाता था। पोस्टर और पम्पलेट भी प्रचार के मुख्य साधन थे। चुनाव प्रचार के दौरान दोनों प्रत्याशी एक-दूसरे के सामने आ भी गए, तो दोनों वाहन से नीचे उतरकर एक-दूसरे के गले भी मिलते, थोड़ी हंसी-ठिठोली भी होती। जब सत्येंद्र नारायण अग्रवाल जीत गए तो पहले व्यक्ति हरि शंकर सहाय थे जिन्होंने उन्हें जीत की बधाई दी।
मतपेटियों पर नाम और चुनाव चिन्ह
उस समय अधिकांश लोग अशिक्षित थे। इनमें महिलाओं की संख्या ज्यादा थी। महिलाओं को वोट डालने में कोई परेशानी नहीं हो, इसके लिए प्रत्येक उम्मीदवार की मतपेटी की अलग-अलग व्यवस्था की गई थी। मतपेटी पर उम्मीदवार के नाम और चुनाव चिह्न चिपका दिए जाते थे, ताकि निरक्षर मतदाता चुनाव चिह्न देखकर मतदान कर सकें।